कई स्कूलों में नहीं बना मिड डे मील: सरकारी आदेश के आड़े आई चावल की कमी!

सरकार ने सोमवार से जिले के सभी संचालित प्रारंभिक स्कूलों में मध्याह्न भोजन बनाने का निर्देश दिया था। लेकिन, मुख्य रूप से चावल की कमी के कारण जिले में आधे से अधिक प्रारंभिक स्कूलों में भौतिक रूप से एमडीएम नहीं बन सका।जिले के चौदह प्रखंडों से मिली जानकारी के अनुसार कई स्कूलों में चावल की कमी रही तो कुछ स्कूलों में वेंडर द्वारा सामग्री नहीं पहुंचाने समेत कई समस्या के कारण एमडीएम नहीं बना। वैसे कुछ स्कूलों में एमडीएम बना और बच्चों ने उसका स्वाद भी चखा। यहां बता दें कि जिले के चौदह प्रखंडों के कुल 1746 प्रारंभिक स्कूलों में एमडीएम बनना था। जिसका लाभ करीब साढ़े तीन लाख बच्चों को मिलता। लेकिन, पचास फीसदी से अधिक स्कूलों में एमडीएम नहीं बना। एमडीएम डीपीओ मनीष कुमार सिंह ने बताया कि सोमवार से जिले के प्रारंभिक स्कूलों में एमडीएम बनाने का काम शुरू कर दिया गया है। कुछ जगहों पर चावल की कमी की बात सामने आयी है।

लों के हेडमास्टरों ने बताया कि विभाग से चावल उपलब्ध नहीं कराया गया है। चावल उपलब्ध नहीं होने से अस्सी फीसदी स्कूल में एमडीएम नहीं बना। चावल की कमी के कारण बगैर एमडीएम बनाए रसोईयों को स्कूलों से वापस लौटना पड़ा। कुछ स्कूलों में रसोईयां पहुंचकर बर्तनों की साफ- सफाई करती हुई देखी गईं। बीआरसी से मिली जानकारी के मुताबिक प्रखंड के 24 स्कूलों में एमडीएम के संचालन को लेकर वेंडर का चयन भी नहीं हो सका है। वेंडर की कमी के कारण भी कई काम लगातार प्रभावित हो रहे हैं।

सरकारी स्कूलों में सोमवार से बच्चों को एमडीएम का भोजन नहीं मिल पाया। जिसमें 50 फीसदी स्कूलों में चावल की कमी बताई गई। तो 40 ़फीसदी स्कूलों में सामग्री के अभाव में मिड-डे- मील योजना के तहत भोजन नहीं बन सका। स्कूलों में चूल्हा, रसोई गैस, बर्तन आदि की कमी बताई गई।

मिड-डे-मील योजना के प्रखंड को-ऑर्डिनेटर अमोद कुमार ने बताया कि इस सप्ताह में मिड-डे-मील योजना पूरी तरह सुचारू कर ली जाएगी। कई स्कूलों में अभी भी चावल का आवंटन उपलब्ध कराया जा रहा है। इस संबंध में बीईओ आशा कुमारी ने बताया कि सभी प्रधानाध्यापकों को मिड-डे-मील योजना सुचारू करने का निर्देश दिया गया है। ऐसा नहीं करनेवाले हेडमास्टरों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

 विभाग के निर्देश पर मात्र पांच फीसदी स्कूलों में ही भोजन बन पाया। एमडीएम प्रभारी हेमंत कुमार ने बताया कि चावल के अभाव में स्कूलों में भोजन नहीं बन पाया। उन्होंने बताया कि उत्क्रमित मध्य विद्यालय गहनी चकिया, राजापुर महंथवा सहित लगभग पांच फीसदी स्कूलों में ही भोजन बना। इन स्कूलों के हेडमास्टरों के द्वारा चावल की वैकल्पिक व्यवस्था करते हुए भोजन बनाया गया। जिला मुख्यालय से चावल का आवंटन प्राप्त हुआ है। एक से दो दिनों में स्कूलों में चावल पहुंच जाएगा। अगले सप्ताह से सभी स्कूलों में भोजन बनना शुरू हो जाएगा। इसको लेकर निर्देश दिए गए हैं।

सोमवार को मेन्यू के अनुसार बच्चों को चावल, दाल व हरी सब्जी देने का प्रावधान है। लेकिन, मेन्यू के अनुसार भोजन नहीं दिया गया और बच्चों को खिचड़ी व चोखा खाने के लिए दिया गया। इसकी शिकायत स्कूलों के हेडमास्टरों ने बीआरसी पर की है।

एमडीएम प्रभारी धर्मवीर कुमार ने बताया कि करीब 35 स्कूलों में चावल की कमी थी। जिसे कोइनी गोदाम से भेजा जा रहा है। बुधवार से इन स्कूलों में भी एमडीएम बनने लगेगा। 103 स्कूलों में साफ-सफाई के साथ बच्चों को एमडीएम खिलाया गया है। उधर, मध्याह्न भोजन शुरू होने से बच्चों में काफी खुशी देखी।