
वॉशिंगटन: अमेरिका और चीन के बीच जारी व्यापार युद्ध ने एक नया मोड़ ले लिया है। व्हाइट हाउस ने मंगलवार शाम एक बयान में कहा कि अब चीन से अमेरिका में होने वाले आयातों पर 245 प्रतिशत तक का टैरिफ लगाया जा सकता है। यह फैसला चीन की जवाबी कार्रवाई के बाद लिया गया है।
खनिज आयातों की जांच का आदेश
इस घोषणा के साथ ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा पर महत्वपूर्ण खनिजों के आयात पर निर्भरता के खतरे की जांच शुरू की जाएगी। यह जांच 1962 के ट्रेड एक्सपेंशन एक्ट के सेक्शन 232 के तहत की जाएगी, जिसका उपयोग पहले ट्रंप प्रशासन द्वारा स्टील, एल्यूमीनियम, तांबा और लकड़ी जैसे आयातों की समीक्षा के लिए किया गया था।
हालांकि जांच में चीन का नाम विशेष रूप से नहीं लिया गया है, लेकिन अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के अनुसार चीन 50 में से 30 महत्वपूर्ण खनिजों का सबसे बड़ा उत्पादक है।
चीनी जवाबी कार्रवाई और दुर्लभ खनिजों पर प्रतिबंध
ट्रंप द्वारा चीनी वस्तुओं पर टैरिफ बढ़ाने के जवाब में चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने 4 अप्रैल को रक्षा, ऊर्जा और ऑटोमोबाइल उद्योगों में उपयोग होने वाले सात दुर्लभ पृथ्वी तत्वों और मैग्नेट्स के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया।
पहले से 245% तक के टैरिफ का सामना कर रहा चीन
चीन पहले ही अप्रैल 12 से लागू आदेश के तहत अमेरिका को निर्यात किए जाने वाले सिरिंज और सुइयों पर 245 प्रतिशत तक के टैरिफ का सामना कर रहा है। यह टैरिफ ‘प्रि-2025 टैरिफ’, ‘फेंटानायल’ और ‘रिसिप्रोकल’ श्रेणियों के अंतर्गत आता है। इसी तरह, लिथियम-आयन बैटरियों पर 175 प्रतिशत, स्क्विड (समुद्री जीव) पर 170 प्रतिशत और ऊनी स्वेटरों पर 169 प्रतिशत तक का शुल्क लगाया गया है।
व्हाइट हाउस: “अब गेंद चीन के पाले में”
व्हाइट हाउस प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में राष्ट्रपति ट्रंप का हवाला देते हुए कहा, “अब गेंद चीन के पाले में है।” उन्होंने कहा, “चीन को हमसे समझौता करना है, हमें उनसे नहीं।”
इसके जवाब में चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने बुधवार को अमेरिका के रुख को “नुकसानदायक” बताया। उन्होंने कहा, “अगर अमेरिका वास्तव में संवाद चाहता है, तो उसे पहले अधिकतम दबाव बनाना बंद करना होगा।” लिन ने जोर दिया कि सार्थक बातचीत के लिए आपसी सम्मान और समानता जरूरी है।
चीन की रक्षा मंत्रालय की तीखी प्रतिक्रिया
वहीं, एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका द्वारा 2026 के लिए रक्षा खर्च में बड़ी वृद्धि की खबरों पर चीन के रक्षा मंत्रालय ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी है। रक्षा प्रवक्ता झांग शियाओगांग ने अमेरिका के बढ़ते सैन्य बजट को उसकी “युद्धोन्मुख प्रवृत्ति” का संकेत बताया।
उन्होंने कहा, “अत्यधिक रक्षा बजट अमेरिका की ‘बल ही सही है’ की सोच को उजागर करता है। बल का मनमाना उपयोग अमेरिका को महान नहीं बनाएगा।”
व्यापार युद्ध और बढ़ता तनाव
हाल के दिनों में अमेरिका-चीन व्यापार संघर्ष ने और भी तीव्र रूप ले लिया है। ट्रंप ने चीनी सामानों पर 145 प्रतिशत तक शुल्क लगाने की घोषणा की है, जिसके जवाब में चीन ने अमेरिकी आयातों पर 125 प्रतिशत तक का टैरिफ लगा दिया है।
हालांकि, अमेरिका ने 75 देशों—जिनमें भारत भी शामिल है—के साथ व्यापार वार्ताओं को सुचारु बनाए रखने के लिए 90 दिनों की टैरिफ राहत की घोषणा की है। ट्रंप ने 9 अप्रैल को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा, “एक न एक दिन चीन को समझना होगा कि अमेरिका और अन्य देशों को लूटने के दिन अब खत्म हो गए हैं।”