उत्तर प्रदेश की सियासत में अहम स्थान रखने वाले गन्ना किसानों को आस है कि गन्ना नए सत्र में मिठास लेकर आएगा। सीएम योगी आदित्यनाथ की घोषणा के बाद माना जा रहा है कि नए सत्र में गन्ने के मूल्य में बढ़ोतरी होगी। उधर, पंजाब सरकार ने गन्ने का रेट 360 रुपये प्रति क्विंटल घोषित कर एक नई चुनौती पेश कर दी है। हालांकि सरकार का मानना है कि उत्तर प्रदेश और पंजाब की परिस्थितियों में अंतर है। ऐसे में इस तरह से योजना तैयार की जा रही है कि गन्ना किसानों को उचित मूल्य मिल जाए।
प्रदेश में गन्ना क्षेत्र को लेकर लगातार सरकार समीक्षा कर रही है। खास तौर पर पश्चिमी उप्र में गन्ना सियासी समर में अहम भूमिका अदा करता आया है। प्रदेश में चुनावी तैयारियां शुरू हो चुकी हैं और गन्ना किसानों को यह आस है कि इस साल गन्ने के दाम बढ़ेंगे। प्रदेश के लगभग 49 लाख किसान इस समय गन्ना मूल्य वृद्धि पर निगाह लगाए हैं। उधर, किसान आंदोलन में भी गन्ना मूल्य एक मुद्दा रहा है। ऐसे में सरकार भी इसे बेहद गंभीरता से ले रही है। वैसे भी सरकारें चुनावी साल में मूल्य वृद्धि की घोषणा करती रहीं हैं।
पांच राज्यों में है एसएपी
बुधवार को केंद्र आर्थिक मामलों की केंद्रीय मंडलीय समिति ने गन्ने का उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) 290 रुपये प्रति क्विंटल को स्वीकृति दे दी है लेकिन उत्तर प्रदेश पर इसका असर आने वाला नहीं है। दरअसल देश के पांच राज्य एफआरपी नहीं बल्कि राज्य परामर्शी मूल्य (एसएपी) पर काम करते हैं। इनमें हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड एवं बिहार एसएपी पर ही गन्ना मूल्य घोषित करते हैं।
पंजाब ने इसी पर गन्ने का मूल्य 360 रुपये घोषित कर बाकी राज्यों के लिए, खास तौर पर उप्र के लिए चुनौती खड़ी कर दी है। उत्तर प्रदेश सहकारी गन्ना समितियों के अध्यक्षों के संघ के पूर्व अध्यक्ष डॉ. अरविंद सिंह कहते हैं कि गन्ने में बढ़ती लागत को देखकर पूरी उम्मीद है कि इस बार उप्र में भी गन्ने का दाम बढ़ेगा।
गन्ना मूल्य और राज्य सरकारें:
पेराई सत्र गन्ना मूल्य सरकार
2012-13 280-290 सपा
2013-14 280-290 सपा
2014-15 280-290 सपा
2015-16 280-290 सपा
2016- 2017 305-315 सपा
2017-2018 310-325 भाजपा
2018-2019 310-325 भाजपा
2019-2020 310-325 भाजपा
2020-2021 310-325 भाजपा
2021- 2022 घोषणा बाकी भाजपा
सात हजार करोड़ रुपये गन्ना मूल्य अभी भी बकाया
लखनऊ। प्रदेश में अक्टूबर से चीनी मिलें चालू कराने की तैयारी है पर अब भी प्रदेश की चीनी मिलों पर किसानों का सात हजार करोड़ रुपये से ज्यादा बकाया है। उधर, किसान देरी पर ब्याज की लड़ाई भी लड़ रहे हैं। गन्ना मंत्री सुरेश राणा कहते हैं कि सरकार गन्ना किसानों को लेकर बेहद गंभीर है। किसानों को एक लाख चालीस हजार करोड़ रुपये का भुगतान कराया जा चुका है। पिछली सरकारों का बकाया भुगतान भी योगी सरकार ने किया है।