पुलिस थानों में बेआबरू होकर ‘पिट’ रही e fir, साढ़े चार साल में सिर्फ 214 केस

फरियादियों को थाने पर भाग दौड़ से बचने की सुविधा के लिए पिछले साढ़े चार साल से ई-एफआईआर की भी व्यवस्था दी गई है। ऐसे मामले जिसमें आरोपित नामजद न हो उन सभी मामलों में बिना थाने जाए ही पीड़ित मुकदमा दर्ज करा सकता है। पर हाल यह है कि अब भी पढ़े लीखे लोग थाना-पुलिस का चक्कर लगा रहे हैं। वहीं पुलिस भी अपने यहां आने वाली भीड़ को कम करने के लिए इस तरह की सुविधा का प्रचार-प्रसार नहीं करा रही है। हाल यह है कि पिछले साढ़े चार साल में अब तक 181 ने गोरखपुर में ई-एफआईआर कराई है यानी डिजिटल इण्डिया के दौर में ई-एफआईआर कराने वालों का टोटा है?

अगर इस साल के सिर्फ सात महीने में कैंट थाने में हुए मैनुअल एफआईआर (थाने पर पहुंच कर दिए गए प्रार्थनापत्र) देखे तो उसकी संख्या भी 500 से ज्यादा है वहीं बीते साढ़े चार साल में पूरे जिले की ई-एफआईआर की बात करें तो इसकी सख्यां सिर्फ 214 है। इनमें भी सर्वाधिक 112 ई-एफआईआर कैंट थाना में ही दर्ज कराई गई है। जबकि दूसरे नम्बर पर शाहपुर थाना रहा है यहां 33 के करीब ई-एफआईआर हुई है। बाकी थानों में अभी ई-एफआईआर का आंकड़ा दहाई तक भी नहीं पहुंच पाया है। जिले के आधे से अधिक थाने ऐसे भी हैं जहां अभी तक एक भी ई-एफआईआर नहीं हुई है।

दरअसल 2017 में ऑनलाइन एफआईआर की व्यवस्था शुरू हुई। शुरुआत में यही लगा कि इस व्यवस्था से आम आदमी को थानों का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा पर उस साल के फरवरी महीने तक एक एफआईआर दर्ज हुई और उसके बाद पूरे साल में सिर्फ छह एफआईआर हुई। उसके अगले साल यानी 2018 में तो एक भी एफआईआर दर्ज नहीं कराई गई। 2019 में तब इसमें तेजी आई जब डीजीपी ने सख्ती दिखाई और इस व्यवस्था को असान करने के लिए यूपी कॉप नामक एप भी लांच किया गया। उस साल सर्वाधिक 94 ई एफआईआर हुई है।

हालांकि उसके बाद यानी 2020 में फिर स्थिति बदल गई और पूरे साल में सिर्फ 55 ईएफआईआर हुई। इस साल अभी तक 59 के करीब ईएफआईआर हो गई है। अब अगर थाने पहुंच कर दर्ज कराने वाले एफआईआर की बात करें तो कैंट थाने में ही सिर्फ 2021 के आठवें महीने तक 500 एफआईआर हो चुके हैं। अब यह आसानी से समझा जा सकता है कि ई-एफआईआर और सामान्य एफआईआर की क्या स्थिति है। हैरत यह भी है कि ई-एफआईआर के तरीके के बारे में खुद पुलिस वाले ही नहीं जानते हैं। अगर आप किसी पुलिस वाले से इस बारे में पूछेंगे तो वह कन्नी काट जाएगा। वजह साफ है, उन्हें कोई ट्रेनिंग ही नहीं दी गई है। नहीं प्रचार-प्रसार करने के लिए कहा गया है।

2019 में सर्वाधिक 94 ई-एफआईआर

वर्ष 2019 में जिले के 14 थाने में 94 ई-एफआईआर हुई। उसमें अकेले कैंट में 40 और शाहपुर में 23 ई-एफआईआर हुई। वहीं कोतवाली में 5, खजनी में 3, गगहा में 4, गुलरिहा में 2, गोरखनाथ में 3, चिलुआताल में 2, झंगहा में 3, तिवारीपुर में 2, पिपराइच में 2, पीपीगंज में 2, बेलीपार में 1 और सहजनवां में 2 ईएफआईआर हुई।

2020 में घट गई ई एफआईआर की संख्या

2020 में 55 एफआईआर हुई कैंट में सर्वाधिक 26 और शाहपुर में आठ, इस साल भी 14 थानों में ही ऑन लाइन एफआईआर हुई इसमें कैम्पियरगंज तीन, खोराबार में तीन, कोतवाली और खजनी में एक-एक, गीडा में एक गुलरिहा में दो, गोरखनाथ में चार, चौरीचौरा में एक, पिपराइच में एक, बांसगांव में दो, राजघाट में एक रामगढ़ताल में एक केस दर्ज किया गया।

2021 में अब तक हुई ई-एफआईआर

2021 में जिले के 12 थानों में अब तक 59 ई-एफआईआर हुई जिसमें अकेले कैंट में 41 वहीं कैंम्पयिरगंज में एक, कोतवाली में चार, खोराबार, में एक, गीडा में एक, गुलरिहा में एक, गोरखनाथ में तीन, तिवारीपुर में एक, बड़हलगंज में एक, बांसगांव में एक, सहजनवां में दो शाहपुर में दो ई-एफआईआर

पहली ई एफआईआर

एक फरवरी 2017 को बेतियाहाता की आशा देवी ने सबसे पहली ऑन लाइन एफआईआर कैंट में कराई थी। उनके घर में घुसकर चोरों ने चार मोबाइल की चोरी कर ली थी। इस मामले में आईपीसी की धारा 380 के तहत केस हुआ था।

यूपी कॉप एप से ऑन लाइन एफआईआर में मदद

यूपी पुलिस ने ऑन लाइन मुकदमें के लिए यूपी कॉप एप की शुरुआत की है पर यह एप भी अभी सुस्त ही है। जबकि यह एप इतना अच्छा डिजाइन किया गया है कि उसमें यह सुविधा भी है कि एफआईआर की कापी भी मिल जाएगी।

नामजद छोड़, हर मामला होगा ईएफआईआर

एप की मदद से लूट, चोरी, मारपीट, भूमि विवाद सभी ईएफआईआर दर्ज कराए जा सकेंगे। किसी को नामजद करने पर इस एप से एफआईआर दर्ज नहीं होगी। इसकी वजह है कि कोई किसी से आपसी रंजिश में केस न दर्ज करा सकें। ऐसे केस पुलिस जांच के बाद ही दर्ज करती है। हालांकि गुमशुदगी, साइबर अपराध आदि केस कर सकते हैं।

ऑन लाइन स्थिति

2017 -6

2018-0

2019- 94

2020-55

2021-59 (31 जुलाई तक)