हरियाणा के सीएम खट्टर ने साफ की स्थिति: किसानों के खिलाफ दर्ज मामले कब लिए जाएंगे वापस?

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि कृषि कानूनों का समाधान होने के बाद केंद्र के निर्देशों के मुताबिक उनकी सरकार किसानों के खिलाफ पुलिस मामलों को वापस लेने पर निर्णय करेगी।

खट्टर ने एक सवाल के जवाब में यह बात कही। उनसे पूछा गया था कि केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा था कि केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लेना राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में हैं और उन्हें इस पर निर्णय करना होगा।

32 किसान संघों के संगठन संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर जब तक केंद्र उनकी मांगों को स्वीकार नहीं करता है और किसानों के खिलाफ मामले वापस नहीं लेता है, तब तक वे अपना आंदोलन जारी रखेंगे।

‘किसान महापंचायत’ में हिस्सा लेने पहुंचे टिकैत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एमएसपी के समर्थक थे, जब वह गुजरात मुख्यमंत्री थे और वह किसानों के हितों की गारंटी सुनिश्चित करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी कानून चाहते थे। उन्होंने मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर इस मुद्दे पर बहस से भागने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि केंद्र को किसानों को एमएसपी की गारंटी देने के लिए एक कानून लाना चाहिए। कृषि और श्रम क्षेत्रों से जुड़े कई मुद्दे हैं, जिन पर ध्यान देने की जरूरत है और हम उन्हें उजागर करने के लिए पूरे देश में यात्रा करेंगे। टिकैत ने यह भी मांग की कि केंद्र के तीन कृषि विपणन कानूनों के खिलाफ साल भर के विरोध प्रदर्शन में जान गंवाने वाले किसानों के परिजनों को वित्तीय सहायता दी जाए।

 कृषि सेवा करार कानून और आवश्यक वस्तु संशोधन कानून, 2020- के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर नवंबर 2020 से ही प्रदर्शन कर रहे हैं। केंद्र ने प्रदर्शनकारी किसानों के साथ कई दौर की बातचीत की थी। उसका कहना था कि कानून किसानों के हित में हैं, जबकि प्रदर्शनकारियों का दावा था कि कानूनों के कारण उन्हें कॉर्पोरेट घरानों की दया पर छोड़ दिया जाएगा।