लोकसभा चुनाव: वेस्ट यूपी से एक बार फिर शुरू होगा सियासी संग्राम

Lok Sabha Election 2019:- चुनावी रणभेरी बज गई है और चुनाव की तिथियों का ऐलान हो चुका है। एक बार फिर से पश्चिमी उत्तर प्रदेश से ही सियासी संग्राम की शुरुआत होने जा रही है। पहले चरण में मेरठ और सहारनपुर मंडल की सात और मुरादाबाद मंडल की बिजनौर लोकसभा सीट पर मतदान होना है। इसके बाद सभी सियासी दलों के लिए यहीं से अपने पक्ष में माहौल बनाने की चुनौती बढ़ गई है। भाजपा जहां एक बार फिर से यहां पर सभी को मात देने की तैयारियों के साथ रण में हैं, वहीं बसपा सुप्रीमो का यह इलाका गृह और कर्मक्षेत्र है। इसके अलावा रालोद की तो सारी ताकत ही इसी इलाके में है और उसके दोनों मुखिया स्वयं यहीं से चुनावी रण में हैं।
इस इलाके की यदि हम बात करें तो 2014 में यहां भाजपा ने क्लीन स्वीप किया था और सभी सीटों पर भाजपा के प्रत्याशियों ने बड़े अंतर से जीत हासिल की थी। 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगे के बाद बदले सियासी समीकरणों में भाजपा को बड़ी राहत दी थी। भाजपा अपने चुनावी अभियानों की शुरुआत यहीं से करते हुए पश्चिमी उत्तर प्रदेश से माहौल बनाकर पूर्वी उत्तर प्रदेश तक ले गए थे। 2014 में प्रथम चरण में दस सीटों पर वोट पड़े थे लेकिन इस बार आठ सीटों पर ही प्रथम चरण में मतदान कराया जा रहा है। इनमें मेरठ मंडल की चार लोकसभा सीटें मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, सहारनपुर मंडल की तीनों लोकसभा सीटें सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर और मुरादाबाद मंडल की एक बिजनौर लोकसभा सीट पर प्रथम चरण में मतदान होगा और एक माह बाद 11 अप्रैल को यहां पर जनता अपना फैसला सुना देगी। इस जनादेश को अपने पक्ष में करने की चुनौती सभी दलों के स

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मतदान से बनेगा माहौल
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिस इलाके में प्रथम चरण का मतदान होना है, वह सभी दलों के लिए अहम है। यह मुजफ्फरनगर दंगे से प्रभावित इलाका है। मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से इस बार स्वयं रालोद मुखिया चौधरी अजित सिंह सियासी मैदान में हैं और उन्होंने अपनी पैतृक बागपत लोकसभा सीट पर सियासी विरासत बेटे जयंत चौधरी को सौंप दी है। इस सीट से जयंत मैदान में होंगे। वहीं दूसरी सबसे अहम सीट कैराना है, जहां 2018 में हुए उपचुनाव में भाजपा से यह सीट गठबंधन छीनने में कामयाब रहा था लेकिन इस बार भाजपा हर हाल में इस सीट पर अपना कब्जा चाहती है। इसके अलावा बसपा सुप्रीमो मायावती की गृहनगर की सीट गौतमबुद्धनगर और कर्मक्षेत्र की सीट सहारनपुर और बिजनौर पर भी इस चरण में मतदान होना है। गौतमबुद्धनगर के बादलपुर गांव में बसपा सुप्रीमो का जन्म हुआ था। सहारनपुर से विधानसभा चुनाव जीतकर वह दो बार मुख्यमंत्री बनीं और बिजनौर से वह जीत कर पहली बार लोकसभा पहुंची थीं। केन्द्र सरकार के दो मंत्रियों जरनल वीके सिंह और डॉ. महेश शर्मा के लोकसभा क्षेत्र गाजियाबाद और गौतमबुद्धनगर में भी इसी चरण में मतदान होना है। मेरठ पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजधानी है ही, जहां पार्टी का क्षेत्रीय कार्यालय भी है। इस पूरे इलाके में भाजपा के तमाम वरिष्ठ नेता लगातार सक्र

पश्चिमी उत्तर प्रदेश इसलिए है अहम
2014 में पश्चिमी मे बने माहौल ने ही यूपी मे दिलाई थी भाजपा को सबसे बड़ी जीत
एक बार फिर से पश्चिमी बन केंद्र, यहीं होगा बड़ा सियासी संग्राम
गठबंधन और भाजपा दोनों के लिए ही यह इलाका बना अहम
भाजपा के हो चुके हैं बड़े कार्यक्रम, विपक्ष मौन
इस इलाके में यदि चुनावी दलों की तैयारी की बात करें तो भाजपा यहां अनेक बड़े कार्यक्रम कर चुकी है और विपक्षी मौन हैं। पीएम नरेंद्र मोदी पिछले हफ्ते में लगातार तीन दिन में तीन बड़े कार्यक्रम यहां कर चुके हैं। केंद्र के मंत्री लगातार इस इलाके के दौरे पर रहे हैं। मुख्यमंत्री भी यहां लगातार सक्रिय हैं। भाजपा की बड़ी बैठकों का अयोजन इस सभी लोकसभा क्षेत्रों में हो चुका है, जबकि विपक्ष अभी तक पूरी तरह से मौन है और गठबंधन की कोई बड़ी गतिविधि इस इलाके में नहीं हुई है।
2014 में बड़े अंतर से इन सीटों को जीती थी भाजपा

  • मेरठ- 2,32,324
  • सहारनपुर- 65,090
  • कैराना- 2,36,828
  • मुजफ्फरनगर- 4,01,150
  • बागपत- 2,09,866
  • गौतमबुद्धनगर- 2,80,212
  • गाजियाबाद- 5,67,260
  • बिजनौर- 2,57,774