उच्च न्यायालय ने मच्छरों के प्रजनन को रोकने के उपायों के तौर पर कानून में संशोधन करने और जुर्माने की रकम को बढ़ाने का निर्देश दिया है। न्यायालय ने इसके लिए शुक्रवार को दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को व्यक्तिगत रूप से दखल देने को कहा है।
पीठ ने इसके साथ ही नगर निगमों सहित सभी संबंधित विभागों के संबंधित अधिकारियों को दिल्ली में जल व मच्छर जनित बीमारियों के नियंत्रण और रोकथाम के लिए उठाए जा रहे कदमों में बारे में अपनी कार्रवाई रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
पीठ ने सभी को इसके लिए अगली सुनवाई 25 मार्च तक का वक्त दिया है। न्यायालय ने यह आदेश तब दिया जब नगर निगम की ओर से अधिवक्ता ने बताया कि अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 482 में संशोधन के प्रस्ताव के संबंध में दिल्ली नगर निगम अधिनियम और एनडीएमसी अधिनियम की धारा 390 के तहत अभी भी सक्रिय विचाराधीन है। मौजूदा समय में गंदगी फैलाने या मच्छर पनपने के लिए जिम्मेदार लोगों पर 500 रुपये का जुर्माना वसूलने का प्रावधान है।
पांडे ने पीठ को बताया कि बीमारियों के रोकथाम के लिए मानक प्रोटोकॉल तय करने के मसौदे को अंतिम रूप देने के लिए 15 फरवरी को एक बैठक बुलाई गई थी। उन्होंने कहा कि बैठक में दिल्ली सरकार के बाढ़ और सिंचाई विभाग और शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने हिस्सा नहीं लिया। साथ ही कहा कि उत्तर प्रदेश राज्य के बाढ़ एवं सिंचाई विभाग के प्रतिनिधि भी नोटिस के बावजूद बैठक में शामिल नहीं हुए।
पीठ को यह भी बताया गया कि मच्छरों के प्रजनन को नियंत्रित करने के लिए नगर निगम के अधिकारियों को जेल कर्मचारियों द्वारा समुचित कदम उठाने के लिए मंडोली जेल परिसर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई है। इसके बाद पीठ ने जेल महानिदेशक को नोटिस जारी कर अगली बैठक में जेल मुख्यालय से एक वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल रहने का आदेश दिया।