चंडीगढ़। हरियाणा विधानसभा में विपक्षी दलों ने राज्य पर बढ़ते कर्ज के लिए मनाेहरलाल सरकार पर जमकर निशाना साधा। विपक्षी विधायकों ने मनोहर सरकार पर गंभीर सवाल उठाए। वर्ष 2019-20 के बजट में सामने आए कर्ज के आंकड़ों को लेकर विपक्ष विधानसभा में मनोहर सरकार पर हमलावर रहा। बजट चर्चा के दौरान बेशक सत्तापक्ष के सदस्यों ने सरकार की वाहवाही की, मगर इनेलो और कांग्रेस के सदस्यों ने राज्य सरकार पर पिछले साढ़े चार साल में बढ़े कर्ज के आंकड़े पेश किए।
विपक्षी सदस्यों ने कहा, भाजपा सरकार में 1.09 लाख करोड़ रुपये का कर्ज बढ़ा
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अभय चौटाला ने कहा कि आंकड़ों के मुताबिक 2004-05 में तत्कालीन इनेलो-भाजपा गठबंधन की सरकार के दौरान सरकार पर कर्ज सिर्फ 23 हजार करोड़ रुपये था। कांग्रेस के शासनकाल में 2014 तक यह कर्ज 70 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गया था। अब 2019 में कर्ज 1.79 लाख करोड़ हो गया है।
नेता प्रतिपक्ष अभय सिंह चौटाला ने बजट चर्चा के दौरान कहा कि हरियाणा में जन्म लेने वाला बच्चा एक लाख रुपये का कर्जदार हो जाता है। सरकार की वित्त प्रबंधन व्यवस्था ठीक नहीं होने के कारण ही कर्ज बढ़ा। मौजूदा बजट का 28 फीसद खर्च सिर्फ कर्ज के ब्याज को चुकाने में खर्च हो रहा है।
पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कांग्रेस विधायक दल की नेता किरण चौधरी, कांग्रेस विधायक डॉ. रघुबीर सिंह कादियान, करण सिंह दलाल, कुलदीप शर्मा, ललित नागर, गीता भुक्कल, उदयभान, इनेलो विधायक परमिंद्र सिंह ढुल, नसीम अहमद, रणबीर गंगवा, निर्दलीय जयप्रकाश ने भी बजट चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि पूरे बजट में कोई नई बड़ी घोषणा नहीं है।
कैग की रिपोर्ट पेश नहीं करने पर हुआ हंगामा
कांग्रेस विधायक डॉ. रघुबीर सिंह कादयान ने सदन में बजट चर्चा के दौरान कहा कि यह पहला अवसर है जब सरकार ने बजट से पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट सदन के पटल पर नहीं रखी। इस पर संसदीय कार्य मंत्री रामबिलास शर्मा ने कादियान को बीच में टोकते हुए कहा उन्होंने सोमवार को सदन में मिले बजट की प्रतियों का झोला खोलकर नहीं देखा। उसमें कैग की रिपोर्ट थी।
तभी सदन में कई सदस्यों ने तेज आवाज में बताया कि उस झोले में कैग की कोई रिपोर्ट नहीं थी। कादियान ने कहा कि यह झोलाछाप सरकार है और झोलाछाप तो नीम-हकीम खतरे-ए-जान की तरह होता है। उन्होंने कैप्टन अभिमन्यु पर हमलावर होते हुए कहा कि उन्हें अपनी कोठी जलने की घटना में आरोपित युवाओं के खिलाफ मुकदमे वापस लेने का एलान करना चाहिए था।