साधुओं को नपुंसक बनाने के मामले में डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को पंचकूला स्थित विशेष सीबीआइ कोर्ट ने बड़ी राहत दी

पंचकूला। साधुओं को नपुंसक बनाने के मामले में डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को पंचकूला स्थित विशेष सीबीआइ कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। राम रहीम को इस मामले में जमानत मिल गई है। राम रहीम की जमानत याचिका पर उसे साध्वी यौनशोषण मामले में सजा सुनाने वाले जज जगदीप सिंह ने फैसला सुनाया। हालांकि साध्वी यौनशोषण मामले में राम रहीम को जेल में ही रहना होगा।

बता दें, सीबीआइ के स्पेशल ज्यूडिशियल जज कपिल राठी की कोर्ट से जमानत रद होने के बाद गुरमीत राम रहीम ने विशेष सीबीआइ अदालत में जमानत याचिका लगाई थी। मामले में अन्य आरोपित डॉ. पंकज गर्ग  भी जमानत पर है, जबकि डॉ. महिंदर इंसा को अभी जमानत नहीं मिल पाई है।

मामले में डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह, डॉ. एमपी सिंह एवं डॉ. पंकज गर्ग के खिलाफ आरोप तय होने के बाद गुरमीत राम रहीम ने जमानत याचिका लगाई थी। राम रहीम ने कहा था कि मामले में आरोपित डॉ. पंकज गर्ग एवं एमपी सिंह को जमानत मिल चुकी है, इसलिए उसे भी जमानत दी जाए, परंतु स्पेशल ज्यूडिशियल जज कपिल राठी की कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी थी। लेकिन, आज स्पेशल सीबीआइ अदालत ने उसे जमानत दे दी।

सीबीआइ की विशेष अदालत ने साधुओं को नपुंसक बनाए जाने के मामले में राम रहीम सहित डॉ. मोहिंद्र इंसा व डॉ. पीआर नैन पर अगस्त में आरोप तय किए थे। तीनों के खिलाफ आइपीसी की धारा 326, 417, 506 और 120बी के तहत आरोप तय किए गए थे।

आरोप तय करने के पूर्व बचाव पक्ष ने बहस करते हुए धारा 326, 417 और 120बी हटाने के लिए अपना पक्ष रखा। बचाव पक्ष के वकील ध्रुव गुप्ता ने बहस करते हुए कहा कि गुरमीत राम रहीम द्वारा किसी को भी नपुंसक नहीं बनाया गया है और वैसे भी इस मामले में सेक्शन 326 नहीं बनता, क्योंकि जिन लोगों को नापुंसक बनाने की बात आ रही है, उनके सर्जिकल आपरेशन हुए हैं। सेक्शन 326 किसी खतरनाक हथियार का प्रयोग करने पर लगता है, जबकि इनका सर्जिकल आप्रेशन हुआ है, इसलिए इस सेक्शन को हटाया जाना चाहिए।

ध्रुव गुप्ता ने धारा 417 (चीटिंग) पर पक्ष रखते हुए कहा था कि गुरमीत राम रहीम ने किसी के साथ धोखा नहीं किया है। इन साधुओं को मोक्ष प्राप्त करना था, इसलिए इन्होंने अपने अंडकोष कटवाए। इसमें राम रहीम का कोई लाभ नहीं था। कोई भी इंसान धोखाधड़ी तभी करता है, जब उसका कोई लाभ हो। इन साधुओं के अंडकोष कटवाने से गुरमीत राम रहीम को कोई लाभ नहीं होना था। मोक्ष केवल मरने के बाद ही मिल सकता है, इसलिए इस मामले में सेक्शन 417 भी नहीं बनती।

इसके अलावा 120बी अपराधिक षड्यंत्र पर गुरमीत राम रहीम के वकील और दोनों डॉक्टरों एमपी सिंह एवं पंकज गर्ग के वकीलों ने बहस करते हुए कहा कि अपराधिक षड्यंत्र कतई नहीं बनता, क्योंकि यदि मान लिया जाए कि गुरमीत राम रहीम ने साधुओं को मोक्ष प्राप्ति के लिए अंडकोष कटवाने के लिए कह दिया, लेकिन इससे डॉक्टरों को क्या लाभ होना था। डॉक्टरों को तो यदि साधुओं ने कहा कि अंडकोष काट दिए जाएं, तो उन्होंने आपरेशन कर दिया। अपराधिक षड्यंत्र तभी बनता है, जब तीनों का उद्देश्य एक हो, इसलिए यह धारा भी हटाई जानी चाहिए।

वकीलों ने बहस करते हुए कहा कि यदि गुरमीत राम रहीम ने वर्ष 2000 में मोक्ष की बात कही थी तो उन्होंने वर्ष 2012 में शिकायत क्यों की। उन्हें एक साल बाद जब मोक्ष नहीं मिला, तो उसी समय क्यों नहीं शिकायत की गई। इसलिए लगाए गए आरोप गलत है। इसके बाद आरोपितों के खिलाफ आरोप तय कर दिए गए थे।