जहरीली शराब कांड के बढ़ते मामलों पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिए अब तहसील स्तर आबकारी विभाग की ओर से निगरानी की जाएगी। इसके लिए नई कार्ययोजना तैयार की जा रही है। पिछले दिनों आगरा में जहरीली शराब कांड के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इन मामलों को सख्ती से रोकने के लिए आबकारी प्रवर्तन इकाइयों को मजबूत बनाने और स्थानीय स्तर पर उन्हें सक्रिय करने के लिए कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए थे। इसी क्रम में विभाग अब नई कार्ययोजना बना रहा है।
विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय आर.भूसरेड्डी ने ‘हिन्दुस्तान’ से बातचीत में जानकारी दी कि अब मानकों के आधार पर तहसील स्तर पर एक इंस्पेक्टर, चार सिपाही और दो हेड कांस्टेबिल तैनात होंगे। तहसील स्तर पर अवैध शराब बनाने और बेचने वालों की धरपकड़ के लिए प्रवर्तन इकाई को वाहन भी उपलब्ध करवाया जाएगा। इसके अलावा जिन सिपाहियों के पास रायफल नहीं हैं उन्हें रायफल उपलब्ध करवाई जाएंगी। फिलहाल हर जिला आबकारी कार्यालय में दो वाहन उपलब्ध हैं, जिनमें से एक वाहन जिला आबकारी अधिकारी के पास रहता है और दूसरा किराये पर अनुबंधित वाहन प्रवर्तन इकाई के लिए होता है जो पूरे जिले में शराब माफिया से निबटने के लिए नाकाफी है।
अपर मुख्य सचिव ने बताया कि हाल ही में जो 142 नए आबकारी निरीक्षक नियुक्त किए गए हैं, उनमें से 130 की संस्तुति हुई और इनमें से 80 की ट्रेनिंग शुरू हो गई है। इन्हें सीयूजी मोबाईल फोन, पिस्टल और एक्साइज मैनुअल उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। चालू वित्तीय वर्ष के लिए आबकारी विभाग से 36000 हजार करोड़ रुपये के राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य रखा गया है। शासन स्तर पर गंभीर मंथन के बाद तय हुआ कि अवैध शराब बनाने, बेचने वालों के खिलाफ प्रभावी अंकुश के लिए विभाग की प्रवर्तन इकाइयों को मजबूत बनाने, उन्हें जरूरी संसाधनों से युक्त करने के लिए 200 से 300 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।