खाद्य तेल की महंगाई नवंबर तक सताएगी, औसतन 52 फीसदी बढ़े दाम, नई फसल आने के बाद ही कीमतों में कमी की उम्मीद

कोरोना संकट में घटती कमाई के बीच ऊंची महंगाई से उपभोक्ताओं पर दोहरी मार पड़ रह है। खाद्य तेल की खुदरा कीमतों में 50 फीसदी से अधिक का इजाफा हुआ है। सरकार ने भी संसद में इस बात को स्वीकार किया है। वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि नंवबर में नई फसल आने तक खाद्य तेल की महंगाई से राहत मिलती नहीं दिख रही है।

संसद में दिए सरकारी आंकड़ों के मुताबिक सालाना आधार खाद्य तेलों की औसत कीमतों में 52 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

सरसों के तेल की कीमतों में 39.03 फीसदी का इजाफा

खाद्य और उपभोक्ता मामलों के राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने संसद को बताय कि सरसों के तेल की कीमतों में 39.03 फीसदी का इजाफा हुआ है। जबकि सूरजमुखी के तेल में 51.62 की वृद्धि हुई है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कीमतों में यह वृद्धि खुदरा भाव में हुई है जिसका सीधा असर उपभोक्ताओं पर हो रहा है। खाद्य और उपभोक्ता मामलों के राज्य मंत्री ने संसद में खाद्य तेल के आयात शुल्क में कटौती की भी चर्चा करते हुए कहा कि इससे कीमतों में नरमी आने की उम्मीद है। सरकार ने जून से सितंबर के बीच विभिन्न खाद्य तेलों के आयात शुल्क में पांच से 7.5 फीसदी तक कटौती की है। हालांकि, इसके बावजूद कीमतों में कमी नहीं आई है। वहीं उद्योग जगत इसे मांग और आपूर्ति से जोड़कर बता रहा है।

आयात शुल्क में कमी का असर भी दिखना चाहिए

कृषि मामलों के विशेषज्ञ देवेन्द्र शर्मा ने हिन्दुस्तान से बातचीत में कहा कि नई फसल आने पर कीमतों में थोड़ी नरमी स्वाभाविक होती है, लेकिन हम केवल नई फसल आने पर कीमतों में कमी की उम्मीद क्यों कर रहे हैं। आयात शुल्क में जो कटौती हाल के दिनों में हुई है उसका असर अभी दिखना चाहिए। सरकार को इस तरफ ध्यान देने की जरूरत है।

बायोडीजल बढ़ा रहा खाद्य तेल की महंगाई उद्योग सूत्रों का कहना है कि सोयाबीन के आयात में कमी आई है और वैश्विक स्तर पर इसकी आपूर्ति घटी है जिससे कीमतें बढ़ रही हैं। उनका कहना है कि वैश्विक स्तर पर 25 करोड़ टन सोयाबीन का उत्पादन होता है,

जिसमें से पांच करोड़ टन का उपयोग बायोडीजल बनाने में होने लगा है। इससे खाद्य तेल के लिए सोयाबीन की आपूर्ति में गिरावट आई है। यही वजह है कि खाद्य तेलों में शामिल सोयाबीन के तेल के दाम में भी तेजी से बढ़े हैं।

सरकार ने घटाया आयात शुल्क पर महंगाई से नहीं मिली राहत

खाद्य और उपभोक्ता मामलों के राज्य मंत्री ने संसद को बताया कि सरकार ने 30 जून से 30 सितंबर के लिए खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में 7.5 फीसदी तक कमी की है। इसके तहत कच्चे पाम तेल पर आयात शुल्क 35.75 फीसदी से घटाकर 30.25 फीसदी कर दिया गया है। वहीं रिफाइंड पाम तेल पर आयात शुल्क 45 फीसदी से घटाकर 37.5 फीसदी कर दिया गया है। हालांकि, एक माह बाद भी इस कटौती का असर दिखाई देखा नजर नहीं आ रहा है।