साल 2012 में 16 दिसम्बर के दिन दिल्ली में हुए देश को झकझोर कर देने वाले ‘निर्भया कांड’ के इतने वर्षों बाद भी महिला उत्पीड़न, दहेज उत्पीड़न, बालात्कार जैसे कुकृत्यों पर लगाम नहीं लग सकी है। जिसके चलते हर वर्ष अनेकों मामले सामने आते रहते हैं। इसी निर्भया कांड की स्मृति व समाज मे बढ़ रहे बालात्कार जैसे संगीन मामलों को रोकने के लिए रविवार की शाम दिल्ली के ‘इंदिरा गांधी नेशनल सेन्टर ऑफ आर्ट्स’ में राष्ट्रीय महिला आयोग व डायलॉग इनिशिएटिव फाउंडेशन द्वारा ‘वीमेन सिक्योरिटी एंड सोसाइटी’ नामक संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य स्त्रियों के विरुद्ध हो रही ऐसी घटनाओं, अत्याचार और शोषण के खिलाफ समाज को जागरूक करना था। इस कार्यक्रम में राजनीतिक, प्रशासनिक व सामाजिक रूप से अपना योगदान देने वाले कई महानुभाव उपस्थित हुए। कार्यक्रम दो सत्रों में आयोजित हुआ।
‘ऐसे मामलों को रोकने की जिम्मेदारी सरकार से कहीं ज्यादा समाज की है’
इस संवाद के प्रथम सत्र की शुरुआत कार्यक्रम के आयोजक और डायलॉग इनिशिएटिव फाउंडेशन के संस्थापक ट्रस्टी राकेश योगी (प्राध्यापक, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्व विद्यालय) ने किया। कार्यक्रम में पधारे सभी अतिथियों को सम्मानित करने के बाद राकेश योगी ने कहा, ‘हम सामाजिक रूप से एक दूसरे से जुड़े तो हैं लेकिन एक दूसरे से संवाद स्थापित नहीं कर पा रहे हैं और इसी के कारण ‘निर्भया कांड’ जैसी घटनाएं हमारे समाज का हिस्सा बन गई हैं। आज के इस संवाद के पीछे बहुत बड़ी पीड़ा छिपी है।’ कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे भाजपा के दिल्ली प्रदेशाध्यक्ष और सांसद सदस्य मनोज तिवारी ने अपने वक्तव्य की शुरुआत करते हुए कहा, ‘मुझे गर्व है निर्भया का परिवार उस घटना के बाद समाज से छिप कर नही बल्कि उसके बीच में रहता है। ऐसे मामलों को रोकने के लिए सर्फ सरकार की ही नहीं बल्कि हमारी भी कुछ जिम्मेदारियां हैं। हमें जागरूक होना पड़ेगा, हमें ही इस सामाजिक बुराई के खिलाफ लड़ना पड़ेगा।
हमें बच्चों से बात करके उन्हें गलत-सही के बारे में बताना होगा’
मैक्स हॉस्पिटल की डॉ सौम्या मुद्गल जो कि साइकियाट्रिस्ट हैं, ने भी अपने वक्तव्य के माध्यम से समाज को अपनी जिम्मेदारियों का एहसास कराते हुए कहा कि निर्भया कांड के बाद इतने वर्षों में सरकार के द्वारा कितने नियम, कायदे और कानून बनाए गए लेकिन आज भी अखबार के पन्ने रेप व महिला उत्पीड़न की खबरों से भरे रहतें है। ऐसी घटनाओ का मुख्य कारण हमारी सोच है जो कहीं ना कहीं ऐसी घटनाओं को बढ़ावा देती है। जितना इन घटनाओं के जिम्मेदार हम हैं उतना ही इन्हें रोकने की जिम्मेदारी भी हमारी ही है। अपने शब्दों को विराम देते हुए उन्होंने कहा कि आज के समय में परिवार को खुल कर अपने बच्चों के साथ बात करके उन्हें सही गलत का अंतर बताना चाहिए। उनकी छोटी-छोटी हरकतों को नजरअंदाज करके हम भविष्य में होने वाली बड़ी घटनाओं को बढ़ावा देतें हैं।
‘लड़कियों के साथ भेदभाव से समाज में पनपती है ऐसी मानसिकता’
रेडियो मिर्ची की आरजे सायमा रहमान ने कहा कि सिर्फ 16 दिसम्बर ही नहीं बल्कि हर रोज कितनी निर्भया बालात्कार की शिकार होती हैं। आज हमारे समाज मे लिंग भेद होता है जिसके चलते समाज महिलाओं को पुरुषों से कमजोर समझता है और हमेशा उन्हें पीड़ा देता है। शायद कहीं ना कहीं यही कारण है जो रेप और दहेज जैसी घटनाओं को बढ़ावा देता है। उत्तर प्रदेश महिला आयोग की सदस्य अवनी सिंह ने कहा कि महिलाओ के लिए सरकार को आगे आकर महिलाओ के हित मे कड़े फैसले लेने होंगे। कार्यक्रम के तीनों ही सत्रों की अध्यक्षता ‘मानव रचना विश्वविद्यालय’ की डीन डॉ नीमो धर ने की। प्रथम और तृतीय सत्र का संचालन ‘माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, नोएडा कैम्पस’ की सह प्रभारी श्रीमती रजनी नागपाल ने की। इस अवसर पर बड़ी संख्या में गणमान्य लोग मौजूद रहे।