जर्मनी चुनाव 2025: फ्रेडरिक मर्ज़ बने चांसलर, AfD की ऐतिहासिक बढ़त से बढ़ी चिंता

CDU’s Friedrich Merz set to be next Chancellor of Germany

जर्मनी में 23 फरवरी 2025 को हुए आम चुनावों में रूढ़िवादी दल CDU/CSU ने जीत दर्ज की और उनके नेता फ्रेडरिक मर्ज़ (Friedrich Merz) अगले चांसलर बनने जा रहे हैं। लेकिन इन चुनावों का सबसे चौंकाने वाला नतीजा रहा अति-दक्षिणपंथी पार्टी “ऑल्टरनेटिव फॉर जर्मनी” (AfD) का जबरदस्त उछाल, जिसने 19.5% वोट हासिल कर इतिहास रच दिया।

CDU की जीत, लेकिन AfD की चौंकाने वाली बढ़त

प्रारंभिक एग्जिट पोल के अनुसार, मर्ज़ की CDU/CSU पार्टी ने 28.5% वोटों के साथ जीत दर्ज की, जबकि चांसलर ओलाफ शॉल्ज की सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (SPD) सिर्फ 16% पर सिमट गई।

मर्ज़, जो लंबे समय से एंजेला मर्केल के प्रतिद्वंद्वी रहे हैं, ने अवैध आव्रजन (irregular immigration) पर सख्त नीति लागू करने का वादा किया है। उन्होंने कहा है कि वे AfD के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए ठोस कदम उठाएंगे।

AfD की ऐतिहासिक सफलता: खतरे की घंटी?

AfD, जिसे अक्सर अति-दक्षिणपंथी और प्रवासी-विरोधी पार्टी के रूप में देखा जाता है, ने इस बार अपनी पिछली स्थिति को लगभग दोगुना कर 19.5% वोट हासिल किए। यह परिणाम जर्मनी की राजनीति में एक बड़ा बदलाव दर्शाता है, खासकर ऐसे देश में जो अभी भी अपने नाज़ी अतीत से उबरने का प्रयास कर रहा है।

AfD को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके सहयोगियों से खुला समर्थन मिला है। एलन मस्क जैसे अरबपतियों ने भी पार्टी की सराहना की, जिससे इसे और मजबूती मिली।

हालांकि जर्मनी की बाकी सभी पार्टियों ने AfD को सत्ता से बाहर रखने की कसम खाई है और इसे सरकार में शामिल करने के किसी भी विचार को खारिज कर दिया है। लेकिन AfD की नेता ऐलिस वेइडल (Alice Weidel) ने कहा कि यह “ऐतिहासिक जीत” है और उनकी पार्टी CDU/CSU के साथ सरकार बनाने के लिए तैयार है।

चुनावी नतीजों के पीछे का कारण: प्रवास और सुरक्षा पर बढ़ती चिंता

AfD की इस ऐतिहासिक बढ़त के पीछे एक प्रमुख कारण हाल के महीनों में अप्रवासियों से जुड़े हिंसक हमले हैं:

  • दिसंबर 2024 में, एक सऊदी नागरिक ने क्रिसमस मार्केट पर कार चढ़ा दी, जिससे 6 लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों घायल हुए।
  • कुछ ही हफ्तों बाद, अफगान शरणार्थियों द्वारा किए गए दो बड़े हमलों में मासूम बच्चों पर चाकू से हमला और म्यूनिख में एक और कार हमला शामिल था।
  • 21 फरवरी 2025 को, बर्लिन के होलोकॉस्ट मेमोरियल में एक सीरियाई नागरिक को “यहूदियों को मारने” की योजना बनाते हुए गिरफ्तार किया गया।

इन घटनाओं ने जनता में डर और नाराजगी बढ़ा दी, जिसका फायदा AfD ने उठाया।

अगला कदम: गठबंधन सरकार बनाने की चुनौती

69 वर्षीय फ्रेडरिक मर्ज़ को अब सरकार बनाने के लिए गठबंधन की जरूरत होगी। उनके पास कुछ संभावनाएं हैं:

  1. SPD (सोशल डेमोक्रेट्स) के साथ गठबंधन – लेकिन SPD का खराब प्रदर्शन और चांसलर ओलाफ शॉल्ज की विदाई इसे कठिन बना सकता है।
  2. ग्रीन पार्टी (12%) के साथ गठबंधन – हालांकि, CDU की सहयोगी पार्टी CSU ने इस विकल्प का विरोध किया है।
  3. FDP (फ्री डेमोक्रेट्स) के साथ गठबंधन – FDP एक उदारवादी और व्यापार समर्थक पार्टी है, लेकिन इसके संसद में प्रवेश को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है।

मर्ज़ ने कहा कि वे ईस्टर तक सरकार बनाने की प्रक्रिया पूरी कर लेंगे, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह प्रक्रिया लंबी और जटिल हो सकती है।

जर्मनी और यूरोप के लिए क्या मायने रखता है यह चुनाव?

इन चुनावों के परिणाम सिर्फ जर्मनी ही नहीं, बल्कि पूरे यूरोप और अमेरिका के साथ उसके संबंधों के लिए भी अहम हैं।

  1. यूक्रेन युद्ध पर असर – ट्रंप प्रशासन की बदलती विदेश नीति और रूस से उनके रिश्तों को देखते हुए, जर्मनी की नई सरकार के लिए यह सबसे बड़ी चुनौती होगी।
  2. नाटो में जर्मनी की भूमिका – यूरोपीय देश चिंतित हैं कि ट्रंप नाटो को कमजोर कर सकते हैं, जिससे जर्मनी की सुरक्षा नीतियों में बड़ा बदलाव आ सकता है।
  3. आर्थिक मंदी और व्यापार युद्ध – ट्रंप के संभावित व्यापारिक फैसले जर्मनी की संघर्षरत अर्थव्यवस्था को और नुकसान पहुंचा सकते हैं।

क्या जर्मनी में दक्षिणपंथी लहर और तेज होगी?

AfD की सफलता ने जर्मनी के राजनीतिक परिदृश्य को हिला कर रख दिया है। राजनीतिक विशेषज्ञ माइकल ब्रोनिंग ने चेतावनी दी:

“अगर जर्मनी की मुख्यधारा पार्टियां जनता की समस्याओं का समाधान नहीं ढूंढ पाईं, तो अगली बार AfD सत्ता में आ सकती है।”

इसका मतलब यह है कि अगर CDU और SPD जैसी पार्टियां प्रवास, सुरक्षा और अर्थव्यवस्था पर प्रभावी रणनीति नहीं अपनातीं, तो जर्मनी में दक्षिणपंथी लहर और मजबूत हो सकती है।