भारत में कई सारे तीर्थ स्थल हैं जो दुर्गम पहाड़ियों पर स्थित हैं। इन तीर्थ स्थलों पर हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए जाते हैं। इन तीर्थ यात्रियों में उम्रदराज लोगों के साथ ही युवा और बच्चे तक होते हैं। इन दिनों लोग उत्तराखंड के चार धाम की यात्रा पर जा रहे हैं। उत्तराखंड में स्थित चार धाम यात्रा पर जाने वालों को मंदिर दर्शन के लिए ऊंची पहाड़ी पर चढ़ाई करनी पड़ती है। वहां का रास्ता काफी हाइट पर होने के साथ ही पथरीला और उबड़ खाबड़ है। वैसे तो यात्रा के लिए हेलीकॉप्टर सुविधा भी मिलती है। लेकिन अधिकतर यात्री पैदल यात्रा करते हैं।आकाश हेल्थकेयर हाॅस्पिटल के कार्डियोलाॅजिस्ट डाॅ अमित पेंढारकर ने चार धाम यात्रा के दौरान दिल का दौरा पड़ने के कारणों के बारे में बताते हुए कहा कि यह बहुत चिंता का विषय है कि चार धाम यात्रा के दौरान तीर्थयात्रियों की मौत हो चुकी है। ज्यादातर तीर्थयात्रियों की मौत हार्ट अटैक के कारण हुई है। ये महत्वपूर्ण इसलिए भी है कि हमें यह समझना जरूरी है कि चार धाम की यात्रा के दौरान दो परेशानियां होती हैं। एक तो हाइट ज्यादा होती है। चढ़ाई की ज्यादातर लोगों को आदत नहीं होती है। साथ ही हाइट ज्यादा होने से ऑक्सीजन की कमी भी होती है।इसलिए युवाओं को भी चार धाम यात्रा शुरू करने से पहले अपनी पुरानी जांच करानी चाहिए। खासकर फिजिकल फिटनेस की जांच। फिजिकल फिटनेस के लिए एक साधारण टेस्ट होता है कि ट्रेडमिल या स्ट्रेचिंग, जिसे करा कर देखना चाहिए कि आप अपने हार्ट को स्ट्रेस दे सकते हैं या नहीं दे सकते हैं। अगर इस तरह के टेस्ट में कोई परेशानी नहीं आती है, तभी चार धाम की यात्रा करनी चाहिए, अन्यथा यात्रा के दौरान हार्ट के ऊपर स्ट्रेस आने के कारण दिल का दौरा पड़ने की संभावना बढ़ जाती है।
हृदय संबंधी बीमारी के संकेतों को इन समझकर विशेष सावधानी बरतें।
-छाती या बाहों में दबाव, जकड़न या दर्द जैसा अनुभव होना।
-छाती में दर्द की अनुभूति जो आपके गर्दन, जबड़े या पीठ तक फैल सकती है।
-मतली, अपच या पेट दर्द की समस्या।
-सामान्य रूप से सांस लेने में दिक्कत महसूस होना।
-अधिक पसीना आना या लगातार थकान महसूस होते रहना।
-चक्कर आना।