बढ़ते पाॅल्यूशन व धूम्रपान के कारण तेजी से बढ़ रहे हैं सीओपीडी के मरीज

प्रदूषण के मामले में शहर सभी रिकार्ड तोड़ चुका है। जिले में पाॅल्यूशन के साथ स्मोक करने वालों की भी काफी संख्या है। ये दोनों ही जानलेवा बीमारी क्रॉनिक आब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी)) का बड़ा कारण हैं। एक बार इस बीमारी के शिकंजे में आने के बाद मरीजों को काफी परेशानी झेलनी पड़ती है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार बीमारियों से होने वाली मौतों में सीओपीडी चौथा बड़ा कारण है। औद्योगिक नगरी में भी सीओपीडी मरीजों की संख्या कम नहीं है। बीके अस्पताल समेत प्राइवेट अस्पतालों में सीओपीडी मरीजों की काफी ओपीडी हो रही है। बढ़ते पाॅल्यूशन के साथ इन मरीजों की परेशानी भी बढ़ गई है।

चार गुना अधिक है पॉल्यूशन लेवल 

वर्तमान में शहर का पाॅल्यूशन लेवल चार गुना तक पहुंच गया है। हवा में जहरीले तत्व खतरनाक रोग फैला रहे हैं। इसी में सीओपीडी भी शामिल है। विशेषज्ञों के अनुसार जब लंबे समय तक आक्सीजन के साथ जहरीले तत्व व कार्बन के कण सांस नली में जमा हो जाते हैं तो इससे वहां सूजन और अवरोध उत्पन्न हो जाता है। इस कारण मरीज को सांस लेने में तकलीफ होती है। लगातार ऑक्सीजन की कमी से शरीर के बाकी अंग भी कार्य करना बंद कर देते हैं।

क्रॉनिक आॅब्सट्रेक्टिव पल्मोनरी डिजीज फेफड़ों की बीमारी है

बीके अस्पताल के डा. योगेश गुप्ता ने कहा कि सीओपीडी यानी क्रॉनिक आॅब्सट्रेक्टिव पल्मोनरी डिजीज फेफड़ों की बीमारी है। ब्रोन्कीअल ट्यूब में सूजन आने के कारण फेफड़ों में बलगम की समस्या शुरू हो जाती है। मरीज को हमेशा खांसी रहती है व सांस लेने में परेशानी होती है। इसके लक्षण अस्थमा से मिलने के कारण कई बार लोग सीओपीडी को अस्थमा समझ बैठते हैं। सीओपीडी अस्थमा से कहीं ज्यादा गंभीर परेशानी है।

बीके में रोज 15 सीओपीडी मरीजों की ओपीडी हो रही

गांव में चूल्हे से निकलता धुआं सीओपीडी का बड़ा कारण माना जाता था। अब शहरों में यह कमी पॉल्यूशन ने पूरी कर दी है। अभी भी पॉल्यूशन का खतरनाक लेवल बना हुआ है। अभी भी दिल्ली एनसीआर में फरीदाबाद सबसे प्रदूषित शहरों की लिस्ट में है। पिछले दिनों तो शहर का पॉल्यूशन लेवल देश में सबसे अधिक था। ऐसे में यहां सीओपीडी के मरीजों के बढ़ने व जो मरीज हैं, उनकी परेशानी बढ़ी हुई है। बीके अस्पताल में रोज ऐसे 10-15 सीओपीडी मरीजों की ओपीडी हो रही है। जिनकी पॉल्यूशन की वजह से परेशानी बढ़ गई है।

खुद ही बचाव करना होगा: मेट्रो अस्पताल के सीनियर न्यूरोलॉजिस्ट डा. रोहित गुप्ता के अनुसार लोगों को धूम्रपान नहीं करना चाहिए। इसके अलावा ऐसी जगह जहां वायु प्रदूषण ज्यादा है, वहां जाने से बचना चाहिए। सीओपीडी के बढ़ते मरीजों पर अंकुश लगाने के लिए लोगों को जागरूक होना होगा। तभी इस बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है।