वरुण गांधी ने कहा-उद्योगपति पैसा लेकर भागे तो 80 प्रतिशत किसानों ने बैंक का कर्ज चुकाया

सुल्तानपुर। नेहरू परिवार के वंशज तथा भारतीय जनता पार्टी के सांसद वरुण फिरोज गांधी ने आज देश के कुछ उद्योगपतियों को भगोड़ा तो किसान को राष्ट्र निर्माता बताया। आज अपने संसदीय क्षेत्र को बड़ी सौगात देने के साथ वरुण गांधी ने वहां मौजूद लोगों को राष्ट्रीयता के भी अवगत कराया। वह आज अपने संसदीय क्षेत्र सुल्तानपुर के दौरे पर थे।

सुल्तानपुर में वरुण गांधी ने महिला अस्पताल के साथ पांच प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना और सांसद निधि से बनीं 42 सड़क का लोकापर्ण किया। इनके साथ उन्होंने पंडित राम नरेश त्रिपाठी सभागार में अपनी पुस्तक ए रूरल मेनिफेस्टो का विमोचन किया। यह पुस्तक उन्होंने करीब दो वर्ष के शोध के बाद लिखी है।

वरुण गांधी ने इस अवसर पर लोगों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि यह सत्य है कि अगर गांव बढ़ेगा तो देश बढ़ेगा। हम सभी को मिलकर गांवों को आगे बढ़ाना है। यहां पर लोग बड़ी संख्या में रहते हैं, यहां का विकास ही सच्चा विकास होगा। वरुण गांधी ने कहा कि देश का किसान बेहद ईमानदारी से काम करता है। अभी तक का मेरा यह अनुभव है कि देश के 80 प्रतिशत किसानों ने अगर बैंक से कर्ज लिया है तो उसको चुकाया भी है। दूसरी ओर उद्योगपति पैसा लेकर भाग गए हैं। अब उनको तलाशा जा रहा है।

उन्होंने कहा कि जब हम किसानों की बात करते हैं तो दान, कर्जमाफी पर कहा जाता है कि इससे किसान बर्बाद हो जाएंगे। माफ करियेगा आज जो बैंक डूबे हैं वह किसान की वजह से नहीं। जो उद्योगपति पैसा लेकर भागे उनकी वजह से बैंक डूबे। देश के 80 प्रतिशत किसानों ने अपना कर्ज चुकाया है। 1980 से किसानों का कर्ज एक तरफ करें और 50 औद्योगिक घरानों का कर्ज एक तरफ करें तो किसानों का कर्ज उनकी तुलना में यह सिर्फ 19 फीसद है।

वरुण गांधी ने कहा कि हमने गुजरात व महाराष्ट्र के गांवों की स्टडी की। इनमें गुजरात के किसानों के पास 90 फीसदी सिंचाई के साधन हैं। इसके विपरीत विदर्भ में सिर्फ नौ फीसदी सिंचाई के साधन हैं। वहां पर इसके कारण रोज आठ-नौ किसान फसल को सींच न पाने के कारण आत्महत्या कर रहे हैं। यह बेहद दयनीय है। वरुण गांधी ने कहा कि उत्तर प्रदेश का ही उदाहरण लें। यहां के मलिहाबाद में हर वर्ष 57 फीसद आम खराब हो गाता है। प्रदेश में सिर्फ मलिहाबाद में 450 टन आम पैदा होता है। इसके विपरीत आम का स्टोरेज यहां सिर्फ 20 टन है। यूपी में 2000 टन धान की पैदावार है। स्टोरेज 200 टन का है। क्या हम सूबे के किसानों के लिए स्टोरेज नहीं बना सकते। किसान रात दिन अपनी उपज बेचने के लिए ट्राली पर सोता है। क्या यह ठीक है। उन्होंने कहा कि पराली जलाने पर पंजाब व हरियाणा में ढाई हजार पेनाल्टी लगती है। इसके विपरीत सर्वाधिक प्रदूषण उद्योगों से होता है। वहां पर सब सेटिंग-गेटिंग से काम हो जाता है। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष मैं बैंगलोर में था। वहां 15 हजार पेड़ कट रहे थे। मुख्यमंत्री को नौजवानों के सामने झुकना पड़ा। नौजवान आगे आए तो उनको अपना फैसला वापस लेना पड़ा।

वरुण गांधी ने कहा कि हमको देश के साथ प्रदेश के सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर भी बेहतर करना होगा। उन्होंने कहा कि मुझे पता चला है कि देश में 81 प्रतिशत आइएएस अधिकारी सरकारी स्कूल में पढ़कर सामने आए हैं। अब तो लोगों का जोर निजी स्कूलों में अधिक है। निजी स्कलों में फीस अधिक है, इसके बाद भी लोग उसकी ओर आकर्षित हैं। देश के सिर्फ 17 प्रतिशत लोग ही महंगी फीस देकर अपने बच्चों को वहां पर पढ़ा सकते हैं। यह भी पता चला है कि वहां पर शिक्षा का स्तर उतना अच्छा नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने इन स्कलों में 25 प्रतिशत बच्चों को प्रवेश देने को कहा है, इसके बाद भी सिर्फ 20 फीसद सीट बढ़ी गई है। मेरी किताब में इन्ही सब समस्याओं का समाधान किताब में हैं। उन्होंने कहा कि जो पोस्ट ग्रेजुएट अपने को बेरोजगार बताते हैं। अगर वह गांव में जाकर पढ़ाएं तो एक दिन में टीचरों की कमी पूरी हो जाएगी।

वरुण गांधी ने कहा कि हमारे पड़ोसी बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था एशिया की सबसे तेज गति से बढ़ती अर्थव्यवस्था बन गई है। वहां पर लोग केवल कपड़ों पर व्यवसाय करते हैं। हमारे देश में भी राष्ट्रीय रोजगार नीति बननी चाहिए। अगर एक लाख रुपये हैंडलूम में लगे तो 24 नौकरी पैदा होती है। अगर लोहे पर 24 लाख लगाएं तो एक नौकरी पैदा होती है तो हमें किस ओर चलना चाहिए। उन्होंने कहा कि पहले प्रदेश के भदोही में रोजगार मेला लगता था आज सूना है। उन्होंने कहा कि उद्योगपति का पैसा भी अगर समाज के आखिरी व्यक्ति तक पहुंचता तो आज देश की दशा कुछ और होती।

वरुण गांधी ने कहा कि भारत माता की सिर्फ जय बोलने से जय नहीं होती, बल्कि उसके लिए हमें अपना सर्वस्व न्योछावर करना होगा। वृक्ष लगाइए यहां पर सफाई रखिये तब मानूंगा कि आप में राष्ट्रीयता है। इस मौके पर वह अपने संसदीय क्षेत्र के लोगों को भी टोकने से नहीं चूके। उन्होंने कहा कि सुल्तानपुर के लोग प्लास्टिक में कुछ पीकर फेंक देते हैं। ऐसा मत करिए।

आंदोलन में 1876 में है सुल्तानपुर का पहला उल्लेख 

रुण गांधी ने कहा कि देश की आजादी के आंदोलन में सुल्तानपुर का सबसे पहला उल्लेख 1876 में है। जब कलकत्ता में अंग्रेजों ने कहा हिंदुस्तानी को आइसीएस में तभी रखा जा सकता है, जब पूरे देश में यह लागू हो कि कोई भी अंग्रेज उसके लिए क्वालीफाई नहीं है। सुरेंद्र नाथ बनर्जी ने उस वक्त सुल्तानपुर के गोमती नदी के किनारे इसके खिलाफ पांच हजार से अधिक लोगों को आंदोलित और संबोधित किया। वरूण गांधी ने आगे कहा कि मैं सुल्तानपुर से चुनाव जीता, लेकिन पूरे देश का सांसद बना। मैं सभी के लिए सोचता हूं। अब तो मैं सुल्तानपुर का नाम पूरे देश में बढ़ाने आया हूं। राजनीति में पैसे और नाम कमाने के लिए नहीं हूं। हम देश को कुछ देने आया हूं। नाली खड़ंजा तो आपका प्रधान भी बना देगा। राजनीति सबसे कठोर है। परिवार के साथ भी समय नहीं मिलता है, 24 घंटे परिश्रम करना पड़ता है। इसका फायदा मुझे नहीं, लेकिन आने वाली पीढ़ी को मिलेगा।

लागू हो पेटिशन मुकदमा सिस्टम

वरुण गांधी ने कहा कि देश में पेटिशन मुकदमा सिस्टम आना चाहिए। मतलब अगर क्षेत्र के लाखों लोग उस पर साइन करें तो उस पर सदन में चर्चा होनी चाहिए। यही लोकतंत्र है। अगर एक लाख लोग साइन करें और उस पर चर्चा हो तभी डेमोक्रेसी सही है। यही सिस्टम मैं देश में कराना चाहता हूं। उन्होंने कहा कि राजनीति में भ्रष्टाचार के मैं सख्त खिलाफ हूं। मुझे कोई माई का लाल नहीं बोल सकता कि मैंने एक रुपया किसी से रिश्वत लिया है। क्या सौ सांसद ऐसी हिम्मत दिखा सकते हैं कि उन्हींने एक रुपये रिश्वत नहीं ली। जो ऐसा कर रहा है वो देश का गद्दार है।