नई दिल्ली। गुरुवार दिनभर चली मशक्कत के बाद भी राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सीएम पद के लिए कांग्रेस हाईकमान किसी एक नाम पर सहमति नहीं बनवा पाई। सीएम दावेदारों के आसानी से मैदान नहीं छोड़ने से हाईकमान को गुरुवार देर रात तक भारी मशक्कत से रूबरू होना पड़ा।
राजस्थान में अशोक गहलोत की ताजपोशी में सचिन पायलट की दमदार घेरेबंदी को हटाने की कसरत अभी खत्म नहीं हुई। छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल को सबसे प्रबल दावेदार माना जा रहा है, पर टीएस सिंहदेव और ताम्रध्वज साहू ने मैदान नहीं छोड़ा है। इसीलिए दोनों राज्यों के सीएम पर आज फैसला हो सकता है।
सचिन की दमदार दावेदारी पर उलझी कांग्रेस हाईकमान
राजस्थान में अशोक गहलोत को सीएम बनाने के इरादे को सिरे चढ़ाने के लिए कांग्रेस हाईकमान को अब भी सचिन पायलट की जबरदस्त दावेदारी को थामना आसान नहीं हो रहा। राहुल गांधी ने दिन में पार्टी पर्यवेक्षकों और रणनीतिकारों से चर्चा के बाद गहलोत-सचिन दोनों के साथ लंबी बात की। मगर सचिन ने कहा कि सूबे में बीते साढे़ चार साल में प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर हाशिये पर खड़ी पार्टी को सत्ता तक पहुंचाने की मेहनत का इनाम तो मिलना ही चाहिए।
सचिन कांग्रेस में युवा चेहरों को मौका देने की बात भी याद दिला रहे हैं। सचिन के मुकाबले में डटे रहने की वजह लगभग आधे विधायकों का उनके साथ होना माना जा रहा। पार्टी सूत्रों का दावा है कि सोनिया गांधी भी गहलोत को सीएम बनाने के पक्ष में हैं। तो सचिन समर्थक नेता इस दावे को खारिज कर रहे हैं। सीएम पद पर फंसे इस पेंच का समाधान निकाल गहलोत की राह की बाधा दूर करने के लिए राहुल गांधी देर रात इन दोनों नेताओं से दूसरे दौर की बैठक करेंगे।
छत्तीसगढ़ में तीन दावेदार, तीनों तैयार
मध्य प्रदेश और राजस्थान के सीएम रेस की रस्साकशी में राहुल को छत्तीसगढ़ के नेताओं से मंत्रणा का ज्यादा वक्त नहीं मिला। छत्तीसगढ़ के पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खड़गे और प्रभारी पीएल पुनिया से देर शाम राहुल की संक्षिप्त चर्चा हुई, जिसमें तय हुआ कि अब शुक्रवार को मुख्यमंत्री तय होगा। सीएम तय करने से पहले एक बार फिर विधायकों से रायपुर में मशविरा किया जा सकता है।
छत्तीसगढ़ में प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भूपेश बघेल सीएम पद के सबसे प्रबल दावेदार हैं, तो सूबे में अब तक विपक्ष के नेता रहे टीएस सिंहदेव भी अपना दावा जता रहे। ताम्रध्वज साहू की दावेदारी की अनदेखी भी इसीलिए नहीं की जा रही कि हाईकमान से उनकी निकटता है। बहरहाल कांग्रेस नेतृत्व को इन तीन बड़े ¨हदी भाषी राज्यों में चुनाव जीतने के लिए जितना पसीना बहाना पड़ा वैसी ही मशक्कत मुख्यमंत्री तय करने में करनी पड़ रही है।