नई दिल्ली । आम्रपाली बिल्डर के मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर बुधवार को तल्ख टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आम्रपाली बिल्डर की नीयत ठीक नहीं है। उसके हलफनामे से लगता है कि वह समाधान नहीं चाहता है। इसलिए बिल्डर लगातार कोर्ट को गुमराह कर रहा और मामले को खींचने का प्रयास कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पहले अधूर पड़ी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए पैसा आना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली को चेतावनी देते हुए कहा कि वह उसकी सारी संपत्तियां बिकवा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली के सीएमडी अनिल शर्मा द्वारा उनकी संपत्ति छिपाने को लेकर भी नाराजगी व्यक्त की। सुप्रीम कोर्ट ने बिल्डर को चेतावनी देते हुए कहा कि वह सात दिन में अपनी संपत्ति के नए आंकड़े कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करे। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने बिल्डर की नीयत पर सवाल उठाते हुए पूछा है कि उसने वर्ष 2015 से 2018 के बीच रिटर्न क्यों नहीं दाखिल किया।
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली समूह के सीएमडी अनिल शर्मा द्वारा 67 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित करने को भी ध्यान में लिया था। कोर्ट ने कहा था कि बिहार के जहानाबाद से 2014 में जदयू प्रत्याशी के रूप में लोकसभा का चुनाव लड़ने के दौरान अनिल शर्मा ने 847 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की थी। चार साल बाद उन्होंने सिर्फ 67 करोड़ रुपये की संपत्ति कोर्ट में दर्शाई है।
ऐसे में सवाल उठता है कि चार साल में आम्रपाली की 780 करोड़ रुपये की संपत्तियां कहां गायब हो गईं। इसे ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली के सीएमडी अनिल शर्मा एवं अन्य निदेशकों, उनके परिवार के सदस्यों की संपत्ति का ब्योरा चार दिनों में पेश करने को कहा था। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने वित्तीय गड़बड़ी का पता लगाने के लिए आम्रपाली, उसके मालिकों और निदेशकों के बैंक खातों का फोरेंसिक ऑडिट कराने का भी आदेश दिया था।
सुनवाई के दौरान एनबीसीसी ने कोर्ट को बताया था कि वह आम्रपाली समूह की 16 संपत्तियां नीलाम कर रुकी हुई परियोजनाओं का काम शुरू कराने के लिए शुरुआती राशि जुटाएगा। एनबीसीसी ने 15 रुकी परियोजनाओं पर काम शुरू करने की पेशकश की थी। आज होने वाली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट संपत्तियों की नीलामी और रुकी हुई परियोजनाओं का काम शुरू करने को लेकर कुछ अहम फैसले ले सकता है।
एनबीसीसी तीन चरणों में पूरा करेगा निर्माण
कोर्ट ने एनबीसीसी से कहा कि वह पूरा प्रोजेक्ट अपने हाथ में ले ले। प्रोजेक्ट पूरे करने के लिए कोर्ट पैसे का इंतजाम करके उसे देगा। उसे अपना पैसा नहीं लगाना होगा। एनबीसीसी ने कोर्ट को दी गई अपनी रिपोर्ट में परियोजनाओं को ए बी सी तीन श्रेणियों में बांटते हुए उन्हें पूरा करने का समय भी बताया है।
सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को कहा था कि फिलहाल आम्रपाली की 16 प्रॉपटी ही नीलाम की जा रही हैं। अगर इनकी नीलामी से प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए पर्याप्त रकम नहीं मिलती है तो बिल्डर और कंपनी के निदेशकों की व्यक्तिगत संपत्तियां भी नीलाम की जाएगी या बेची जाएगी। मामले में अगली सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 12 सितंबर की तिथि निर्धारित की है।
मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली ग्रुप की अधूरी रिहायशी परियोजनाओं को पूरा करने की जिम्मेदारी सरकारी संस्था नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन (एनबीसीसी) को सौंपी है। एनबीसीसी ने आम्रपाली की अधूरी पड़ी सभी रिहायशी परियोजनाओं का सर्वे कर इनका निर्माण पूरा करने के लिए तकरीबन 8500 करोड़ रुपये की आवश्यकता बताई है।
कोर्ट ने पहले बिल्डर को इस रकम का इंतजाम करने के आदेश दिए थे। बिल्डर द्वारा आदेश को गंभीरता से न लेने पर कोर्ट ने सख्त चेतावनी भी दी थी। इसके बाद कोर्ट ने बिल्डर की 16 प्रॉपर्टी को नीलाम करने का आदेश दिया है। इसमें बिल्डर की वो कमर्शियल प्रॉपर्टी भी शामिल हैं, जिन्हें वह हाथ से निकलने नहीं देना चाहता था। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट आम्रपाली के मालिकों और सभी वर्तमान व पूर्व निदेशकों की निजी संपत्तियों और खातों का ब्यौरा ले चुका है। इन सबके खाते कोर्ट के आदेश पर सील किए जा चुके हैं।
कोर्ट ने सभी को जेल भेजने की दी है चेतावनी
मालूम हो कि इससे पहले मंगलवार को मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बिल्डर को कड़ी फटकार लगाई थी। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि आम्रपाली की नोएडा व ग्रेटर नोएडा की रियल एस्टेट परियोजनाओं में बड़ी धोखाधड़ी हुई है। कोर्ट किसी को छोड़ेगा नहीं। खरीदारों का एक-एक पैसा वसूल किया जाएगा। कोर्ट ने कहा था कि इस धोखाधड़ में पर्दे के पीछे भी बहुत से लोग हो सकते हैं। अगर मामले में 100 लोगों को जेल भेजने की जरूरत पड़ी तो कोर्ट सबको जेल भेजेगी।