नए लेबर कोड्स: जल्दी ग्रेच्युटी से लेकर वर्क-फ्रॉम-होम और ओवरटाइम पे तक—जानें मुख्य प्रावधान

सरकार ने श्रम सुधारों की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए 29 मौजूदा श्रम कानूनों को मिलाकर चार नए लेबर कोड लागू किए हैं। इनका उद्देश्य कारोबार को आसान बनाना, साथ ही श्रमिकों के अधिकारों को मजबूत करना है। नए कोड्स—कोड ऑन वेजिस, इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड, सोशल सिक्योरिटी कोड और ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशंस कोड—के लागू होने से देश के औपचारिक और अनौपचारिक क्षेत्र के 40 करोड़ से अधिक श्रमिकों पर असर पड़ेगा।

नए प्रावधानों में महिलाओं के लिए समान अवसर, फिक्स्ड-टर्म कर्मचारियों को एक वर्ष में ग्रेच्युटी, ओवरटाइम का डबल वेतन, मुफ्त हेल्थ चेक-अप, गिग वर्कर्स के लिए सुरक्षा और अन्य कई बदलाव शामिल हैं।


कोड 1: वेजेज कोड, 2019 — न्यूनतम वेतन और ओवरटाइम को मजबूत आधार

  • यूनिवर्सल न्यूनतम वेतन: अब संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्रों के सभी कर्मचारियों के लिए न्यूनतम वेतन कानूनी अधिकार है।
  • फ़्लोर वेज: केंद्र सरकार जीवन-यापन की लागत के आधार पर फ़्लोर वेज तय करेगी, और राज्य इससे कम वेतन नहीं रख सकते।
  • लिंग समानता: भर्ती, वेतन या कार्य स्थितियों में महिलाओं या ट्रांसजेंडर के प्रति भेदभाव नहीं किया जा सकेगा।
  • ओवरटाइम पे: ओवरटाइम के लिए नियमित वेतन का दो गुना भुगतान अनिवार्य किया गया है।
  • कवरेज बढ़ा: सभी कर्मचारियों पर लागू—चाहे उनका वेतन कुछ भी हो।
  • अवैध कटौती रोक: बिना अनुमति के वेतन कटौती नहीं होगी।
  • दंड प्रावधान सरल: पहली गलती पर कारावास के बजाय जुर्माना, लेकिन पांच वर्षों में दोहराव पर कठोर कार्रवाई।

कोड 2: इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड, 2020 — ट्रेड यूनियनों, रोजगार और विवाद समाधान में सुधार

  • फिक्स्ड-टर्म रोजगार: निश्चित अवधि के कर्मचारियों को स्थाई कर्मचारियों जैसा वेतन व लाभ, साथ ही एक वर्ष में ग्रेच्युटी मिलेगी।
  • री-स्किलिंग फंड: छंटनी किए गए कर्मचारियों के लिए 15 दिन के वेतन के बराबर राशि से री-स्किलिंग फंड बनेगा।
  • ट्रेड यूनियन मान्यता: 51% सदस्य संख्या वाला यूनियन ‘नेगोशिएटिंग यूनियन’ बनेगा।
  • वर्क-फ्रॉम-होम सुविधा: सर्विस सेक्टर में सहमति से WFH की अनुमति।
  • छंटनी की सीमा बढ़ी: 100 से बढ़ाकर 300 कर्मचारियों तक की यूनिट्स बिना सरकारी अनुमति के छंटनी कर सकती हैं।
  • महिला प्रतिनिधित्व: शिकायत समितियों में महिलाओं की अनुपातिक भागीदारी अनिवार्य।
  • औद्योगिक विवाद: दो-सदस्यीय औद्योगिक न्यायाधिकरण के जरिए तेजी से समाधान।
  • हड़ताल नियम: सभी संस्थानों में 14 दिन पहले नोटिस देना अनिवार्य।

कोड 3: सोशल सिक्योरिटी कोड, 2020 — PF, ESIC, गिग वर्कर्स और कवरेज विस्तृत

  • ESIC कवरेज बढ़ा: अब पूरे देश में लागू—नोटिफाइड एरिया की बाध्यता समाप्त।
  • गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स शामिल: ओला-उबर ड्राइवर, Zomato-Swiggy डिलीवरी पार्टनर जैसे सभी वर्कर्स सामाजिक सुरक्षा में आएंगे।
  • सोशल सिक्योरिटी फंड: असंगठित, गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स के लिए जीवन, स्वास्थ्य, विकलांगता और पेंशन लाभ का प्रावधान।
  • EPF जांच समय सीमा: जांच 5 साल में शुरू और 2 साल में पूरी—एक साल का विस्तार संभव।
  • अपील डिपॉजिट घटा: EPFO आदेश पर अपील में जमा राशि 40–70% से घटकर 25% हुई।
  • घर-ऑफिस यात्रा दुर्घटना कवर: घर से काम की जगह आने-जाने में हुई दुर्घटनाएं भी रोजगार-संबंधी मानी जाएंगी।
  • परिवार परिभाषा विस्तृत: माता-पिता के अलावा नानी-नाना और महिलाओं के लिए ससुराल पक्ष के आश्रित भी शामिल।

कोड 4: ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशंस कोड, 2020 — सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य मानक मजबूत

  • महिलाओं के लिए समान अवसर: महिलाओं को सभी सेक्टरों में रात की शिफ्ट में काम की अनुमति—सुरक्षा प्रबंध जरूरी।
  • मुफ्त वार्षिक हेल्थ चेक-अप: सभी कर्मचारियों के लिए मुफ्त चिकित्सा जांच।
  • कार्य घंटे: 8 घंटे प्रतिदिन, 48 घंटे साप्ताहिक।
  • ओवरटाइम: दो गुना वेतन + कर्मचारी की सहमति जरूरी।
  • माइग्रेंट वर्कर्स की नई परिभाषा: स्वेच्छा से आने वाले या कॉन्ट्रैक्टर के जरिए आने वाले सभी शामिल।
  • राष्ट्रीय डाटाबेस: असंगठित और प्रवासी श्रमिकों के लिए देशव्यापी डाटाबेस बनेगा।
  • सुरक्षा समिति: 500 या अधिक कर्मचारियों वाली इकाइयों में सुरक्षा समितियां अनिवार्य।
  • पीड़ित मुआवजा: हादसे में कम से कम 50% जुर्माना पीड़ित या उसके आश्रित को जाएगा।