ताजमहल का पूरा दीदार करने के लिए अब अतिरिक्त पैसा खर्चा करना होगा। मुख्य मकबरे (शाहजहां-मुमताज की कब्र) में प्रवेश के लिए मौजूदा शुल्क से दो सौ रुपये ज्यादा की टिकट लेनी होगी। उसी टिकट से पर्यटकों को ताज के मुख्य मकबरे में प्रवेश मिलेगा। सोमवार से टिकट काउंटर पर ये सुविधा उपलब्ध होगी।
हर रोज औसतन करीब 30 हजार से अधिक देशी और विदेशी पर्यटक ताजमहल का दीदार करते हैं। ताजमहल के मुख्य मकबरे के दीदार के लिए करीब दो घंटे की प्रतीक्षा करते हैं। भीड़ अधिक होने के कारण रोज लंबी-लंबी लाइन लग जाती हैं। सोमवार से पर्यटकों को एक नए नियम से गुजरना होगा। पुरातत्व विभाग ने ताजमहल के प्रमुख मकबरे में प्रवेश पर टिकट लागू कर दी है। देशी और विदेशी पर्यटकों को वर्तमान शुल्क के अतिरिक्त प्रति व्यक्ति दो सौ रुपये की टिकट खरीदनी होगी। उसके बाद ही उन्हें मुख्य मकबरे में प्रवेश दिया जाएगा। ये टिकट पर्यटकों को काउंटर से मिलेंगी।
वर्तमान में रेट
पर्यटक की श्रेणी | वर्तमान रेट | बढ़कर ये हो जाएंगी रेट |
सार्क देश के पर्यटक | 540 | 740 |
बिमस्टैक देश के पर्यटक | 540 | 740 |
विदेशी पर्यटक | 1100 | 1300 |
देशी पर्यटक | 50 | 250 |
(नोट: यदि कोई प्रमुख मकबरे में प्रवेश नहीं करना चाहता तो उसे वर्तमान रेट ही देय होंगी।)
टिकट चेकिंग के बाद जाएंगे अंदर
नीरी की सिफारिश पर ताजमहल में भीड़ प्रबंधन के लिए एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) ने एस्टेप टिकटिंग व्यवस्था लागू की है। सोमवार से पूरा ताजमहल देखने के लिए देसी पर्यटकों को 250 रुपये और विदेशी पयर्टकों को 1300 रुपये चुकाने पड़ेंगे। वहीं, सार्क और बिमस्टैक पर्यटक को 740 रुपये देय होंगे। पर्यटकों को शाहजहां-मुमताज की कब्रें देखने के लिए 200 रुपये का अतिरिक्त शुल्क चुकाना होगा। प्रमुख मकबरे के गेट पर कैनोपी लगाई जाएगी, जहां अतिरिक्त टिकट की जांच होगी।
वर्तमान टिकट से दूर से देखेंगे ताज
ताजमहल में वर्तमान शुल्क अदाकर पर्यटक चमले फर्श से ऊपर वाले मार्बल प्लेटफार्म तक जा सकेंगे। पर्यटक सीढ़ियों से प्लेटफार्म पर जाकर यमुना किनारे की तरफ भी घूम सकेंगे। सिर्फ प्रमुख मकबरे में प्रवेश नहीं दिया जाएगा।
सोमवार से ताजमहल में आने वाले देशी और विदेशी सैलानियों को मुख्य मकबरे में प्रवेश के लिए वर्तमान शुल्क से अतिरिक्त दो सौ रुपये की टिकट लेनी होगी। उसी के बाद उन्हें ताजमहल के प्रमुख मकबरे में प्रवेश दिया जाएगा। ये टिकट काउंटर से ही दी जाएंगी।- बसंत कुमार स्वर्णकार, अधीक्षण पुरातत्वविद