
नई दिल्ली, 17 अप्रैल 2025: वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान केंद्र सरकार ने अदालत को आश्वासन दिया कि अगली सुनवाई तक वक्फ बोर्ड और परिषद में कोई नियुक्ति नहीं की जाएगी और वक्फ संपत्तियों को डीनोटिफाई भी नहीं किया जाएगा। अदालत ने कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं किया और मामले की अगली सुनवाई मई में निर्धारित की है।
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता में जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने मामले की सुनवाई की। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, एएम सिंघवी और राकेश द्विवेदी ने पैरवी की, जबकि केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पक्ष रखा।
संसद में हुआ था विवाद, अब अदालत में चुनौती
वक्फ संशोधन विधेयक को 3 अप्रैल को लोकसभा और 4 अप्रैल को राज्यसभा से पारित किया गया था। इसके बाद 5 अप्रैल को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के साथ ही यह अधिनियम बन गया। विधेयक के खिलाफ कई राजनीतिक दलों ने विरोध दर्ज कराया था। राज्यसभा में इसे 128 मतों के समर्थन और 95 विरोध में पारित किया गया, जबकि लोकसभा में 288 सदस्यों ने इसका समर्थन किया।
“हमारी कानूनी लड़ाई जारी रहेगी”: असदुद्दीन ओवैसी
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्ड का गठन नहीं होगा और वक्फ बाय यूज़र को हटाया नहीं जाएगा। लेकिन हम अभी भी अन्य प्रावधानों का विरोध कर रहे हैं और चाहते हैं कि पूरे अधिनियम को असंवैधानिक घोषित किया जाए। यह संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 25, 26 और 29 का उल्लंघन है।”
केंद्र सरकार की दलील
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से कहा, “अगर आपकी lordship किसी वैधानिक प्रावधान को स्थगित करने जा रही है, तो यह अपने आप में एक दुर्लभ स्थिति है। संसद जनता को जवाबदेह है। कई गांवों की भूमि वक्फ घोषित कर दी गई है।”
SG मेहता ने कोर्ट से आग्रह किया कि केंद्र को एक सप्ताह में जवाब दाखिल करने की अनुमति दी जाए। उन्होंने आश्वासन दिया कि इस दौरान वक्फ बोर्ड या परिषद में कोई नई नियुक्ति नहीं की जाएगी और न ही वक्फ बाय यूज़ संपत्तियों को डीनोटिफाई किया जाएगा।
निष्कर्ष
अदालत ने केंद्र सरकार की यथास्थिति बनाए रखने की सहमति को दर्ज करते हुए फिलहाल कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं किया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई मई महीने में होगी। देश भर में इस अधिनियम को लेकर राजनीतिक और कानूनी बहस जारी है, और सुप्रीम कोर्ट की अगली सुनवाई पर सभी की नजरें टिकी हैं।