पुलिस मुख्यालय की 10वीं मंजिल से कूद कर आत्महत्या करने वाले एसीपी प्रेम बल्लभ की मौत का राज उनके कंप्यूटर से खुल सकता है। उन्होंने गुरुवार को आत्महत्या करने से पहले आखरी तीन घंटे अपने घर पर इसी कंप्यूटर पर बिताए थे। सूत्रों के मुताबिक, तीन घंटों के दौरान एसीपी कंप्यूटर रूम में अकेले थे। कंप्यूटर छोड़ने बाद वह तैयार हुए और आफिस के लिए निकल गए। घर से निकलने के बाद एसीपी आफिस पहुंचे और कुछ देर बाद ही उनकी मौत की खबर उनके बेटे को मिली। इसके बाद से पूरा परिवार सकते में है। आखिर ऐसा क्या हुआ कि विभाग और मोहल्ले में अपनी ईमानदारी के लिए मशहूर एसीपी ने आत्महत्या कर ली। फिलहाल, पुलिस और परिवार उनकी मौत की वजह तलाशने में जुटा हुआ है।
क्या हुआ आखिरी तीन घंटे में : प्रेम बल्लभ प्रतिदिन सुबह सैर करने और अपनी मां से मिलने के बाद घर की छत पर बने गार्डन में पौधों को पानी देते थे। मगर, गुरुवार सुबह उठने के बाद वह नहाने के बाद सीधे घर में बने अपने कंप्यूटर रूम में चले गए। वहां करीब तीन घंटे तक लगातर उन्होंने कंप्यूटर पर काम किया। अक्सर वह न तो इतनी देर कंप्यूटर पर बैठते थे और न ही दिन में कभी घर पर कंप्यूटर इस्तेमाल करते थे। कंप्यूटर इस्तेमाल करने के बाद उन्होंने बच्चों को कंप्यूटर को छूने से मना कर दिया और ऑफिस के लिए निकल गए।
कंप्यूटर खोल कर रख दिया : आत्महत्या की जानकारी मिलने के बाद उनके परिजनों ने फिलहाल कंप्यूटर को खोल कर उसके सीपीयू, मॉनिटर आदि को निकाल कर दूसरे कमरे में रख दिया है। उनका कहना है कि आखिर उन्होंने इतना समय कंप्यूटर पर क्या किया था यह बात कंप्यूटर की जांच के बाद ही सामने आएगी। हो सकता है कि आत्महत्या करने से पहले उन्होंने कुछ इस कंप्यूटर पर छोड़ा हो।
पत्नी और बेटे को फोन कर घटना की जानकारी दी
एसीपी प्रेम बल्लभ के तीन बेटे हैं। राहुल, कपिल और रोहित, तीनों निजी कंपनियों में नौकरी करते हैं। तीनों भाई रोज की तरह ही अपने काम पर निकल गए थे। इसी दौरान पुलिस की ओर से हादसे की जानकारी देने और अस्पताल पहुंचने के लिए एसीपी की पत्नी दीपा और बेटे राहुल को फोन किया गया। हादसे की जानकारी होने पर एसीपी की पत्नी दीपा की तबीयत खराब हो गई।
अगस्त से परेशान थे एसीपी
एसीपी प्रेम बल्लभ के जीजा की मानें तो वह अगस्त से परेशान थे। उन्होंने लोगों से मिलना कम कर दिया था और बात भी कम करने लगे थे। ऐसे में जब कभी उनसे परेशानी की वजह पूछी जाती थी तो वह अक्सर बोलते थे कि वह जल्द ही नौकरी छोड़ देंगे। वह क्यों परेशान थे यह किसी को नहीं पता।
58 रिवॉर्ड पर किए थे हस्ताक्षर
सूत्रों के अनुसार बुधवार को कार्यालय आने के बाद एसीपी प्रेम बल्लभ ने 58 रिवॉर्ड पर हस्ताक्षर किया था। हालांकि, इस दौरान उन्हें घर जाने में देरी भी हो गई। इस रिवार्ड में 44 मामले लापता या अपहृत लोगों को ढूंढ़ने वाले पुलिसकर्मियों के लिए थे। यह अलग अलग रैंक के थे। इसके अलावा 14 रिवार्ड उन पुलिसकर्मियों के लिए था जिन्होंने अथक मेहनत करके अज्ञात शवों की पहचान कर उनके परिजनों को सौंपा था।
अक्टूबर में मेडिकल लीव पर रहे थे
सूत्रों ने बताया कि एसीपी प्रेम बल्लभ अक्टूबर माह में मेडिकल लीव पर थे। उन्होंने एक अक्तूबर से 28 अक्टूबर के बीच छुट्टी ली थी। हालांकि, उनकी बीमारी के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई है।
पुलिस आयुक्त ने परिजनों से मुलाकात ढांढस बंधाया
दिल्ली पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक ने अस्पताल में मृतक एसीपी के परिजनों से मुलाकात कर उन्हें ढांढस बंधाया। उन्होंने परिवार को हर संभव मदद का आश्वासन दिया। साथ ही मामले की जांच कराने की बात कही।
सरकारी गाड़ी के बजाय पैदल या रिक्शे से जाते थे घर
नई दिल्ली, | एसीपी प्रेम बल्लभ ऑफिस और घर में अपनी सादगी के लिए जाने जाते थे। उनकी सादगी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि स्थानीय थाना जाफराबाद और बीट अधिकारी तक नहीं जानते थे कि उनके इलाके में कोई एसीपी रैंक का अधिकारी भी रहता है। एसीपी बनने के बाद प्रेम बल्लभ को सरकारी स्टाफ और वाहन मिला था। मगर, वह कभी सरकारी वाहन से घर तक नहीं जाते थे। काम खत्म करने के बाद घर से करीब 800 मीटर दूर सरकारी वाहन को छोड़ कर वह पैदल या रिक्शे से घर जाया करते थे। जानकारी के अनुसार, परिवार में तीन भाइयों में सबसे बड़े प्रेम बल्लभ मौजपुर के विजय पार्क इलाके में रहते थे। पिता की मौत के बाद भी प्रेम ने पूरे परिवार को संयुक्त रखा हुआ था। इसके चलते इलाके के लोग उन्हें बड़ा आदर देते थे।
अवसाद में वीआरएस के लिए दिया था आवेदन
नई दिल्ली | दिल्ली पुलिस में अपने विनम्र व्यवहार एवं कर्मठता के लिए चर्चित एसीपी प्रेम बल्लभ ने बीते साल स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति के लिए आवेदन दे दिया था। लेकिन दोस्तों एवं परिजनों की सलाह एवं समझाने पर उन्होंने अपना आवेदन वापस ले लिया और फिर पहले की तरह नौकरी करने लगे। मूलरूप से नैनीताल के निवासी प्रेम बल्लभ 1988 में दिल्ली पुलिस में मिनिस्ट्रियल हेडकांस्टेबल पद पर भर्ती हुए थे। इसके बाद वह समय समय पर प्रोन्नति पाते हुए दिल्ली पुलिस के विभिन्न कार्यालयों में तैनात रहे। उन्हें 2016 में एसीपी के पद पर प्रोन्नति मिली। वह काफी समय तक स्पेशल सीपी एसएन श्रीवास्तव के पीए भी रहे। एसीपी बनने के बाद सेकेंड बटालियन में तैनात कर दिया गया। यहीं से प्रेम बल्लभ अवसाद के शिकार हो गए थे। उन्होंने वीआरएस के लिए आवेदन भी कर दिया था।
राष्ट्रपति पदक से भी सम्मानित किया गया था : बताया जाता है कि उन्हें दिल्ली पुलिस में उत्कृष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक से भी सम्मानित किया गया था। वह करीब एक साल से वर्तमान कार्यालय में तैनात थे। प्रेम बल्लभ के साथ काम कर चुके लोगों ने बताया कि वह कर्मठ होने के साथ ही काम के प्रति बेहद संवेदनशील थे। माना जा रहा है कि अवसाद की वजह से उन्होंने गुरुवार को आत्महत्या भी कर ली।