
भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस समय चीन के किंगदाओ शहर में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में भाग ले रहे हैं। इस सम्मेलन में रूस, पाकिस्तान और चीन सहित SCO के सभी सदस्य देश क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर विचार-विमर्श कर रहे हैं। वर्ष 2001 में स्थापित यह संगठन क्षेत्रीय स्थिरता को सहयोग के माध्यम से बढ़ावा देने का उद्देश्य रखता है। वर्तमान में SCO के दस सदस्य देश हैं — बेलारूस, चीन, भारत, ईरान, कज़ाख़स्तान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि SCO सदस्य देशों को आतंकवाद के उन्मूलन के लिए एकजुट होना होगा, ताकि सामूहिक सुरक्षा और शांति सुनिश्चित की जा सके। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के सामने सबसे बड़ी चुनौतियां शांति, सुरक्षा और आपसी विश्वास की कमी से जुड़ी हैं, जिनकी जड़ें उग्रवाद, कट्टरपंथ और आतंकवाद में निहित हैं।
उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा, “शांति और समृद्धि आतंकवाद और गैर-राज्य तत्वों व आतंकी संगठनों के हाथों में व्यापक विनाश के हथियारों की मौजूदगी के साथ सह-अस्तित्व में नहीं रह सकती। इन चुनौतियों से निपटने के लिए निर्णायक कार्रवाई आवश्यक है। आतंकवाद को बढ़ावा देने, शरण देने और अपने हित साधने के लिए इसका उपयोग करने वाले देशों को इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। कुछ देश सीमा पार आतंकवाद को अपनी नीति का उपकरण बनाकर आतंकियों को पनाह देते हैं। ऐसे दोहरे मानदंडों के लिए SCO को कोई स्थान नहीं देना चाहिए।”
पाकिस्तान पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि SCO को ऐसे राष्ट्रों की आलोचना करने से हिचकना नहीं चाहिए।
पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा, “इस हमले में पीड़ितों की धार्मिक पहचान के आधार पर प्रोफाइलिंग कर गोली मारी गई। इसका दावा लश्कर-ए-तैयबा के एक छद्म संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ ने किया था। यह हमला लश्कर की पहले की आतंकवादी कार्रवाइयों से मेल खाता है। भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी शून्य सहिष्णुता की नीति का पालन करते हुए अपने आत्मरक्षा के अधिकार का प्रयोग किया है। हमने यह दिखा दिया है कि आतंकवाद के केंद्र अब सुरक्षित नहीं हैं, और हम उन्हें निशाना बनाने से पीछे नहीं हटेंगे।”
उन्होंने यह भी कहा कि आतंकवाद के अपराधियों, योजनाकारों, वित्तपोषकों और समर्थकों को न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए। SCO को आतंकवाद के हर रूप की कड़ी निंदा करनी चाहिए।
बैठक के संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने से भारत के इंकार को लेकर यह स्पष्ट हो गया है कि भारत आतंकवाद के प्रति किसी भी प्रकार की नरमी नहीं बरतना चाहता। यह रुख ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद वैश्विक स्तर पर भारत की ओर से भेजे गए आठ राजनयिक दलों द्वारा प्रस्तुत किए गए कड़े संदेश से भी मेल खाता है, जिनका उद्देश्य आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख को अंतरराष्ट्रीय मंच पर मजबूती से रखना था।
इस कड़ी प्रतिक्रिया ने एक बार फिर दिखा दिया है कि भारत अपने सुरक्षा हितों को लेकर कोई समझौता नहीं करेगा, चाहे वह किसी भी मंच पर क्यों न हो।