पुणे पुल हादसा: भारी बारिश के बीच पुल ढहने से 4 की मौत, 51 घायल; 125 लोग देख रहे थे उफनती इंद्रायणी नदी

पुणे जिले के तलेगांव इंदोरी क्षेत्र में रविवार दोपहर एक 30 साल पुराना पुल भारी बारिश के चलते अचानक ढह गया, जिसमें 4 लोगों की मौत हो गई और 51 लोग घायल हो गए। यह हादसा उस वक्त हुआ जब लगभग 125 पर्यटक इंद्रायणी नदी के तेज बहाव को देखने के लिए पुल पर इकट्ठा हुए थे।

स्थानीय प्रशासन के अनुसार, यह पुल पहले ही जीर्ण-शीर्ण घोषित कर दिया गया था और उस पर वाहनों की आवाजाही पर रोक लगा दी गई थी। बावजूद इसके, बड़ी संख्या में लोग पुल पर जमा हो गए थे, जिससे अतिरिक्त भार और तेज पानी के बहाव के चलते यह दुर्घटना हुई। हादसे के बाद एनडीआरएफ, पुलिस और जिला प्रशासन की टीमें मौके पर पहुंची और राहत व बचाव कार्य युद्ध स्तर पर शुरू कर दिया गया। कई लोगों को समय रहते नदी से सुरक्षित निकाला गया।

मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री ने जताया शोक, मुआवजे की घोषणा

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मृतकों के परिजनों को ₹5 लाख की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है और घायलों का इलाज पुणे के विभिन्न अस्पतालों में चल रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सीएम फडणवीस से फोन पर बात कर राहत कार्यों की जानकारी ली। प्रधानमंत्री फिलहाल साइप्रस दौरे पर हैं।

गृह मंत्री अमित शाह ने भी घटना पर दुख जताया और कहा कि “एनडीआरएफ की तत्परता से कई लोगों की जान बचाई जा सकी। दुख की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं मृतकों के परिजनों के साथ हैं और मैं घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं।”

एनसीपी विधायक ने पर्यटकों की भीड़ को ठहराया जिम्मेदार

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के विधायक सुनील शेलके ने कहा कि यह पुल किसानों की आवाजाही के लिए 30 साल पहले बनाया गया था। “हमने इस पुल की समय-समय पर मरम्मत भी करवाई और पर्यटकों के लिए इसे बंद कर दिया गया था, फिर भी लोग वहां इकट्ठा हो गए। अधिक भीड़ और दोपहिया वाहनों की आवाजाही के कारण यह हादसा हुआ।”

कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने की जवाबदेही की मांग

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस घटना को “टाली जा सकने वाली त्रासदी” करार देते हुए कहा, “इस दुखद घटना से हम सब स्तब्ध हैं। यह बेहद जरूरी है कि जिम्मेदार लोगों से जवाबदेही तय की जाए और जो भी इस हादसे के लिए दोषी हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई हो।”

इस हादसे ने एक बार फिर सार्वजनिक संरचनाओं की निगरानी, रख-रखाव और आमजन में जागरूकता की गंभीर कमी को उजागर कर दिया है। प्रशासन को भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचाव के लिए कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है।