अखि लेश के लि ए “गड्ढा” साबि त हो सकता हैजयंत सेगठबंधन!

लखनऊ, 28 दि संबर 2021

जयंत को सपा प्रभाव वाली सीटेंदेनेसेक्षेत्र के कई सपाई क्षत्रप नाराज


लखनऊ, 27 दि संबर 2021 :
समाजवादी पार्टी (सपा) और राष्ट्र्रीय लोकदल (रालोद) का आगामी वि धानसभा के लि ए चुनावी गठबंधन हो गया
है। सपा मुखि या अखि लेश यादव और रालोद मुखि या जयंत चौधरी नेआगामी वि धानसभा चुनाव मि ल कर लड़ने
का ऐलान भी कर चुके हैं। जि सके अनुसार पश्चि म उत्तर प्रदेश की 38 सीटों पर जयंत चौधरी अपनेप्रत्याशि यों को
चुनाव मैदान मेंउतारेंगे। अखि लेश के साथ जयंत के साथ अखि लेश का यह गठबंधन पश्चि मी उत्तरप्रदेश मेंसपा के
लि ए गड्ढा साबि त हो सकता है।
दरअसल सपा मुखि या के इस फैसलेसेसपा के ताकतवर और जि ताऊ उम्मीदवार सकतेमेंहैं। इन उम्मीदवारों में
कई ऐसेहैं, जि न्हेंअखि लेश यादव नेचुनाव लड़ानेका भरोसा दि या था। ऐसेमेंअब इन उम्मीदवारों के चुनाव लड़ने
की उम्मीदेखत्म हो रही है। ऐसेमेंपश्चि म यूपी मेंमुजफ्फरनगर, बुलन्दशहर, सहारनपुर, रामपुर के तमाम सपा
नेताओंअखि लेश के फैसलेसेखफा होकर अब सपा के असंतुष्ट नेता भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) तथा कांग्रेस में
जाने का जुगाड़ खोज रहा है। कहा जा रहा हैकि सपा नेताओं का यह असंतोष अखि लेश -जयंत दोनों को ही
नुकसान पहुंचाएगा। खासकर अखि लेश के लि ए।
राजनीति क वि श्लेषक भी पश्चि म यूपी मेंसपा नेताओं के इस असंतोष को लेकर हैरत मेंहैं। इसकी वजह है।
लगभग दो दशक बाद पश्चि मी उत्तर प्रदेश की राजनीति मेंकि सान के मि ल रहेसाथ सेउत्साहि त होकर रालोद ने
अपनी शर्तों पर सपा सेचुनावी समझौता कि या। रालोद और सपा के इस चुनावी समझौतेसेपश्चि म यूपी मेंरालोद
और सपा को चुनावी लाभ दि ख रहा था। जि सके आधार पर अखि लेश यादव और जयंत चौधरी ने”यूपी बदलो” का
नारा बुलंद कि या। राजनीति क वि श्लेषक कहतेहैंकि अखि लेश यादव के शासन मेंमुजफ्फरनगर मेंहुए दंगेके
दुष्परि णामों को लेकर सपा मुखि या अखि लेश यादव अभी भी भयभीत हैं। अखि लेश नहीं चाहतेहैंकि इन चुनावों में
सपा के उम्मीदवारों को इसका दुष्परि णाम भोगना पड़े, इसीलि ए वि धानसभा चुनावों के ठीक पहलेसपा मुखि या ने
एक तरह सेपश्चि मी उत्तर प्रदेश की गन्ना पट्टी रालोद प्रमुख जयंत चौधरी के हवालेकर दी। अब रालोद की
दि क्कत यह हैकि उसके पास जि ताऊ उम्मीदवारों का टोटा है। इसकी वजह रालोद का कमजोर संगठन है। इसके
बाद भी रालोद के प्रति कि सानों के झुकाव को देखतेहुए अन्य दलों के तमाम समर्थ नेता रालोद सेटि कट पानेका
जुगाड़ लगा रहेहैं। ऐसेसमर्थ नेताओंको टि कट मि लनेसेसपा को फायदा नहीं होगा।

पश्चि म यूपी मेंकभी भी बगावत का स्वरूप लेसकती हैसपाइयों की नाराजगी ,

पश्चि म यूपी मेंअखि लेश यादव के फैसलेसेअसंतुष्ट नेताओंका कहना हैकि , सपा और रालोद के बीच जो चुनावी
गठबंधन हुआ है, उसके तहत सहारनपुर मेंजहां रालोद का कोई प्रभाव नहीं है, वहांदेवबंद और रामपुर मनि हारान
सुरक्षि त सीट रालोद को दी गई है। देवबंद मेंतो रालोद को पूर्व वि धायक ठाकुर वीरेंद्र सि ंह के रूप मेंउपर्युक्त
उम्मीदवार मि ल गया हैलेकि न रामपुर मनि हारान के टि कट को लेकर जुगाड़बाजी हो रही है। इसी प्रकार शामली
जि लेमेंभी रालोद को शामली और थानाभवन दो सीट दी गई हैं। मुजफ्फरनगर जि लेमेंछह वि धानसभा सीटेंहैं।
चरथावल को छोड़कर अन्य पांच सीटों पर रालोद अपनेउम्मीदवार उतारेगा। मुजफ्फरनगर शहर और खतौली सीट
पर सपा के नेता चुनाव लड़ सकतेहैं। मुजफ्फरनगर की शहरी सीट पार पूर्वमंत्री चि तरंजन स्वरूप के बेटेगौरव
स्वरूप चुनाव लड़ सकतेहैं। खतौली सीट सेपूर्व मंत्री राजपाल सैनी रालोद टि कट पर चुनाव लड़ेंगे। मीरापुर सीट
पर सपा मुखि या के घोषि त उम्मीदवार चंदन सि ंह चौहान के चुनाव लड़नेकी उम्मीद थी लेकि न अब कादि र राणा
के इस सीट सेचुनाव लड़नेकी चर्चा एं हो रही हैं। इसके चलतेचंदन सि ंह खफा हैं।
पश्चि म यूपी के कई जि लों मेंइसी तरह सेसपा के कई नेता खफा हैं। ऐसेमेंअब यह सवाल पूछा जा रहा हैकि क्या
इस गठबंधन को बड़ी कामयाबी मि लेगी। मेरठ के वरि ष्ठ पत्रकार राजेंद्र सि ंह कहतेहैंकि गठबंधन तभी बड़ी
कामयाबी हासि ल कर पाएगा, जब उसेसभी वर्गों का समर्थन मि ले, और नाराजगी भूल कर सपा और रालोद के
नेता कार्यकर्ता मि लकर काम करें। अभी कि सान आंदोलन, महंगाई ,गन्ना कि सानों का भुगतान न होनेजैसेतमाम
मुद्दों के बल पर सपा रालोद – गठबंधन भाजपा के इस कि लेको भेदना चाहता हैलेकि न यह आसान नहीं है। उधर,
बसपा को जो बहुत कमजोर समझ रहेहैंवेभी जमीनी हकीकत सेअनजान हैं। बसपा नेसपा के नाराज नेताओं
को अपनी तरफ लाने के लि ए दरवाजे खोल दि ए हैं। रालोद को भी सतर्क रहनेकी जरूरत है। वर्ष 2002 कवि धानसभा चुनाव मेंरालोद ने15 सीटेंपाई थीं। इसके बाद सेवह दहाई का आंकड़ा पार नहींकर सकी। वर्ष 2017
वि धानसभा चुनावों मेंउसेसि र्फ एक सीट मि ली थी। राजेंद्र सि ंह कहतेहैंकि पश्चि म यूपी के तकरीबन 71 सीटों में
भाजपा को 51 सीटों पर जीत मि ली थी। ऐसेमेंइस बार इस इलाके मेंचुनावी लड़ाई और भी रोचक हो गई है
क्योंकि पश्चि म उत्तर प्रदेश मेंचुनाव कि सान आंदोलन के नाम पर लड़ा जा रहा है। इस संघर्ष मेंसपा नेताओंकी
अंतर्कलह सपा रालोद गठबंधन को नुकसान पहुंचाएगी।