छात्रों ने स्कूल की बदरंग दीवारों को स्वच्छता के संदेश की कलाकृतियों से सजाया

उत्तरकाशी- स्वस्थ मन और तन का मूल स्वच्छता से ही जुड़ा है और इस मंत्र को घर-घर तक पहुंचाने का काम कर रहा है उत्तरकाशी जिले का राजकीय इंटर कॉलेज मातली। यहां शिक्षकों की ओर से विद्यालय परिसर में गढ़ी गई स्वच्छता की पटकथा छात्र-छात्राओं के घरों तक पहुंच रही है।

छात्रों की स्वच्छता की मुहीम घर घर पहुंची तो इससे प्रेरित होकर अभिभावक भी घरों में शौचालय व कूड़ेदान का नियमित उपयोग करने लगे हैं। उन्होंने किचन के गंदे पानी के लिए सोख्ता (गड्ढे) भी बनाए हुए हैं। इसी स्वच्छता के कारण सर्व शिक्षा अभियान की ओर अक्टूबर 2018 में राइंका मातली को ‘स्वच्छ विद्यालय’ का सम्मान भी दिया जा चुका है।

जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से आठ किमी की दूरी पर 12वीं वाहिनी आइटीबीपी (भारत तिब्बत सीमा पुलिस) के मातली परिसर के निकट स्थित है राजकीय इंटर कॉलेज मातली। यहां वर्तमान में छठी से बारहवीं कक्षा तक के 250 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं।

चार वर्ष पूर्व विद्यालय के प्रधानाचार्य व शिक्षकों ने छात्र-छात्राओं को स्वच्छता के संस्कार देने का संकल्प लिया। इसके लिए प्रधानाचार्य राजेंद्रपाल परमार ने विद्यालय परिसर में फैले कूड़े को एकत्र किया। इस प्रक्रिया को रोजाना प्रार्थना सभा के दौरान और मध्यांतर में जारी रखा गया। अब भी छात्र-छात्राओं को हर दिन स्वच्छता की शपथ दिलाकर विद्यालय से लेकर घर तक को स्वच्छ रखने के लिए प्रेरित किया जाता है। इसके चलते सर्व शिक्षा अभियान की टीम ने इस विद्यालय का चयन उत्तरकाशी जिले के सबसे ‘स्वच्छ विद्यालय’ के रूप में किया।

विद्यालय की छात्रा आकृति नेगी, मनीषा, स्मृति व ऋतिका और ज्ञानेंद्र मोहन, नितिन मोहन, करन जुयाल समेत कई छात्रों ने विद्यालय की बदरंग दीवारों पर सुंदर कलाकृतियां बनाईं। इन कलाकृतियों में स्वच्छता का संदेश और महापुरुषों की तस्वीरें शामिल हैं। जो विद्यालय में आने वाले लोगों को भी स्वच्छता के लिए प्रेरित कर रही हैं।  राजेंद्रपाल परमार बताते हैं कि विद्यालय में शिक्षा के साथ स्वच्छता के प्रधानाचार्य संस्कार देने का असर यह हुआ कि छात्र-छात्राओं ने अपने घरों में सभी सदस्यों को शौचालय का नियमित उपयोग करने, कूड़े के लिए कूड़ादान का उपयोग करने और किचन व बाथरूम से निकालने वाले गंदे पानी के लिए गड्ढे तैयार को प्रेरित किया। नतीजा अब गांव में गंदा पानी रास्तों पर बहने के बजाय सीधे गड्ढों में जमा होता है।