कबाड़ी की दुकान पर मिली बच्चो को बांटने वाली किताबे, पूरी जांच के लिए मामले की जांच के लिए जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने तीन सदस्यीय टीम गठित की

यूपी के चंदौली जिले के बिछिया कला स्थित कबाड़ी की दुकान से बुधवार को बच्चों में निशुल्क बांटने के लिए आईं बीस बंडल किताबें बरामद हुईं। इन किताबों को जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय से ब्लॉक संसाधन केंद्र के लिए भेजी गईं थीं। मौके पर पहुंचे एसडीएम न्यायिक प्रदीप कुमार ने कबाड़ी से इस संबंध में पूछताछ की तो वह सही जवाब नहीं दे सका।

 जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम गठित कर दी है। मौके पर पहुंचे शिक्षा विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने किताबों को कब्जे में लेकर मुख्यालय भेजा।

परिषदीय विद्यालयों में छात्रों को निशुल्क पाठ्य पुस्तकें वितरित की जाती हैं। बुधवार से पहली से पांचवीं तक के स्कूल खुल गए।

ऐसे में नए शिक्षा सत्र के लिए जिला मुख्यालय स्थित बीएसए कार्यालय से कक्षा एक से लेकर पांचवीं तक की किताबों का बंडल लाद कर एक पिकअप वाहन धानापुर बीआरसी के लिए रवाना हुआ। वाहन चालक ने किताबें बीआरसी पर न ले जाकर बिछियां कला स्थित एक कबाड़ी की दुकान पर पहुंचा दिया।

दो कुंतल से अधिक किताबें

आसपास के लोगों ने यह देखा तो इसकी सूचना एसडीएम न्यायिक प्रदीप कुमार को दी जो आवास से कलेक्ट्रेट के लिए निकले थे। एसडीएम को आते देख कबाड़ी की दुकान पर किताबें उतार रहे पिकअप सवार लोग वाहन लेकर भाग निकले। एसडीएम पहुंचे तो दुकान पर बीस बंडलों में दो कुंतल से अधिक किताबें थीं।

पूछताछ में दुकानदार के कुछ नहीं बता पाने पर उन्होंने बीएसए को इसकी सूचना। इसके बाद बेसिक शिक्षा विभाग कार्यालय में हड़कंप मच गया। इस घटना के बाद पुस्तक प्रभारी समेत जिम्मेदार अफसरों व कर्मचारियों मोबाइल बंद हो गए। 

बिना विभागीय मिलीभगत के ऐसा संभव नहीं  

जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (चंदौली)  सत्येन्द्र कुमार सिंह ने कहा कि कबाड़ी के यहां से सत्र 2020-21 और 2021-22 की किताबें मिली हैं। ये किताबें कबाड़ी की दुकान पर कैसे और किसके प्रयास से पहुंची इसकी जांच की जा रही है। इसमें दोषी अफसर व कर्मचारियों के खिलाफ विभाग सख्ती के साथ पेश आएगा। 

बिना विभागीय मिलीभगत के ऐसा संभव नहीं  

बच्चों में निशुल्क बांटने के लिए आई किताबों का कबाड़ी की दुकान पर पहुंच जाना अधिकारियों को कठघरे में खड़ा करने वाला है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि बिना अधिकारियों के मिलीभगत से बड़ी संख्या में किताबों को बाहर बेचना संभव ही नहीं है।