
कानपुर देहात। बेहमई कांड की सुनवाई के दौरान गुरुवार को बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने पुराने प्रार्थना पत्र कोर्ट में लंबित होने की बात रखी। इससे बहस शुरू नहीं हो सकी। मामले में अब कोर्ट ने प्रार्थना पत्रों के निस्तारण को लेकर सुनवाई की तिथि 24 अगस्त तय की है।
इसके बाद ही अब मामले में बहस शुरू हो सकेगी। अभियोजन पक्ष ने इस पर सुनवाई प्रभावित करने वाला कदम बताकर विरोध किया। सुनवाई के दौरान दो आरोपी कोर्ट में मौजूद रहे। जेल में बंद एक आरोपी कोर्ट नहीं लाया गया।
बेहमई कांड की सुनवाई माती स्थित एंटी डकैती कोर्ट सुधाकर राय की अदालत में हो रही है। गुरुवार को बचाव पक्ष के अधिवक्ता गिरीश नारायन दुबे ने कोर्ट को बताया कि वर्ष 2012 में आरोपी राम सिंह की तरफ से केस डायरी की नकल मांगी गई थी। इस प्रार्थना पत्र का अभी तक निपटारा नहीं हो सका। वहीं 5 सितंबर 2007 को इस घटना में आरोप पत्र बन चुका है।
इसके बाद फिर दोबारा आरोप निर्धारित होने पर आपत्ति की गई थी। इस पत्र का भी निपटारा नहीं किया गया। कोर्ट ने पत्रावलियों में पुराने प्रार्थना पत्र खंगाले। प्रार्थना पत्रों के निस्तारण के मुद्दे के चलते बहस शुरू नहीं हो सकी।
जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी राजू पोरवाल ने बताया कि बचाव पक्ष के अधिवक्ता सुनवाई प्रभावित करने के लिए पुराने प्रार्थना पत्रों का जिक्र कर रहे हैं। अब कोर्ट ने प्रार्थना पत्रों के निस्तारण को लेकर सुनवाई की तिथि 24 अगस्त निर्धारित की है। सुनवाई के दौरान भीखा व श्यामबाबू कोर्ट में उपस्थित रहे। जेल में बंद पोसा को नहीं लगाया गया।
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