इस गांव ने कोविड वैक्सीन को लेकर तोड़े भ्रम, 100% प्रेग्नेंट महिलाओं ने लिया टीका, जानें, डिलीवरी के बाद के हाल

हरियाणा के रेवाड़ी जिले का छोटा-सा गांव है कसोली। कुल आबादी लगभग 2000। सुबह के करीब 10 बजे मैं उस गांव के प्राइमरी हेल्थ सेंटर पहुंची तो लोगों की भीड़ पहले से थी। कुछ लोग अपने बच्चों के सर्दी-जुकाम की शिकायत लेकर पहुंचे थे तो कई लोग कोरोना वैक्सीन के लिए पूछताछ कर रहे थे। ये वो गांव है, जहां 100% गर्भवती महिलाओं ने बिना डरे वैक्सीन ली. मेरी पहली बातचीत हुई सरोज से। 23 साल की सरोज कैमरा देखकर झिझकी नहीं, बल्कि आराम से बात करने लगीं। शुरुआत अंग्रेजी में नाम बताने से हुई। वे कहती हैं- लोगबाग टोकते थे कि टीका मत लगाना। बच्चे को डर रहेगा, मां को डर रहेगा। शुरू में हम भी डरे हुए थे लेकिन फिर आशा वर्कर घर आईं। डॉक्टरों ने भी समझाया। मैं टीका लगवाने को राजी हो गई। इसी महीने की 17 तारीख को मुझे बेटा हुआ, जो बिल्कुल ठीक है। सरोज अकेली नहीं, कसोली में 100% गर्भवती महिलाओं ने बिना डरे कोविड वैक्सीन ली, जिनमें से 27% की डिलीवरी भी हो चुकी।

घर-घर पहुंचकर लोगों को दिलाया भरोसा
रेवाड़ी जिले के टीकाकरण अधिकारी डॉ अशोक कुमार बताते हैं कि कोविड वायरस से बचाव के लिए गर्भवतियों के साथ उनके परिवारवालों को भी जागरूक किया गया। हर महीने प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत जागरुकता अभियान चलाया गया और गर्भवतियों को कोविड वैक्सीनेशन से होने वाले फायदे के बारे में बताया गया।

कोरोना वैक्सीन लगने के बाद भी नहीं आया बुखार
गर्भ के सातवें महीने में कोरोना वैक्सीन की पहली डोज लेने वाली 24 वर्षीय संध्या कुमारी बताती हैं कि उन्हें टीका लगने के बाद किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं हुई। जबकि उनके घर के बाकी सदस्यों को कोविड वैक्सीन के बाद एक से दो दिन तक बुखार व हरारत रही थी, लेकिन उन्हें बुखार, सिर दर्द या किसी भी तरह की परेशानी नहीं हुई। करीब दो साल के कोरोना काल में एक भी बार कोविड पॉजिटिव नहीं हुई

वैक्सीन से दूरी हो सकती है खतरनाक
गायनाकोलॉजिस्ट डॉ विनीता सिंह बताती हैं कि कोविड से बचने के लिए गर्भवतियों को वैक्सीन लगवाना बेहद जरूरी हैं। अगर वे वैक्सीन नहीं लगवाती हैं तो ये उनके लिए ज्यादा नुकसानदायक साबित हो सकता है। अगर महिलाएं वैक्सीनेशन के बाद के बुखार से बचना चाह रही हैं, उनके लिए एक फायदे की बात ये भी है कि करीब 90% गर्भवतियों में वैक्सीनेशन के बाद कम परेशानी देखी गई है। डॉ विनीता बताती हैं कि जितनी भी गर्भवतियों को उन्होंने वैक्सीनेशन के लिए प्रेरित किया, उनमें से लगभग 90% महिलाओं को वैक्सीनेशन के बाद किसी भी तरह की परेशानी नहीं हुई। उनमें केवल सिर दर्द की शिकायत देखी गई, बहुत कम महिलाओं को ही बुखार आया। वैक्सीन लगवाने के बाद पैरासीटामोल की मात्र एक टैबलेट से महिलाएं बुखार से भी बचा सकती हैं। महिलाओं से भी ज्यादा उनके परिवार वालों को समझाना जरूरी है कि कोविड वैक्सीन उनके लिए कितनी जरूरी है।

 4 से 6 महीने में कोरोना की पहली डोज बहुत कारगर
कसोला प्राइमरी हेल्थ सेंटर के डॉ. विक्रम सिंह ने बताया कि सेंटर में गर्भवतियों के रेगुलर चेकअप के दौरान वे उन्हें कोविड वैक्सीन लगवाने के लिए प्रेरित करते हैं। महिलाओं को ये भी सुझाव देते हैं कि प्रेग्नेंसी के दूसरे ट्राइमेंस्टर यानी 4 से 6 महीने में वे कोविड वैक्सीन लगवा लें ताकि बच्चे की लेवल-2 स्कैनिंग में मॉनिटर किया जा सके। लेवल-2 स्कैनिंग में बच्चे के धड़कन, किडनी और लिवर आदि अंग कैसे बन रहे हैं और काम कर रहे हैं ये देखा जाता है। अगर मां को समय से कोरोना वैक्सनी लग जाती है तो डॉक्टर ये देख सकते हैं कि बच्चे पर इसका कैसा असर पड़ रहा है। डॉक्टर का यह भी कहना है कि गर्भवती कोरोना की दूसरी डोज भी जरूर लगवाएं इससे वे खुद को तो सुरक्षित रखेंगी ही साथ ही मां से जरिए बच्चे पर भी वैक्सीन का असर लंबे समय तक रहेगा और डिलीवरी के बाद बच्चे की कई इंफेक्शन और वायरस से लड़ने की क्षमता बढ़ेगी।