एक मार्च 2020 के बाद अभिभावकों को खोने वाले छात्रों को 2500 रुपये प्रति माह की मदद दी जाएगी। इसी श्रेणी में 18 से 23 साल के छात्रों को जो कक्षा 12 की परीक्षा उत्तीर्ण कर स्नातक की डिग्री या डिप्लोमा प्राप्त करना चाहते हैं, उन्हें भी इसका लाभ दिया जाएगा
कोरोनाकाल में माता-पिता को खोने वाले बच्चों की उच्च शिक्षा का सपना यूपी सरकार साकार करेगी। इसके लिए सर्वे कराया जा रहा है। वाराणसी में भी यह सर्वे शुरू हो गया है। कोरोनाकाल में माता-पिता को खोने वाले बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य, देखरेख, पढ़ाई की मुकम्मल व्यवस्था करने के साथ ही अब सरकार 18 से 23 साल के छात्रों के उच्च शिक्षा ग्रहण करने के सपने को भी साकार करेगी।
उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना को कैबिनेट से मंजूरी मिलने के साथ ही महिला एवं बाल विकास विभाग की प्रमुख सचिव वी हेकाली झिमोमी की ओर से जिला प्रशासन को आदेश जारी किया जा चुका है। वाराणसी के जिला प्रोबेशन अधिकारी प्रवीण त्रिपाठी ने बताया कि 18 साल से कम उम्र के ऐसे छात्र जिन्होंने कोरोनाकाल में एक मार्च 2020 के बाद माता-पिता दोनों या एक/अभिभावक को खोया है उन्हें 2500 रुपये प्रति माह की मदद दी जाएगी।
इसी श्रेणी में 18 से 23 साल के छात्रों को जो कक्षा 12 की परीक्षा उत्तीर्ण कर स्नातक की डिग्री या डिप्लोमा प्राप्त करना चाहते हैं उन्हें भी इसका लाभ दिया जाएगा। इसके अलावा नीट, जेईई जैसी राष्ट्रीय, राज्यस्तरीय प्रतियोगी परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले मेधावियों को भी 23 वर्ष की आयु पूरी होने या स्नातक शिक्षा या डिप्लोमा प्राप्त करने के लिए योजना का लाभ दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि सर्वे कराया जा रहा है। ताकि अधिक से अधिक छात्रों को इसका लाभ मिल सके।