493 साल बाद रजत हिंडोले पर विराजे रामलला, फूलों से सजा गर्भगृह, रामलला को लगा विशेष भोग

श्रावण शुक्ल पक्ष पंचमी 13 अगस्त की तिथि भी रामनगरी के लिए अब खास हो गई है, क्योंकि 493 साल के बाद रामलला पहली बार सावन मास में चांदी के झूले पर विराजे हैं। रामलला के प्रधान अर्चक ने ब्रह्म मुहूर्त में ही विशेष पूजा-अर्चना के साथ रजत जड़ित हिंडोले पर रामलला सहित चारों भाईयों को विराजित किया। इस शुभ घड़ी को खास बनाने के लिए पूरे गर्भगृह को फूलों से सजाया गया साथ ही रामलला को विशेष भोग भी लगा। रजत हिंडोले पर विराजे रामलला सरकार का दर्शन कर भक्त निहाल हो उठे।

साढ़े छह बजे सुबह की आरती के बाद सात बजे जैसे ही गर्भगृह का पट खुला, रामलला के दर्शन को भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। जय श्रीराम के उद्घोष के साथ भक्तों में रजत हिंडोले पर विराजित अपने आराध्य रामलला के दर्शन की व्यग्रता देखते ही बन रही थी। श्रीराम लला के प्रधान पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने बताया कि श्रीराम लला के राममंदिर ट्रस्ट की ओर से 21 किलो चांदी का झूला निर्मित कराया गया है।

परंपरा अनुसार श्रावण शुक्ल पक्ष पंचमी 13 अगस्त को पूजन-अर्चन व आरती के बाद रामलला सहित भरत, लक्ष्मण व शत्रुघ्न को झूले पर विराजित किया गया। कहा कि रामलला के दरबार में पंचमी तिथि से श्रावण पूर्णिमा तक झूलनोत्सव की छटा बिखरेगी। उन्होंने सर्वप्रथम हिंडोले पर विराजे रामलला को झूला झुलाया, इस दौरान वह भावुक हो उठे।

प्रधान पुजारी ने कहा कि ऐसा लग रहा था कि मानो प्रभु साक्षात रूप में झूले पर विराजमान हों। रामलला का नया अवतार हो, ऐसा प्रतीत हो रहा था। रामलला की 28 सालों से सेवा कर रहे पुजारी सत्येंद्र दास बोले कि हमने टेंट में भी प्रभु की सेवा की है। अब अस्थाई मंदिर में विराजित रामलला का ठाठ देखकर इतनी खुशी होती है कि शब्दों में बया नहीं की जा सकती।

उन्होंने बताया कि इस दिन को खास बनाने के लिए ट्रस्ट की ओर से पूरे गर्भगृह को फूलों से सजाकर भव्यता प्रदान की गई है। रामलला को पूड़ी, सब्जी, कचौड़ी, खीर, मिष्ठान, फल आदि का विशेष भोग लगाकर प्रसाद वितरित किया गया। शाम को प्रतिदिन एक घंटे सांस्कृतिक आयोजन भी होंगे। रामलला का दरबार सदियों बाद गुलजार होगा। ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय, ट्रस्टी डॉ.अनिल मिश्र सहित प्रशासनिक अधिकारियों ने भी रामलला को झूला झुलाकर अपना जीवन धन्य किया।