संसद के बाहर विपक्ष का प्रदर्शन: दिल्ली-NCR में प्रदूषण संकट पर केंद्र की चुप्पी के खिलाफ नाराजगी

नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर और उत्तर भारत में गंभीर वायु प्रदूषण संकट के बीच, विपक्षी सांसदों ने गुरुवार को संसद परिसर के मकर द्वार पर केंद्र सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। सांसद ऑक्सीजन मास्क लगाए और हाथों में तख्तियां लेकर सरकार से जवाब मांगते नजर आए।

बैनर पर लिखा था — “मौसम का मजा लीजिए” — यह टिप्पणी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शीतकालीन सत्र की शुरुआत में दिए गए वक्तव्य पर तंज के रूप में की गई।

सांसदों ने नारेबाजी करते हुए संसद में इस मुद्दे पर तत्काल चर्चा की मांग की।


खड़गे और सोनिया गांधी भी प्रदर्शन में शामिल

कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे तथा कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी प्रदर्शन में हिस्सा लिया।

कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा:
“दिल्ली और कुछ अन्य शहर गैस चैंबर बन चुके हैं। केंद्र और राज्य की भाजपा सरकारें जिम्मेदार हैं। हम शांतिपूर्ण तरीके से सरकार का ध्यान इस ओर आकर्षित करेंगे।”


प्रदूषण पर ‘राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपातकाल’ की मांग

लोकसभा में कांग्रेस के मनीष तिवारी, मनीकम टैगोर और विजय वसंत सहित कई नेताओं ने नोटिस देकर उत्तर भारत की खराब हवा पर चर्चा की मांग की।

टैगोर ने कहा:
“सरकार सिर्फ एडवाइजरी और समिति बनाकर काम चला रही है। प्रदूषण कैंसर, किडनी रोग, डायबिटीज जैसे खतरे बढ़ा रहा है, लेकिन इसे अब तक राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राथमिकता नहीं माना गया।”

उन्होंने कानून-backed क्लीन एयर मिशन, प्रदूषकों पर कड़ी जवाबदेही और स्वास्थ्य आपात प्रोटोकॉल की जरूरत बताई।


दिल्ली की हवा ‘बेहद खराब’ श्रेणी में ही

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार:

  • 8 बजे AQI: 299 (खराब)
  • 3 दिसंबर शाम 4 बजे: 342 (बेहद खराब)

हल्का सुधार हुआ है, लेकिन कई इलाकों में घना धुआं छाया रहा। गाजीपुर, अक्षरधाम समेत कई स्थानों पर दृश्यता बेहद कम रही।


जनता की पुकार: सांस लेना भी संघर्ष बन गया

जंतर मंतर पर जुटे नागरिकों ने लिखा:

  • “Right to Breathe”
  • “Gas chamber mein aapka swaagat hai”
  • “Breathing is injurious to health”

कई लोग ऑक्सीजन सिलिंडर लेकर पहुंचे — यह साफ संदेश कि दिल्ली अब अपनी हवा खुद ढोने को मजबूर है।

थायरॉइड मरीज रोम ने बताया:
“थोड़ा चलने पर भी सांस फूल जाती है। साफ हवा विलासिता नहीं, जीवन की जरूरत है।”

एक मां ने कहा कि उसके 7 वर्षीय बेटे की चार आंखों की सर्जरी हो चुकी हैं — हर बार प्रदूषण से हालत बिगड़ती है।
“अगर यह स्वास्थ्य आपातकाल नहीं तो क्या है?”

वरिष्ठ पर्यावरण कार्यकर्ता भावरीन बोलीं:
“देश के नागरिक अब चुप नहीं बैठेंगे, जबकि हवा हमारे बच्चों को बीमार कर रही है और उत्पादकता घटा रही है।”

प्रदर्शनकारियों ने संसद में संयुक्त संसदीय समिति बनाने और पर्यावरण, स्वास्थ्य, परिवहन, कृषि, ऊर्जा व उद्योग क्षेत्रों में समन्वित नीति की मांग की।