नहीं घटी गांव से सड़क की दूरी, पलायन बना मजबूरी

फल और सब्जी उत्पादन के लिए मशहूर भैंसियाछाना ब्लॉक का बबुरिया नायल गांव अभी सड़क से नहीं जुड़ पाया है। इस गांव में सड़क समेत अन्य मूलभूत सुविधाएं न होने के कारण ग्रामीण घर छोड़ने को मजबूर हैं। आजादी के 75 साल बाद भी इस गांव के लोगों को सड़क तक पहुंचने के लिए धौलछीना तक आठ किमी पैदल चलना पड़ता है। पहले कभी फल, सब्जी की मंडी के रूप में जाना जाता था। सरकार की बेरुखी के चलते अब गांव की लगभग 80 प्रतिशत आबादी पलायन कर चुकी है। सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार के अभाव में ग्रामीण लगातार पलायन कर रहे हैं। करीब 15 साल साल पहले तक यहां 107 परिवार रहते थे।

प्राइमरी स्कूल भी कम छात्र संख्या के कारण बंद पड़ गया है, अब नौनिहालों को चार से पांच किमी पैदल चलकर स्कूल पहुंचना पड़ता है। जबकि उच्च प्राथमिक शिक्षा के लिए बच्चे आठ किमी दूर धौलछीना जाते हैं। उच्च शिक्षा के लिए छात्रों को 42 किमी दूर अल्मोड़ा आना पड़ता है। गांव में किसी की तबियत खराब होने पर उसे अस्पताल ले जाने के लिए आठ किलोमीटर तक पैदल डोली में लाना पड़ता है

बबुरिया नायल गांव में अब भी सड़क की सुविधा नहीं है। बिनसर वन्य जीव अभयारण्य को संरक्षित करने के लिए मोटरमार्ग नहीं बना है। सरकार अगर मोटरमार्ग नहीं बना सकती हैं तो गांव को विस्थापित कर देना चाहिए, ताकि लोगों को मूलभूत अधिकारों से वंचित न रहना पड़े।

-मोहन सिंह जीना, ग्रामीण।

मेरी बेटी का विवाह था, गांव तक सड़क नहीं होने से वर पक्ष ने गांव में पैदल आने से मना कर दिया। हमें विवाह धौलछीना रिसॉर्ट बुक करवाकर करना पड़ा। गांव में सुविधाओं के अभाव में लोग पलायन कर रहे हैं