सोने की कीमत ₹1 लाख पार, बना अब तक का सर्वाधिक उच्चतम रिकॉर्ड

भारत में सोने की कीमतों ने सोमवार को नया इतिहास रच दिया। लगातार चौथे दिन सोने की कीमतों में उछाल देखने को मिला और यह ₹1,899 की तेजी के साथ ₹99,178 प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गई। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर अक्टूबर अनुबंध ने पहली बार ₹1 लाख का आंकड़ा पार करते हुए ₹1,00,484 प्रति 10 ग्राम का रिकॉर्ड उच्चतम स्तर छू लिया।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी मंगलवार को सोने की कीमतों में मजबूती देखी गई। सोना 1.5% बढ़कर $3,485 प्रति औंस के पार चला गया और जल्द ही $3,500 के ऐतिहासिक स्तर को पार करने की ओर अग्रसर है। अगर सोना मंगलवार को $3,500 से ऊपर बंद होता है, तो यह पहली बार होगा जब इस स्तर को पार किया जाएगा।

सोने की चमक क्यों बढ़ी?

Augmont की रिसर्च प्रमुख डॉ. रेनीशा चैनानी के अनुसार, “सोने ने आज $3,500 (₹99,000) के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार कर लिया है, क्योंकि डॉलर तीन साल के निचले स्तर 98 से नीचे आ गया है।”

इसके पीछे अमेरिका और चीन के बीच जारी ट्रेड वॉर, फेडरल रिजर्व चेयरमैन जेरोम पॉवेल की स्थिति को लेकर अनिश्चितता और डॉलर की कमजोरी मुख्य कारण माने जा रहे हैं।

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फेडरल रिजर्व पर दबाव बनाते हुए ब्याज दरों में बड़ी कटौती की मांग की और यहां तक कि पॉवेल को हटाने की बात कही। ट्रंप ने कहा कि यदि दरों में कटौती नहीं हुई, तो अमेरिकी अर्थव्यवस्था धीमी हो सकती है।

ट्रेड वॉर ने बढ़ाई अनिश्चितता, सोना बना निवेशकों की पहली पसंद

चीन ने अमेरिका पर टैरिफ का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है और अन्य देशों को चेतावनी दी है कि वे अमेरिका के साथ कोई ऐसा समझौता न करें जो बीजिंग के हितों के खिलाफ हो। इस वैश्विक अस्थिरता और आर्थिक तनाव के बीच सोने की मांग ‘सेफ हेवन’ के रूप में लगातार बढ़ रही है। इस साल अब तक सोना 30% की बढ़त दर्ज कर चुका है।

ट्रंप का गोल्ड प्रेम फिर चर्चा में

20 अप्रैल को ट्रंप ने Truth Social पर पोस्ट करते हुए लिखा – “The Golden Rule Of Negotiating And Success: He Who Has the Gold Makes the Rules. Thank you!” यानी “सोने का नियम है – जिसके पास सोना है, वही नियम बनाता है।”

2013 में भी ट्रंप ने X (पूर्व में ट्विटर) पर यही बात दोहराई थी। इसी अवधि में रूस, चीन और तुर्की ने अपने सोने के भंडार में भारी बढ़ोतरी की है। अमेरिका के पास दिसंबर 2024 तक 8,134 टन सोना है, जो दुनिया में सबसे ज्यादा है। भारत के पास 876 टन सोना है, जो चीन (2,280 टन) से काफी पीछे है।

क्या आगे भी चमकेगा सोना?

कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यदि मौजूदा तेजी जारी रही तो अगला लक्ष्य $3,500 (लगभग ₹1,00,000) हो सकता है। हालांकि, कीमतों में भारी उछाल के कारण निकट भविष्य में गिरावट की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। डॉ. रेनीशा कहती हैं, “यदि सोने की कीमत $3,300 (लगभग ₹94,300) से नीचे गिरती है, तो मुनाफावसूली के चलते यह $3,100 (लगभग ₹90,000) तक आ सकती है।”

सोने की तेजी और शेयर बाजार की मंदी का संबंध

इतिहास गवाह है कि जब-जब वैश्विक शेयर बाजारों में गिरावट आई है, तब-तब सोने की कीमतों में उछाल देखने को मिला है। 2008 की वैश्विक आर्थिक मंदी में S&P 500 57% गिरा, जबकि सोना 39% बढ़ा। 2020 के कोविड संकट में शेयर बाजार 35% गिरा, पर सोना 32% बढ़ा।

वर्तमान में अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ युद्ध के चलते S&P 500 करीब 20% गिरा है, जबकि इसी अवधि में सोना 25% से अधिक चढ़ चुका है।

निष्कर्ष:
सोने की कीमतों में यह ऐतिहासिक तेजी वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं, ट्रेड वॉर, डॉलर की कमजोरी और शेयर बाजार की अस्थिरता का नतीजा है। हालांकि निवेशकों को सतर्क रहना होगा, क्योंकि कीमतें अब तकनीकी रूप से ओवरबॉट ज़ोन में पहुंच चुकी हैं।