स्तनपान न करवाने से बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास पर प्रतिकूल असर पड़ता है। मां के दूध की तुलना दुनिया के किसी भी और आहार से नहीं की जा सकती है। मां का दूध किस-किस तरह से बच्चे को फायदा पहुंचाता है। स्तनपान करवाना न सिर्फ बच्चे के लिए, बल्कि मां के लिए भी फायदेमंद होता है। क्यों करवाएं बच्चे को स्तनपान, बता रही हैं डॉ. दर्शनी प्रिय
मां बनने का सुख अतुलनीय है। पर, यह सुख अपने साथ ढेरों जिम्मेदारियां भी लेकर आता है। मां की इन्हीं जिम्मेदारियों में से एक है, शिशु के लिए पोषण उपलब्ध कराना। जन्म के बाद मां का दूध बच्चे का पहला आहार होता है। यह शिशु के जन्म लेने से उसके बड़े होने तक में उसके चहुंमुखी विकास में मददगार होता है। ऐसा माना जाता है कि जिन बच्चों ने लंबे समय तक स्तनपान किया होता है, उनका मानसिक विकास स्तनपान न करने या कम समय तक करने वाले बच्चों की तुलना में ज्यादा होता है। पोषक तत्वों से भरपूर मां के दूध में वो सारी खूबियां हैं जो बच्चे को तमाम बीमारियों से दूर रखती हैं। मनोवैज्ञानिक भी मानते हैं कि स्तनपान से शिशु और मां के बीच भावनात्मक रिश्ता मजबूत होता है, जिससे बच्चा मां की गंध को जल्दी पहचानने लगता है।
करे शिशु का दिमाग तेज
मां के दूध में प्राकृतिक तौर पर डीएचएचए नाम का तत्व पाया जाता है जो दिमाग को चुस्त और तेज बनाता है। इससे शिशु को भावनात्मक सुरक्षा का एहसास होता है, जिससे मस्तिष्क के उचित विकास में सहायता मिलती है। स्तनपान न करने की तुलना में स्तनपान करने वाले बच्चे समूह और स्कूल में बेहतर प्रदर्शन करते हंै।
रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास
मां का दूध पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसमें मौजूद तत्व शरीर के भीतर मौजूद हानिकारक सूक्ष्म जीवों को नष्ट करके शरीर के भीतर ऐसे सूक्ष्म जीवों की संख्या बढ़ाते हैं जो बच्चे की सर्दी ,जुकाम और अन्य संक्रमित बीमारियों से रक्षा करते हंै। मां का दूध बच्चे के लिए एक तरह से सुरक्षा कवच का काम करता है जो भविष्य में होने वाली गंभीर बीमारयों से लड़ने में उसकी मदद करता है। मां के स्तन से पहली बार निकलने वाला गाढ़ा पीले रंग का द्रव्य संक्रमण से बचाने और रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत करने में मदद करता है।
दांत और जबड़े को दे मजबूती
शिशु का मुंह स्तन से दूध पीने के लिए सबसे ज्यादा अनुकूल होता है। इस प्रक्रिया से बच्चे का मुंह ठीक तरह से विकसित होता है। इससे दांत निकलने में सहायता मिलती है। स्तनपान करने से बच्चों के जबड़े न केवल मजबूत होते हैं, बल्कि आगे चलकर दांत निकलने में भी उन्हें कोई परेशानी नहीं होती।
बचाए मोटापे से
शिशु जब मां का दूध पीता है तो पेट भरते ही उसे असीम तृप्ति का एहसास होता है, जिससे वह आवश्यकता से ज्यादा दूध नहीं पी पाता और उसके शरीर पर अनावश्यक चर्बी नहीं चढ़ती। बोतल से दूध पीने वाले बच्चे जरूरत से ज्यादा दूध पीते हैं और मोटापे का शिकार हो जाते हैं। मां का दूध सुपाच्य होता है जो आगे चलकर बच्चे में रक्त कैंसर, मधुमेह और उच्च रक्तचाप का खतरा भी कम करता है।
दूर करे एलर्जी
अन्य प्रकार के दूध या आहार से शिशु को तरह-तरह की एलर्जी होने का खतरा बना रहता है। लेकिन मां के दूध के साथ ऐसा खतरा नहीं होता। मां के दूध में एक नैसर्गिक गुण है जो बच्चे को एलर्जी से बचाता है। मां के खानपान में बदलाव से भले ही दूध के गंध या रंग में बदलाव हो जाए,लेकिन इससे शिशु को कभी एलर्जी नहीं होती ।
इन स्थितियों में न कराएं स्तनपान
’ यदि आप टीबी या एड्स जैसी गंभीर बीमारी से
पीड़ित हैं।
’ यदि किसी विशेष प्रकार की दवा का सेवन कर रही हैं।
’ यदि आप फैक्ट्री आदि में काम कर रही हैं क्योंकि फैक्ट्री का जहरीला धुआं दूध के माध्यम से शिशु के शरीर तक पहुंच सकता है।
’ यदि आप किसी भी तरह का नशा करती हैं।
मां को भी होता है लाभ
’ स्तनपान कराने से मां की कैलोरी अधिक बर्न होती है और प्राकृतिक रूप से वजन घटता है और मोटापा कम होता है।
’ स्तनपान एक प्राकृतिक गर्भनिरोधक माना जाता है।
’ यह शिशु के साथ भावनात्मक लगाव पैदा करता है।
’ पोस्ट नेटल अवसाद को दूर करता है।
’ गर्भाशय को पुराने आकार में वापस लाने में मदद करता है।
’ स्तनपान से महिलाओ में स्तन या गर्भाशय के कैंसर का खतरा कम हो जाता है।
’ इससे तनाव कम होता है और प्रसव के बाद होने वाला रक्तस्राव भी कम होता है।