सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के लिए दायर याचिका शुक्रवार को खारिज करते हुए कहा कि संविधान पीठ के फैसले के बाद यह निरर्थक हो गई है। संविधान पीठ ने अपने फैसले में कहा था कि दिल्ली को एक राज्य का दर्जा नहीं दिया जा सकता।
जस्टिस मदन बी. लोकुर, जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस दीपक गुप्ता की बैंच के समक्ष यह मामला आने पर याचिककर्ता के वकील ने पांच सदस्यीय संविधान पीठ के चार जुलाई के फैसले का हवाला दिया। बैंच ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि यह निरर्थक हो गई है।
न्यूज एजेंसी भाषा के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट संविधान के अनुच्छेद 239एए और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार कानून 1991 को असंवैधानिक घोषित करने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में इस व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा गया था कि भारत का कोई भी क्षेत्र पूर्ण राज्य या फिर केन्द्र शासित क्षेत्र ही हो सकता है।
याचिका में कहा गया था कि दिल्ली के लिए मौजूदा सांविधानिक व्यवस्था ही राष्ट्रीय राजधानी में प्रशासन के कुप्रबंधन के लिए जिम्मेदार है और वायु प्रदूषण, यातायात अवरुद्ध होने की परेशानी, पानी का जमाव और अनधिकृत निर्माण आदि इसी का नतीजा हैं। याचिका में कहा गया था कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देकर इन समस्याओं को हल किया जा सकता है।