पुतिन की भारत यात्रा से पहले रूस ने द्विपक्षीय व्यापार को बाहरी दबाव से सुरक्षित करने की वकालत की

रूस ने मंगलवार को इस बात पर जोर दिया कि भारत और रूस को ऐसी व्यवस्था तैयार करने की जरूरत है, जो द्विपक्षीय संबंधों और खासतौर पर व्यापार को किसी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप से सुरक्षित कर सके। यह बयान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की दो दिवसीय भारत यात्रा से ठीक पहले आया है, जो शुक्रवार से शुरू होगी।

रूस के राष्ट्रपति भवन (क्रेमलिन) के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने भारत में मीडिया से वीडियो लिंक के माध्यम से बातचीत करते हुए कहा कि एक ऐसी व्यापारिक प्रणाली तैयार करने की जरूरत है, जो किसी भी राजनीतिक उपकरण के रूप में इस्तेमाल होने वाली भुगतान प्रणालियों के प्रभाव को निष्प्रभावी कर सके। हालांकि उन्होंने इस तंत्र के बारे में विस्तार से कुछ नहीं बताया।


अमेरिकी दबाव और प्रतिबंधों पर रूस का जवाब

पेस्कोव ने अमेरिकी प्रतिबंधों और भारत पर डाले जा रहे दबाव को स्वीकार करते हुए कहा कि यही वह कारण है, जिसके चलते दोनों देशों को अपने संबंधों को किसी बाहरी दबाव से मुक्त रखना होगा। उन्होंने कहा:

“हमें अपने व्यापार को सुरक्षित करना होगा, जो दोनों देशों के लिए लाभकारी है।”

रूसी प्रवक्ता ने यह भी स्पष्ट किया कि भारतीय कंपनियों द्वारा रूसी तेल खरीदी में कमी के बावजूद कुछ अन्य कंपनियां खरीद बढ़ा रही हैं। उन्होंने कहा कि रूस अवैध प्रतिबंधों के माहौल में काम करने का व्यापक अनुभव रखता है।


व्यापार घाटा कम करने पर जोर

भारत-रूस व्यापार पिछले वर्षों में बढ़कर 63 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है, लेकिन रूस से सस्ते तेल की बड़े पैमाने पर खरीद के कारण व्यापार संतुलन रूस के पक्ष में झुक गया है। पेस्कोव ने कहा कि रूस भारत से ज्यादा सामान खरीदने के लिए प्रयासरत है।

भारतीय अधिकारियों के अनुसार, भारत रूस को समुद्री उत्पाद, आलू, अनार, दवाइयां, प्रोसेस्ड फूड और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स जैसे उत्पाद निर्यात बढ़ाने पर काम कर रहा है।


रक्षा सहयोग पर भी चर्चाएं संभावित

रूस ने संकेत दिया कि भारत की S-400 सिस्टम और Su-57 लड़ाकू विमान खरीदने में रुचि बातचीत के एजेंडे में है। हालांकि भारतीय अधिकारियों का कहना है कि इस तरह के समझौते आमतौर पर शिखर वार्ता में हस्ताक्षरित नहीं होते।

रूस ने भारत के स्वतंत्र निर्णयों की सराहना करते हुए कहा:

“हम भारत के मित्रवत रुख के आभारी हैं। भारत एक संप्रभु राष्ट्र है और हम इसका सम्मान करते हैं।”


श्रमिक गतिशीलता समझौते का रास्ता साफ

दोनों देशों के बीच कुशल और अर्ध-कुशल श्रमिकों की आवाजाही के लिए एक महत्वपूर्ण समझौता होने की संभावना है। रूस में कार्यबल की कमी बढ़ रही है और भारत इसे अवसर के रूप में देख रहा है।


कई अहम समझौतों की उम्मीद

विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, पुतिन की यात्रा के दौरान व्यापार, अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य, शिक्षा, संस्कृति और मीडिया सहित कई क्षेत्रों में समझौते संभव हैं। ऊर्जा, रक्षा और अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों में सहयोग पहले से ही मजबूत रहा है।


रूस ने साफ संकेत दिया है कि आने वाले वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार को 100 अरब डॉलर तक पहुंचाना लक्ष्य है। पुतिन की इस यात्रा से दोनों देशों के संबंधों में एक नया और सुरक्षित आर्थिक ढांचा तैयार होने की उम्मीद जताई जा रही है।