
ईरान में जारी संघर्ष के बीच फंसे भारतीय छात्रों को स्वदेश लाने के लिए भारत सरकार द्वारा शुरू किए गए ‘ऑपरेशन सिंधु’ के तहत पहली विशेष उड़ान शुक्रवार देर रात दिल्ली पहुंची। इस फ्लाइट में कुल 290 भारतीय छात्र सवार थे। जैसे ही फ्लाइट ने इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर लैंड किया, “भारत माता की जय” और “हिंदुस्तान ज़िंदाबाद” के नारों से एयरपोर्ट गूंज उठा।
सरकारी अधिकारियों के अनुसार, शनिवार को दो और चार्टर्ड फ्लाइट्स के दिल्ली पहुंचने की संभावना है—एक तुर्कमेनिस्तान के अश्गाबात से शाम 4:30 बजे, और दूसरी रात 11:30 बजे। दोनों फ्लाइट्स टर्मिनल 3 पर लैंड करेंगी।
ईरान ने खोला हवाई क्षेत्र
ईरान में जारी क्षेत्रीय संघर्ष के बावजूद, भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए ईरान ने सीमित रूप से अपना हवाई क्षेत्र खोला। दिल्ली स्थित ईरानी दूतावास के उप मिशन प्रमुख मोहम्मद जवाद हुसैनी ने कहा, “हालांकि ईरान का हवाई क्षेत्र बंद है, हमने भारतीय नागरिकों की सुरक्षित निकासी के लिए विशेष अनुमति दी है। यह हमारी सरकार की भारत के प्रति मित्रवत नीति को दर्शाता है।”
छात्रों की आपबीती
ईरान से लौटे छात्रों ने वहां के हालात को “दहशतनाक” बताया और भारतीय सरकार की त्वरित कार्रवाई की सराहना की।
मशहद से लौटी एक छात्रा ने कहा, “अपने देश की जमीन पर कदम रखते ही जो सुकून मिलता है, वह शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता।”
सेहरिश रफीक, जो ईरान यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज में एमबीबीएस की छात्रा हैं, ने कहा, “हम नहीं सोच सकते थे कि हालात इतने बिगड़ जाएंगे। हम कश्मीर से हैं, और सभी भारतीयों का शुक्रगुज़ार हैं।”
नोएडा निवासी तज़किया फातिमा ने कहा, “वहां युद्ध जैसे हालात हैं। हम नहीं जानते थे कि कैसे बाहर निकल पाएंगे। लेकिन भारत सरकार ने सब कुछ बहुत सुचारू रूप से किया।”
पुलवामा, कश्मीर से आए मीर मोहम्मद मुशर्रफ ने बताया, “हम तेहरान में फंसे थे, कोई रास्ता नहीं था। मकान मालिक भी छोड़कर चले गए। हमारी मदद केवल भारतीय दूतावास ने की।”
प्रधानमंत्री और MEA का आभार
कई छात्रों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्रालय (MEA) का विशेष आभार व्यक्त किया। MEA के अनुसार, “वापस लौटे 290 भारतीयों में से 190 छात्र जम्मू-कश्मीर के हैं।”
MEA के सचिव (पासपोर्ट व वीज़ा) अरुण कुमार चटर्जी ने कहा, “यह भारत और ईरान के मजबूत संबंधों का प्रमाण है कि ईरान ने हवाई क्षेत्र खोलने की अनुमति दी।”
10,000 से अधिक भारतीय थे ईरान में
ईरान में संघर्ष शुरू होने के समय वहां लगभग 10,000 भारतीय, मुख्यतः छात्र, रह रहे थे। इन सभी को संघर्ष क्षेत्रों से हटाकर पहले क़ुम और मशहद जैसे सुरक्षित शहरों में शिफ्ट किया गया।
हालांकि भारत सरकार ने अभी तक औपचारिक निकासी एडवाइजरी जारी नहीं की है, लेकिन नागरिकों को सतर्क रहने और आवागमन सीमित रखने की सलाह दी गई है।
नेपाल और श्रीलंका के नागरिक भी होंगे शामिल
शनिवार को भारत सरकार ने घोषणा की कि ईरान में फंसे नेपाल और श्रीलंका के नागरिकों को भी ऑपरेशन सिंधु के तहत निकाला जाएगा। ईरान स्थित भारतीय दूतावास ने सोशल मीडिया पर आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर और टेलीग्राम चैनल की जानकारी साझा की है।
भारतीय दूतावास, तेहरान ने कहा,
“नेपाली और श्रीलंकाई नागरिक भी हमारे माध्यम से निकासी के लिए संपर्क कर सकते हैं। उनके लिए नंबर हैं: +989010144557, +989128109115, +989128109109।”
श्रीलंकाई विदेश मंत्रालय ने भी तेहरान में अपने नागरिकों को भारतीय दूतावास से संपर्क करने को कहा है। मंत्रालय के अनुसार, ईरान में लगभग 100 श्रीलंकाई नागरिक हैं, जबकि 20,000 से अधिक नागरिक इसराइल में काम कर रहे हैं।
अब तक 500 से अधिक भारतीय लौटे
MEA ने शनिवार को जानकारी दी कि ऑपरेशन सिंधु के तहत अब तक 500 से अधिक भारतीय नागरिकों को सुरक्षित वापस लाया जा चुका है। आने वाले दिनों में और भी उड़ानों की योजना है।