बुलंदशहर हिंसा: STF ने माना, हमारे पास फौजी जीतू को हत्यारोपी साबित करने के सबूत नहीं

एसटीएफ के एसएसपी अभिषेक सिंह ने स्वीकारा है कि फौजी जीतू (Fauji Jeetu) को हत्यारोपी साबित करने के लिए हमारे पास फिलहाल कोई सबूत मौजूद नहीं है। एसएसपी के मुताबिक अभी तक की पूछताछ और जांच में सिर्फ जीतू के प्रदर्शन में मौजूद होने की बात सामने आई है। जीतू ने न तो इंस्पेक्टर की हत्या की बात कुबूली है और न ही इससे जुड़े साक्ष्य अभी तक मिल सके हैं।

सेना द्वारा फौजी जीतू को सुपुर्द करने के बाद एसटीएफ कार्यालय मेरठ में पत्रकारों से बातचीत में एसएसपी अभिषेक सिंह ने कहा, प्राथमिक पूछताछ में जीतू ने कुबूला है कि जब वहां भीड़भाड़ इकट्ठा हो रही थी तो वह मौके पर खड़ा था। यह बात तथ्यात्मक रूप से भी सही पाई गई है। इसके अलावा जो अन्य आरोप है, उसकी पुष्टि आगे विवेचना में करने के लिए साक्ष्य इकट्ठा किए जाएंगे और उसी के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।

एसएसपी ने कहा, अभी तक की पूछताछ में यह बात साफ नहीं है कि फौजी ने ही इंस्पेक्टर सुबोध को मारा है और इसका कोई सीधा साक्ष्य हमारे पास नहीं है। एसटीएफ एसएसपी अभिषेक सिंह ने बताया कि जीतू भीड़ का हिस्सा था और गांव के अन्य लोग वहां पर गए हुए थे। यह बात जीतू ने स्वीकारी भी है, लेकिन वह बार-बार गोली मारने की बात से इनकार कर रहा है। जिस वायरल वीडियो में कथित युवक को जीतू बताया जा रहा है, उसमें जीतू ने खुद होने से इनकार किया है।

पुलिस लाइन में लगातार पांच घंटे तक चली पूछताछ
पुलिस लाइन में क्राइम ब्रांच के दफ्तर में बंद कमरे में सुबह 10 बजे से दोपहर 3 बजे तक जीतू फौजी से पूर्व में एसपी क्राइम रहे शहाब रशीद खान, एसपी क्राइम शिवराम यादव, सीओ डिबाई राघवेंद्र मिश्र, एसटीएफ के सीओ ब्रजेश कुमार सिंह सहित अन्य पुलिस टीम ने पांच घंटे तक पूछताछ की।

14 दिन की न्यायिक अभिरक्षा में भेजा जेल
रिमांड मजिस्ट्रेट, ज्यूडीशियल मजिस्ट्रेट तारकेश्वरी प्रसाद की अदालत में पुलिस ने जितेन्द्र मलिक उर्फ जीतू फौजी को रविवार दोपहर में पेश किया। न्यायालय ने सुनवाई के उपरांत जीतू फौजी को न्यायिक अभिरक्षा में 14 दिन की जेल भेज दिया। पुलिस ने जेल में जीतू को दाखिल कर दिया। विवेचक उदयवीर सिंह बालियान ने पुलिस कस्टडी रिमांड के लिए कोई प्रार्थना पत्र न्यायालय में नहीं दिया।