इलाहाबाद । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने देवरिया के नारी संरक्षण गृह में सेक्स रैकेट चलने की घटना पर सख्त रुख अपनाया है। कहा है कि कोर्ट सीबीआइ जांच की मानीटरिंग करेगी। इसके साथ ही राज्य सरकार व सीबीआइ के अधिवक्ता से 13 अगस्त को कृत कार्यवाही तथा उठाए गए कदमों की जानकारी मांगी है।
यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डीबी भोंसले तथा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने स्वत: प्रेरित और स्त्री अधिकार संगठन की तरफ से दाखिल जनहित याचिकाओं की सुनवाई करते हुए दिया है। कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि सेक्स रैकेट को राजनेताओं व वीआइपी से मिल रहे संरक्षण का पता लगाए। कोर्ट ने जानना चाहा कि आखिर दो कारें प्रत्येक दिन नारी संरक्षण गृह आती थीं, बच्चियों को बाहर ले जाती थीं और सुबह वापस छोड़ जाती थीं, वह किसकी हैं।
कोर्ट ने यह भी जानना चाहा है कि जब नारी संरक्षण गृह को ब्लैकलिस्टेड कर दिया गया था और सरकारी अनुदान बंद कर दिया गया था तो पुलिस, लड़कियों को इसी केंद्र में क्यों रखवाती थी? पुलिस के खिलाफ क्यों कारवाई नहीं की गई? कोर्ट ने इतने बड़े अमानवीय कृत्य में केवल चार अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई को संतोषजनक नहीं माना। हालांकि राज्य सरकार की ओर से हुई फौरन कार्यवाही की प्रशंसा की।
राज्य सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता नीरज त्रिपाठी ने कोर्ट को बताया कि सरकार ने प्रकरण की जांच सीबीआइ को सौंपने का एलान कर दिया है, जिसकी संस्तुति जल्द केंद्र सरकार को भेज दी जाएगी। साथ ही सेक्स रैकेट को पूरी तरह उजागर करने के लिए एसआइटी गठित कर दी है। बताया कि इस मामले में पुलिस की भूमिका की जांच के लिए एडीजी गोरखपुर को लगाया गया है।
पुलिस की कार्यप्रणाली की जांच कर कार्रवाई की जाएगी। त्रिपाठी ने बताया कि नारी संरक्षण गृह अवैध रूप से चल रहा था। 2017 में ही उसका लाइसेंस रद कर दिया गया था। केंद्र में मिलीं 14 लड़कियों को उनके अभिभावकों को सौंप दिया गया है। सात लड़कियां अभी भी लापता हैं। संचालिका को गिरफ्तार किया जा चुका है। कोर्ट ने सीबीआइ के अधिवक्ता ज्ञान प्रकाश से केंद्र के आदेश की जानकारी लेने को कहा है। मामले की प्राथमिकी प्रभात कुमार ने दर्ज कराई है।