
नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में पुराने पेट्रोल और डीजल वाहनों पर लगाया गया ईंधन बैन आज तीसरे दिन भी सख्ती से लागू है। दिल्ली सरकार ने 1 जुलाई से ऐसे सभी वाहनों को पेट्रोल और डीजल देने पर रोक लगा दी है, जो तय उम्र सीमा से अधिक हैं — पेट्रोल वाहन 15 साल और डीजल वाहन 10 साल से ज्यादा पुराने।
इस सख्त कदम का मकसद दिल्ली की खराब होती वायु गुणवत्ता को सुधारना है। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में स्थानीय प्रदूषण का 51% हिस्सा वाहनों से आता है। इसी को देखते हुए कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) ने यह नियम लागू किया है, जो पूरे NCR क्षेत्र पर प्रभावी है।
62 लाख से ज्यादा वाहन प्रभावित
इस आदेश से अकेले दिल्ली में 62 लाख (61,14,728) गाड़ियां प्रभावित हो रही हैं। पड़ोसी राज्यों में भी असर देखा जा रहा है — हरियाणा में 27.5 लाख, उत्तर प्रदेश में 12.69 लाख और राजस्थान में 6.2 लाख ओवरएज वाहन हैं।
कैसे हो रहा है नियम का क्रियान्वयन
दिल्ली ट्रांसपोर्ट विभाग, ट्रैफिक पुलिस और MCD मिलकर इस नियम को लागू कर रहे हैं:
- 498 पेट्रोल पंपों पर ANPR कैमरे लगाए गए हैं जो गाड़ी के नंबर प्लेट को पढ़कर VAHAN डेटाबेस से सत्यापन करते हैं।
- 350 पेट्रोल पंपों पर ट्रैफिक पुलिस की तैनाती की गई है।
- 59 विशेष टीमें ट्रांसपोर्ट विभाग ने पेट्रोल पंपों पर निगरानी के लिए तैनात की हैं।
- पुराने वाहनों को चिन्हित कर फ्यूल देने से मना किया जा रहा है। यदि नियम का उल्लंघन हुआ, तो गाड़ी जब्त या स्क्रैप की जा सकती है। साथ ही, ₹10,000 तक का जुर्माना (चार पहिया) और ₹5,000 (दो पहिया) भी लगाया जा रहा है।
ज़मीनी हकीकत और लोगों की परेशानी
हालांकि यह नियम पर्यावरण के लिहाज़ से जरूरी माना जा रहा है, लेकिन ज़मीन पर कई दिक्कतें सामने आ रही हैं।
ग्रीन पार्क स्थित एक पेट्रोल पंप के कर्मचारियों ने बताया कि उन्हें इस नई व्यवस्था को लागू करने के लिए कोई प्रशिक्षण नहीं दिया गया। वहीं कई लोग जो नियम से अनजान थे, उन्हें अचानक से फ्यूल नहीं मिलने पर मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है।
दिल्ली के एक नागरिक निश्चल सिंघानिया, जो खुद पेट्रोल पंप संचालक हैं, ने कहा,
“इतने बड़े नियम को लागू करने से पहले 15-30 दिन का ट्रायल होना चाहिए था। enforcement टीम कितने दिन रहेगी? नियम NCR में एकसाथ लागू होना चाहिए था।”
दिल्ली के निवासी मोहित ने कहा,
“रूल की जानकारी सबको नहीं है, खासकर अशिक्षित लोगों को। ट्रांजिट में आने वाले लोग सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे।”
‘रेंज रोवर’ बेचनी पड़ी: आम लोगों की जेब पर सीधा असर
इस नियम की वजह से कई लोगों को मजबूरी में अपनी महंगी गाड़ियां औने-पौने दामों पर बेचनी पड़ रही हैं। दिल्ली निवासी रितेश गंडोत्रा ने बताया कि उन्हें अपनी 10 साल पुरानी, अच्छी स्थिति में मौजूद Range Rover को बेचना पड़ा क्योंकि उसे अब दिल्ली में फ्यूल नहीं मिल सकता।
उनका कहना है,
“मैंने गाड़ी का अच्छे से रख-रखाव किया था, लेकिन सिर्फ उम्र के आधार पर यह बेकार हो गई। यह न केवल नुकसानदेह है, बल्कि ईमानदार टैक्सपेयर्स को सज़ा देने जैसा है।”
निष्कर्ष: पर्यावरण बनाम जन-पीड़ा
दिल्ली सरकार का यह फैसला पर्यावरण सुधार की दिशा में एक मजबूत कदम माना जा रहा है, लेकिन इसके अचानक और सख्त लागू होने से आम लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। जहां सरकार इसे ज़रूरी मान रही है, वहीं नागरिक इससे उत्पन्न हुई असुविधाओं और आर्थिक नुकसान को लेकर नाखुश हैं। आने वाले दिनों में सरकार को नियम के क्रियान्वयन और जागरूकता बढ़ाने के लिए और प्रयास करने पड़ सकते हैं।