आठ साल बाद मिला अधिकार, फिर शुरू करेंगे डीसीएलआर बिहार में जमीन से जुड़े विवादों की सुनवाई

फिर से जमीन से जुड़े विवादों की सुनवाई कर सकेंगे। वे किसी विवादित जमीन के बारे में यह तय करेंगे कि इसका वास्तविक मालिक कौन है। इसे टाइटिल सूट या स्वत्ववाद कहते हैं। करीब आठ साल से चल रहे अदालती विवाद में सुप्रीम कोर्ट की दखल के बाद डीसीएलआर को यह अधिकार मिल गया है। इस संबंध में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह ने गुरुवार को आदेश जारी कर दिया है। 

मालूम हो कि बिहार भूमि विवाद निराकरण अधिनियम 2009 के जरिए डीसीएलआर को भूमि विवाद की सुनवाई करने का अधिकार दिया गया था। व्यवहार न्यायालयों से यह अधिकार वापस ले लिया गया था। इस अधिनियम को महेश्वर मंडल नामक रैयत ने 2013 में पटना हाई कोर्ट में चुनौती दी। हाई कोर्ट में पांच साल तक सुनवाई चली। हाई कोर्ट ने 2018 में आदेश दिया कि डीसीएलआर टाइटिल सूट  की सुनवाई नहीं करेंगे। इस पर अमल करने के लिए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने नवम्बर 2018 में आदेश जारी कर डीसीएलआर को अदालती सुनवाई करने से रोक दिया। हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ विभाग सुप्रीम कोर्ट गया। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश के उस हिस्से को स्थगित कर दिया, जिससे डीसीएलआर को सुनवाई से रोका गया था। राजस्व विभाग ने गुरुवार को कहा कि वह नवम्बर 2019 के अपने आदेश को वापस ले रहा है, जिसके जरिए डीसीएलआर को सुनवाई करने से रोका गया था।  अब डीसीएलआर रैयती मामलों से संबंधित वादों की सुनवाई शुरु करेंगे। वे पूर्व के मामलों में पारित आदेशों का कार्यान्वयन भी करेंगे। 

अतिक्रमण, अनाधिकृत संरचना निर्माण, सीमा विवाद, आवंटित बंदोबस्तधारी की बेदखली, भूखंड का विभाजन, सर्वे नक्शा सहित स्वामित्व के अभिलेख में दर्ज विवरण में संशोधन। राजस्व विभाग के ताजा आदेश के बाद इन मामलों की सुनवाई अब व्यवहार न्यायालयों में नहीं होगी।