रिपोर्टर ने मनोज तिवारी से पूछा- उस टीम के कप्तान एमएस धोनी थे। मैं आपसे सीधा सवाल पूछ रहा हूं? मनोज ने जवाब देते हुए कहा ‘हां, एमएस धोनी कप्तान थे। अगर मुझे यह सवाल पूछने का मौका मिलता है तो मैं उनसे जरूर पूछूंगा कि शतक बनाने के बाद मुझे टीम से बाहर क्यों कर दिया गया, खासकर ऑस्ट्रेलिया के उस दौरे में जहां कोई रन नहीं बना रहा था, न तो विराट कोहली, रोहित शर्मा और न ही सुरेश रैना। मेरे पास अब खोने के लिए कुछ नहीं है।’ धोनी और मनोज तिवारी आईपीएल में भी एक टीम से खेल चुके हैं। दोनों राइजिंग पुणे सुपरजाएंट्स के लिए साथ खेले थे। एक न्यूज चैनल से इंटरव्यू के दौरान मनोज ने कहा- जब मैंने 65 प्रथम श्रेणी मैच खेले थे, तब मेरा बल्लेबाजी औसत 65 के आसपास था। तब ऑस्ट्रेलिया टीम ने भारत का दौरा किया था, और मैंने चेन्नई में एक दोस्ताना मैच में 130 रन बनाए थे। फिर मैंने इंग्लैंड के खिलाफ एक दोस्ताना मैच में 93 रन बनाए थे। मैं टेस्ट कैप हासिल करने के काफी करीब था, लेकिन उन्होंने मेरी जगह युवराज सिंह को चुना। इसलिए टेस्ट कैप नहीं मिल सकी। इतना ही नहीं वनडे में शतक बनाने के लिए प्लेयर ऑफ द मैच का पुरस्कार मिलने के बाद मुझे नजरअंदाज कर दिया गया था। मुझे लगातार 14 मैचों तक नजरअंदाज किया गया। जब आत्मविश्वास अपने चरम पर होता है और कोई उसे नष्ट कर देता है, तो वह खिलाड़ी खत्म हो जाता है। किसी भी पेशे में एक खिलाड़ी के लिए आत्मविश्वास ही सब कुछ होता है। सवाल पूछने वाले के इस प्रश्न पर कि ‘उस आत्मविश्वास को किसने मारा?’ मनोज तिवारी ने बताया, ‘मुझे नाम पता है लेकिन मैं वह नाम नहीं लेना चाहता। मैं अब मैच्योर हो गया हूं। जब किसी खिलाड़ी को बाहर किया जाता है तो यह टीम प्रबंधन का फैसला होता है।