पुलवामा में आतंकियों से मुठभेड़ में कानपुर देहात के रोहित यादव शहीद

कानपुर देहात। कश्मीर के पुलवामा में कल आतंकियों से सेना के जवानों की अचानक भिड़ंत हो गई। इसमें सेना ने छह आतंकियों को ढेर कर दिया। आतंकियों से इस मुठभेड़ में कानपुर देहात के डेरापुर निवासी 17 राजपूत रेजीमेंट के जवान रोहित यादव शहीद हो गए। इस सूचना के कल देर रात गांव में आते ही पूरा गांव गम में डूब गया है। पिता बेसुध हो गए और रोहित की पत्नी की तबीयत भी खराब हो गई। परिवार में कोहराम मचा है।

25 वर्षीय रोहित यादव 17वीं राजपूताना राइफल्स की 44वें आतंकवाद निरोधक दस्ते में शामिल थे। जम्मू कश्मीर के पुलवामा में कल आतंकवादियों से मुठभेड़ के दौरान कानपुर देहात के डेरापुर निवासी रिटायर्ड अर्मी के जवान गंगादीन यादव का बेटा रोहित यादव शहीद हो गया। पुलवामा में अचानक आतंकियों से मुठभेड़ में उन्हें भी गोलियां लगी और वह शहीद हो गए। कश्मीर से सेना के अफसरों ने इसकी जानकारी परिजनों को दी। घर में जैसे ही सूचना मिली, मां विमला, पिता गंगादीन और पत्नी वैष्णवी बेसुध हो गए। वहीं थोड़ी ही देर में रोहित के शहीद होने की खबर आसपास के इलाके में भी पहुंच गई और लोग गांव की तरफ आने लगे। ग्रामीण की भीड़ भी इकट्ठा होने लगी। रोहित के शहीद होने की खबर देर शाम कानपुर देहात पहुंची तो जिले में मातम छा गया।

रोहित के घर पर आंसुओं का सैलाब फूट पड़ा। वहीं उनकी पत्नी की हालत बिगड़ गई है। सीएचसी से डॉ. ए के रस्तोगी टीम के साथ शहीद के घर पहुंचे और उनकी पत्नी का चिकित्सीय परीक्षण कर उपचार किया गया। रोहित की 2016 में शादी हुई थी। 17 अप्रैल को छुट्टियां खत्म कर वापस लौटा था। पत्नी रूबी ने जैसे ही रोहित के शहीद होने की खबर सुनी वो बेहोश हो गई। मां विमला देवी का रो रो कर बुरा हाल है। रोहित के पिता कस्बे के अम्बेडकर नगर डेरापुर में रहते है निजी मकान में सरिया सीमेंट की दुकान चलाते हैं।

भाई सुमित ने बताया कि रोहित नवंबर 2011 में सेना में भर्ती हुआ था। उसकी शादी 25 अप्रैल 2016 को वैष्णवी के साथ हुई थी। बीती 17 अप्रैल को ही छुïट्टी से वापस गया था। कह रहा था कि जल्दी आऊंगा। लेकिन किसे पता था, ऐसे आएगा।

सबका चहेता था हंसमुख और मिलनसार रोहित

रोहित हंसमुख और मिलनसार होने के चलते सबका चहेता था। मार्च में एक महीने की छुट्टी पर आया था और दोस्तों के साथ काफी वक्त बिताया। डेरापुर के अमन मिश्र कहते हैं, इस बार बड़ी गर्मजोशी से मिले थे। बहुत मीठा बोलते थे। विश्वास ही नहीं हो रहा है कि इतनी जल्दी उनसे साथ छूट गया। अभिषेक द्विवेदी उर्फ मोहन ने हमेशा वह छुïट्टी पर आता था, दोनों काफी वक्त साथ बिताते थे। खूब हंसाता था रोहित, अब रुलाकर चला गया। साथ पढ़े चंद्रशेखर ने बताया कि रोहित दो साल से जम्मू में तैनात थे। पहले शोपियां में तैनाती रही, फिर उन्हें पुलवामा भेजा गया। 17 अप्रैल को वापस जाते समय मिला कह रहा था, तो आत्मविश्वास से लबरेज था और कहा था था जल्द लौटूंगा और ढेर सारी बातें करूंगा।

बेटे की शहादत पर फख्र : गंगादीन

सेना की सप्लाई कोर में हवलदार रहे पिता गंगादीन यादव रोहित के शहीद होने की सूचना पर बेसुध से हो गए। परिजनों ने उन्हें ढांढस बंधाया। गीली आंख और भरी आवाज को काबू में करते हुए गंगादीन ने कहा कि उन्हें बेटे पर गर्व है। वह भारत माता की रक्षा करते हुए शहीद हुआ है। सैनिक हूं, जानता हूं, देश का हित सर्वोपरि है। मेरे बेटे ने मेरा सीना चौड़ा किया है।

बड़ी जिम्मेदारी थी रोहित के कंधों पर

रोहित पर घर की बड़ी जिम्मेदारी थी। पिता के सेवानिवृत्त होने के बाद घर की जिम्मेदारी बड़े बेटे रोहित पर आ गई थी। वर्ष 2010 में इंटरमीडिएट करने के बाद रोहित ने सेना की तैयारी की और 2011 में 44 आरआर आतंकवादी निरोधक दस्ते में भर्ती हो गए। छोटे भाई सुमित ने घर का खर्च उठाने के लिए ट्रेडर्स की दुकान खोल ली।

आने का वादा कर कहां चले गए भइया…

गंगादीन यादव के बच्चों में सबसे बड़ी पुत्री प्रियंका, दूसरे नंबर पर शहीद रोहित यादव तथा तीसरे नंबर पर सबसे छोटा पुत्र सुमित हैं। रोहित की सेना में नौकरी लगने के बाद परिजनों में बड़े धूमधाम से प्रियंका का विवाह किया था। इसके बाद रोहित का विवाह भी खूब धूमधाम से किया। 17 अप्रैल को छुट्टी से वापस गए रोहित ने बड़ी बहन प्रियंका से जल्द ही वापस आने का वादा किया था। लेकिन गुरुवार को आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद होने की सूचना ने सभी को तोड़ दिया। प्रियंका ने बिलखते हुए कहा कि भइया आपने जल्द आने का वादा किया, फिर क्यों नहीं आए।