दिल्ली हाईकोर्ट की अवैध निर्माण पर उत्तरी निगम को फटकार, कहा- निर्माण के वक्त क्या आपके अधिकारी सो रहे थे?

अवैध निर्माण रोकने में विफल रहने पर दिल्ली हाईकोर्ट ने उत्तरी दिल्ली नगर निगम को कड़ी फटकार लगाई है। हाईकोर्ट ने उत्तरी निगम से यह बताने के लिए कहा है कि क्या आपके अधिकारी ड्यूटी के वक्त गहरी नींद में सो रहे थे? कोर्ट ने यह मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि वह संबंधित अधिकारियों के निलंबन और जांच के लिए आदेश पारित करेंगे।

याचिकाकर्ता आशा जैन की ओर से वकील अमित वोहरा ने बताया कि 2019 में जब यह याचिका दाखिल की गई थी तो बिल्डिंग महज डेढ़ मंजिल बनी थी, लेकिन इन दो वर्षों में अब पांच मंजिल तक निर्माण हो गया है। वकील ने मकान की तस्वीर भी पेश की। तस्वीरों को देखने के बाद हाईकोर्ट ने कहा कि पहली नजर में ऐसा लग रहा है कि मकान का निर्माण कंक्रीट का इस्तेमाल किए बगैर किया गया है। कोर्ट ने कहा कि तस्वीरों में कोई बीम, स्तंभ या छत की योजना दिखाई नहीं दे रही है। साथ ही कहा कि चार मंजिला तक मकान की संरचना और छत को लोहे के गार्डर के रूप में देखा जा सकता है।

उत्तरी निगम की ओर से पेश हुए वकील अक्षय वर्मा ने हाईकोर्ट को बताया कि मकान में कुछ लोग रह रहे हैं, ऐसे में दिल्ली पुलिस की सहायता के बगैर कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती। इस पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि अवैध निर्माण के खिलाफ याचिका के लंबित होने के दौरान आप (निगम) चार और मंजिल बनाने की इजाजत देते हैं और फिर कहते हैं कि कार्रवाई नहीं कर सकते। हाईकोर्ट ने कहा कि मकान का निर्माण पहले होने ही क्यों दिया गया। क्या आपके अधिकारी सो रहे हैं। जस्टिस सचदेवा ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि आप यह कहते हुए एक हलफनामा पेश करते हैं कि आपके (नगर निगम) अधिकारियों को अवैध निर्माण के बारे में जानकारी नहीं थी। उन्होंने कहा कि मैं संबंधित अधिकारियों के निलंबन, उनके आचरण की सीबीआई जांच करने का आदेश दूंगा। हाईकोर्ट ने कहा कि आप अधिकारियों को किस लिए वेतन दे रहे हैं।

नगर निगम ने सफाई पेश करते हुए कहा कि यह निर्माण कोरोना के दौरान हुआ, जब अधिकारी महामारी की ड्यूटी में लगे थे। हाईकोर्ट ने इसे गंभीरता से लेते हुए नगर निगम को संबंधित मकान का निरीक्षण करने और जांच रिपोर्ट पेश करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 20 दिसंबर को होगी।