
नई दिल्ली: संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से 12 अगस्त तक आयोजित किया जाएगा। यह जानकारी संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने दी है। लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदन 21 जुलाई को सुबह 11 बजे से सत्र की शुरुआत करेंगे, जो कि लगभग साढ़े तीन महीने के अंतराल के बाद होगा।
यह संसद का पहला सत्र होगा ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ के बाद – जिसमें भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में पाकिस्तान स्थित आतंकवादी शिविरों पर सटीक हमले किए थे। उस हमले में 26 लोगों की जान गई थी, जिनमें से अधिकतर पर्यटक थे।
संसद सत्र की तारीखों की सिफारिश रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली मंत्रिमंडलीय समिति ने की है। रिजिजू ने बताया कि सरकार ने 21 जुलाई से 12 अगस्त 2025 तक मानसून सत्र आयोजित करने का निर्णय लिया है।
इससे पहले संसद का बजट सत्र 31 जनवरी को शुरू हुआ था और 4 अप्रैल को दोनों सदनों की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई थी। यह वर्ष 2025 का पहला संसद सत्र था।
विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ द्वारा ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ पर विशेष सत्र बुलाने की मांग के बीच मानसून सत्र की तारीखों का ऐलान किया गया है।
‘संसद-भय’?
3 जून को विपक्षी दलों के INDIA गठबंधन ने दिल्ली में एक बैठक कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा, जिसमें पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिन्दूर पर चर्चा के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की गई।
सरकार विशेष सत्र बुलाने को लेकर उत्सुक नहीं दिखी, लेकिन अब मानसून सत्र की तारीखों की घोषणा कर दी गई है। इस पर तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ’ब्रायन ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा, “Parliamentophobia – मेरी शब्दावली में इसका मतलब है मोदी सरकार की संसद से डरने की बीमारी। विशेष सत्र से भाग रहे हैं।”
सरकार की ओर से स्पष्ट किया गया कि संसद के नियमों के तहत मानसून सत्र के दौरान सभी मुद्दों पर चर्चा की जा सकती है। रिजिजू ने कहा कि विपक्ष की मांगों पर चर्चा के लिए यह सत्र पर्याप्त रहेगा।