बच्चे पैदा करने के विकल्प के रूप में सरोगेसी संबंधी कानून को सिर्फ परोपकारी ही बनाए जाने को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ता एक महिला व एक पुरुष ने इसे व्यावसायिक भी बनाने की मांग की है ताकि वे भी सरोगेसी के जरिये बच्चे का पिता व माता बन सके। हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से इस मुद्दे पर अपना पक्ष रखने का निर्देश देते हुए कहा कि इस पर विचार करने की जरूरत है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की पीठ ने इस मामले में केंद्र सरकार से छह हफ्ते में जवाब देने को कहा है और सुनवाई 29 नवंबर के लिए स्थगित कर दी है। इस कानून की वजह से वे पिता व माता नहीं बन सकते जो उनके मौलिक अधिकार का हनन है। इसलिए इस कानून में संशोधन किया जाए। यह याचिका अविवाहित पुरुष करण बलराज मेहता तथा विवाहिता व एक बच्चे की मां डा. पंखुरी चंद्रा ने दाखिल की है। याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि वे सरोगेसी के जरिये पिता व माता बनने के विकल्प के रूप में सरोगेसी का लाभ उठाने से वंचित हैं, जो भेदभावपूर्ण और संविधान के अनुच्छेद 14 व 21 का उल्लंघन है।