33 वर्ष की उम्र में 1 करोड़ से ज्यादा फॉलोवर, जानिये- कौन हैं अरबों की मालकिन सुदीक्षा

नई दिल्ली । संत निरंकारी मिशन की आध्यात्मिक प्रमुख रहीं माता सविंदर हरदेव की मृत्यु के बाद अब मिशन के कमान छोटी बेटी सुदीक्षा के हाथ में होगी। अरबों रुपये की संपत्ति वाले संत निरंकारी मिशन की कमान संभालना सुदीक्षा के लिए किसी बड़ी चुनौती की तरह ही होगा, क्योंकि वर्तमान में दुनिया भर में मिशन के एक करोड़ से ज़्यादा भक्त हैं। दुनिया भर के 27 देशों में निरंकारी मिशन है और इसका मुख्यालय दिल्ली में स्थित है। बताया जा रहा है कि विदेशों में मिशन के 100 से ज्यादा केंद्र हैं। भारत में भी करीब हर राज्यों में लाखों की संख्या में उनके अनुयायी हैं।

जुलाई महीने में ही निरंकारी मिशन के पूर्व सतगुरु स्वर्गीय बाबा हरदेव सिंह की छोटी बेटी सुदीक्षा को गया सद्गुरु बनाया गया था। बुराड़ी के समागम मैदान में माता सविंदर हरदेव सिंह ने तिलक लगा कर इस बात की औपचारिक घोषणा की थी। निरंकारी मिशन के प्रेस इंचार्ज कृपा सागर ने बताया था कि मिशन में दोनों बड़ी बहनों को कोई जगह नहीं मिली।

2016 में चूक गई थी सुदीक्षा
बताया जाता है कि सुदीक्षा को साल 2016 में पिता हरदेव की मृत्यु के बाद ही गद्दी मिलने की पूरी उम्मीद थी,लेकिन किन्हीं कारणों से ऐसा संभव नहीं हो सका था।

कौन है सुदीक्षा
सुदीक्षा का जन्म 13 अप्रैल, 1985 को दिल्ली में हुआ और 2006 में एमिटी यूनिवर्सिटी से मोनो चिकित्सा में स्नातक करने के बाद 2010 मिशन के लिए विदेश का काम देखने लगीं। 33 वर्षीय सुदीक्षा के पति अवनीश सेतिया की भी कनाडा में बाबा हरदेव सिंह के साथ सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। बाबा हरदेव सिंह का कोई पुत्र नहीं है, उनकी तीन पुत्रियां है, जिनमें सुदीक्षा सबसे छोटी है।

संत निरंकारी मिशन से जुड़े देश-दुनिया के लाखों लोगों के लिए बुरी खबर, माता सविंदर का निधन
यहां पर बता दें कि संत निरंकारी मिशन की आध्यात्मिक प्रमुख रहीं माता सविंदर हरदेव (61) का रविवार शाम 5:05 बजे निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार चल रहीं थीं। उन्होंने छोटी बेटी सुदीक्षा को संत निरंकारी मिशन के प्रमुख के पद पर आसीन किया था।

निरंकारी बाबा हरदेव सिंह महाराज की मृत्यु के बाद वह मिशन की आध्यात्मिक प्रमुख रहीं। उनकी तीन बेटियां हैं। मिशन के प्रवक्ता कृपा सागर ने बताया कि उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए निरंकारी ग्राउंड संख्या आठ में रखा गया है और अंतिम संस्कार दिल्ली के निगम बोध घाट पर बुधवार दोपहर किया जाएगा।

यहां पर बता दें कि वह काफी समय से बीमार थी और इसके चलते पिछले महीने 17 जुलाई को माता सविंदर ने मिशन के छठवें सद्गुरु के रुप में अपनी छोटी बेटी सुदीक्षा को जिम्मेदारी सौंपी दी थी। संत निरंकारी मिशन के मीडिया प्रभारी कृपा सागर एवं विजय झाबा के अनुसार मिशन की सद्गुरु के रुप में माता सुदीक्षा सविंदर हरदेव महाराज रहेंगी।

निरंकारी कॉलोनी में छाया मातम
संत निरंकारी मिशन की आध्यात्मिक प्रमुख सविंदर हरदेव के निधन की खबर सुनकर उनके अनुयायियों को गहरा सदमा लगा है। निरंकारी कॉलोनी स्थित संत निरंकारी मंडल के मुख्यालय में बड़ी संख्या में अनुयायी पहुंच रहे हैं।

सविंदर कौर से की थी शादी
बाबा हरदेव सिंह का जन्म 23 फरवरी, 1954 को दिल्ली में हुआ था। 1980 में पिता की मौत के बाद उन्हें निरंकारी मंडल का मुखिया बनाया गया था। इसके पूर्व वह 1971 में निरंकारी सेवा दल में शामिल हुए थे। 1975 में उन्होंने फर्रुखाबाद की सविंदर कौर से शादी की थी।

1929 में निरंकारी मिशन की हुई स्थापना
संत निरंकारी मिशन की 1929 में स्थापना हुई थी। इस मिशन की 27 देशों में 100 शाखाएं चल रही हैं। भारत में भी तकरीबन हर राज्यों में लाखों की संख्या में उनके अनुयायी हैं। बाबा हरदेव सिंह को विश्व में मानवता की शांति के लिए कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं। उन्हें संयुक्त राष्ट्र संघ भी सम्मानित कर चुका है। निरंकारी मंडल की ओर से बुराड़ी स्थित मैदान में हर साल नवंबर में वार्षिक समागम का आयोजन किया जाता है। इसमें भारत समेत दुनिया भर के लाखों भक्त भाग लेते हैं।

जानें कौन थे बाबा हरदेव सिंह निरंकारी
संत निरंकारी मिशन के प्रमुख बाबा हरदेव सिंह का जन्म 23 फरवरी, 1954 को हुआ था। उन्होंने दिल्ली के संत निरंकारी कॉलोनी स्थित रोजेरी पब्लिक स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की थी। उसके बाद 1963 में उन्होंने पटियाला के बोर्डिंग स्कूल यादविंद्र पब्लिक स्कूल में दाखिला लिया। दिल्ली यूनिवर्सिटी से उन्होंने उच्च शिक्षा ग्रहण करने के बाद उन्होंने 1971 में एक सदस्य के रूप में निरंकारी सेवा दल ज्वॉईन कर लिया। 1975 में एक वार्षिक निरंकारी संत समागम के दौरान दिल्ली में उनकी शादी सविंदर कौर से हुई। अपने पिता की मौत के बाद 1980 में वे संत निरंकारी मिशन के मुखिया बने। उन्हें सतगुरू की उपाधि दी गई। 1929 में बाबा बूटा सिंह द्वारा संत निरंकारी मिशन की स्थापना की गई थी।