नई दिल्ली । खुदरा एवं थोक महंगाई के आंकड़ों में नरमी के चलते रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) फरवरी की पॉलिसी बैठक के दौरान अपने नजरिए को सख्त रखने के बजाए सामान्य रख सकता है। एक रिपोर्ट के जरिए यह जानकारी सामने आई है।
थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर यानी सीपीआई इन्फ्लेशन दिसंबर में 18 महीनों के निचले स्तर के साथ 2.19 फीसद पर रही थी जबकि नवंबर महीने में यह 2.33 फीसद रही थी। वहीं दिसंबर 2017 में यह 5.21 फीसद के स्तर पर रही थी। वहीं दूसरी तरफ थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर डब्ल्यूपीआई की बात करें तो यह दिसंबर में 8 महीने के निचले स्तर के साथ 3.80 फीसद पर रही। जबकि नवंबर 2018 में यह 4.64 फीसद और दिसंबर 2017 में 3.58 फीसद रही थी।
यह लगातार पांचवां महीना रहा है जब सीपीआई आधारित महंगाई दर का आंकड़ा आरबीआई के 4 फीसद के लक्ष्य से नीचे रहा है। कोटक रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, “नरम मुद्रास्फीति ने मॉनीटरी पॉलिसी कमिटी का झुकाव नरम रुख की ओर कि. है। दिसंबर में सीपीआई और डब्ल्यूपीआई के आंकड़ों क्रमश: 2.2 फीसद और 3.8 फीसद ने इस विश्वास को पुख्ता करने का काम किया है कि एमपीसी फरवरी बैठक के दौरान अधिक नरम रुख अपनाएगा और अपने रुख को सख्त से तटस्थ की ओर ले जाएगा।”
गौरतलब है कि आरबीआई ने घोषणा की है कि उसकी छठी द्वैमासिक मॉनीटरी पॉलिसी बैठक 7 फरवरी को होगी। इस रिपोर्ट में सीपीआई के मार्च 2019 में 3.3 फीसद के आस पास रहने का अनुमान लगाया गया है।