साइबर क्राइम ब्रांच ने कोलकाता से रिटायर अधिकारियों व कर्मचारियों के खाते साफ करने वाले दो दबोचे

साइबर क्राइम ब्रांच ने कोलकाता से रिटायर अधिकारियों व कर्मचारियों के खाते साफ करने वाले दो दबोचे 

विजय मंडल उर्फ प्रमोद मंडल मूलरूप से झारखंड के दुमका स्थित सलजोर बंदरी का रहने वाला है। वहीं उसका साथी मंटू मंडल धनबाद के महुआदाप का रहने वाला है। दोनों ने बैंक खातों से ऑन लाइन ठगी करने का गिरोह चलाते हैं। 

साइबर क्राइम ब्रांच थाने की टीम ने सरकारी नौकरी से रिटायर कर्मचारियों व अधिकारियों सहित पुलिसकर्मियों के खाते से करोड़ों रुपये उड़ाने वाले गिरोह के दो सदस्यां को दबोचा है। दोनों को पुलिस टीम ने कोलकाता से गिरफ्तार किया है। पकड़े गये आरोपी झारखंड के दुमका के रहने वालले प्रमोद मंडल व मंटू मंडल है। हाल के दिनों में इन दोनों ने चार पुलिसकर्मियों सहित कई लोगों को अपना शिकार बनाकर 5.16 करोड़ रुपये ठगे हैं। 

एडीजी साइबर क्राइम रामकुमार के मुताबिक विजय मंडल उर्फ प्रमोद मंडल  मूलरूप से झारखंड के दुमका स्थित सलजोर बंदरी का रहने वाला है। वहीं उसका साथी मंटू मंडल धनबाद के महुआदाप का रहने वाला है। दोनों ने बैंक खातों से ऑन लाइन ठगी करने का गिरोह चलाते हैं। उनके निशाने पर रिटायर सरकारी कर्मचारी, पुलिसकर्मी होते हैं। जिनके मोबाइल पर कॉल कर निजी जानकारी हासिल कर उनके खातों को साफ कर देते हैं। दोनों के खिलाफ चार पुलिस कर्मियों समेत दर्जनों लोंगों ने ठगी के मुकदमें दर्ज करा रखे थे।

मुकदमों की विवेचना में सामने आया कि इन मामलों में झारखंड के प्रमोद मंडल गैंग का हाथ है। मोबाइल नंबरों, बैंक खाते की डिटेल आदि की मदद से आरोपियों को पुलिस टीम खोज सकी। इन लोगों ने धौलपुर राजस्थान के अभिषेक राजपूत, पुणे महाराष्ट्र के जयंत मणिकर और  तेलंगाना, मिर्जापुर, औरैया आदि जिलों के लोगों के भी ठगा है। साथ ही लखनऊ हजरतगंज थाने और थाना साइबर क्राइम परिक्षेत्र वाराणसी में दर्ज मुकदमों में भी वांछित थे। इन लोगों ने करीब 5.16 करोड़ रूपये ठगी करने की बात सामने आई है।

खाते में करा देते है अपना मोबाइल नंबर अपडेट 

इंस्पेक्टर अजीत यादव के मुताबिक साइबर ठगी का गिरोह चलाने वाले प्रमोद मंडल के मुताबिक सरकारी रिटायर कर्मियों के डाटा को हासिल करते हैं। उसके बाद पेंशन धारकों को फोन करके पेंशन व खाता अपडेट करने की बात कहकर अपनी बातों में फसाते थे। उनकी निजी जानकारी लेने के बाद उनके बैंक खातो में ऑनलाइन ट्रांजएक्शन सुविधा एक्टिवेट कर देते। साथ ही उसमें अपना मोबाइल नंबर अपडेट कर देते। जिससे ओटीपी और पैसा निकलने का मैसेज पीड़ित तक नहीं पहुंचता।

वहीं पीड़ित को ठगी की जानकारी बैंक में पैसा निकालने पर होती। तबतक यह लोग पूरा खाता खाली कर चुके होते थे।साइबर क्राइम थाना लखनऊ पर पुलिस पेंशन धारक महिला हेड कांस्टेबल एस्टरडीन ने पिछले दिनों करीब 9 लाख रूपये और सब-इंस्पेक्टर रामलखन चौधरी ने 10 लाख ठगी होने की शिकायत की थी। ऐसे ही सब-इंस्पेक्टर छोटे लाल खां के करीब 11 लाख रुपये और सब-इंस्पेक्टर उदयवीर सिंह के करीब 10 लाख की ठगी का मुकदमा हरदोई कोतवाली में दर्ज है।